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बच्चों के पोषण पर भारी पड़ रहा माताओं को भाने वाले जंक फूड का जायका

हिसार जिले में आंगनबाड़ी के 1.15 लाख बच्चों में से 636 बच्चे आज भी कुपोषण के शिकार हैं। ये आंकड़े छह साल से कम उम्र के बच्चों के हैं।

By Edited By: Published: Tue, 04 Sep 2018 09:52 AM (IST)Updated: Tue, 04 Sep 2018 03:11 PM (IST)
बच्चों के पोषण पर भारी पड़ रहा माताओं को भाने वाले जंक फूड का जायका
बच्चों के पोषण पर भारी पड़ रहा माताओं को भाने वाले जंक फूड का जायका

जेएनएन, हिसार।   जिले में आंगनबाड़ी के 1.15 लाख बच्चों में से 636 बच्चे आज भी कुपोषण के शिकार हैं। ये आंकड़े छह साल से कम उम्र के बच्चों के हैं। इसका मुख्य कारण है कि आज ज्यादातर मां फास्ट फूड का सेवन करने में दिलचस्पी दिखा रही हैं, जबकि उनको हरी सब्जी, दूध, दही, दलिया, खिचड़ी और फलों का अत्याधिक सेवन करना जरूरी होता है, लेकिन मां पौष्टिक आहार सेवन करने के बजाय जंक फास्ट फूड का सेवन कर रही हैं। इस कारण उन्हें वो आवश्यक तत्व व न्यूट्रीशन नहीं मिल पाते जिनकी उन्हें जरूरत होती है।

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खासतौर, पर गर्भवती महिलाओं को इन आवश्यक तत्वों की जरूरत होती है। इसमें सबसे ज्यादा दिक्कत जागरूकता की कमी को लेकर आती है। जिससे मां व बच्चे दोनों ही कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। अगर लापरवाही बरकरार रहती है तो मां और नवजात की जान पर भी बन सकती है। इसके लिए सरकार ने कुपोषण से लड़ने के लिए योजना की अवधि में बदलाव किया है।

अब धरातल पर चलने वाले पोषण मां योजना एक सप्ताह के बजाय एक माह तक चलेगा, जिसमें कुपोषण को जड़ से खत्म करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे आते हैं कुपोषण की गिरफ्त में सरकार के सर्वे में पाया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे जल्द कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। कारण यह है कि गांवों के लोग मां व बच्चे के आहार के प्रति लापरवाह होते हैं। वे स्वास्थ्य संबंधित उन बातों का ख्याल नहीं रखते जोकि मां और बच्चों के लिए जरूरी होती हैं।

जैसे बच्चा नंगे पैर गांवों की गलियों में दौड़ता रहता है और न ही वह अच्छी डाइट लेता है। सीधा प्रभाव बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ेगा। मां दिनभर काम करती रहती है, लेकिन खाने में दिलचस्पी नहीं दिखातीं। कुपोषण से लड़ने के लिए स्कूलों में चल रहे हैं मिड-डे मील स्कूलों में पढ़ाई के अलावा आहार पर विशेष रूप से ध्यान रखने के लिए मिड डे मील अभियान चलाया गया है। सरकार की रिपोर्ट के अनुसार अभी जिले में 874 स्कूलों में मिड डे मील दिया जा रहा है, जिनमें प्राइमरी स्कूल के 504 और एडिड स्कूलों की संख्या 5 है, जबकि अपर प्राइमरी स्कूलों की कुल संख्या 365 है। इन स्कूलों में कुल 97 हजार 862 बच्चे पढ़ रहे हैं।

स्कूलों में मिड-डे मील के आंकड़े स्कूलों में पढ़ाई के अलावा आहार पर विशेष रूप से ध्यान रखने के लिए मिड-डे मील अभियान चलाया गया है। सरकार की रिपोर्ट के अनुसार अभी जिले में 874 स्कूलों में मिड डे मील दिया जा रहा है, जिनमें प्राइमरी स्कूल के 504 और एडिड स्कूलों की संख्या 5 है, जबकि अपर प्राइमरी स्कूलों की कुल संख्या 365 है। इन स्कूलों में कुल 97 हजार 862 बच्चे पढ़ रहे हैं।

जिले में मिड-डे मील के आंकड़े -

कुल प्राइमरी स्कूल : 504 - कुल अपर प्राइमरी स्कूल : 365 - कुल स्कूल : 869 

कुल प्राइमरी स्कूल के बच्चे : 56537 - कुल अपर प्राइमरी के बच्चे : 39507

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'' धरातल पर सरकार कुपोषण से लड़ने के लिए कई योजनाएं चला रही है। अब तो योजनाओं की समय अवधि भी बढ़ा दी गई है।

                                                - डाॅ. पूनम रमन, प्रोजेक्ट आफिसर, महिला एवं बाल विकास विभाग।


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