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शहीद बेटे की प्रतिमा से लिपटकर रो पड़ी मां, निहारता रह गया 2 साल का मासूम बेटा

भदानी गांव के विक्रांत सहरावत एक साल पहले जम्मू कश्मीर में चॉपर क्रैश में शहीद हुए थे। शहादत के दौरान शहीद के परिवार को सिर्फ फोटो देखकर सब्र करना था। प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम था

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 11:58 AM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 06:14 PM (IST)
शहीद बेटे की प्रतिमा से लिपटकर रो पड़ी मां, निहारता रह गया 2 साल का मासूम बेटा
शहीद बेटे की प्रतिमा से लिपटकर रो पड़ी मां, निहारता रह गया 2 साल का मासूम बेटा

झज्जर [अमित पोपली] देश पर अपनी जान न्‍यौछावर कर जाने वाले तो चले जाते हैं मगर पीछे उनकी यादें छूट जाती हैं। यादें भी ऐसी कि शहीदों से जुड़ी हर चीज को देख परिजन भावुक हुए बिना नहीं रह पाते हैं। हरियाणा के झज्‍जर के भदानी गांव में भी ऐसा ही हुआ जब एक मां अपने शहीद बेटे की प्रतिमा से लिपटकर रो पड़ी।

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फफकती मां की सिसकियां सुन वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गई। शहीद बेटे की प्रतिमा से लिपटकर मां को भी ऐसा सुकून मिला जैसे बेटे को ही गले लगा लिया हो। बता दें कि सैनिकों की नर्सरी कहे जाने वाले भदानी गांव में पिछले साल जम्मू-कश्मीर में हेलीकॉप्टर क्रैश में शहीद हुए सार्जेंट विक्रांत सहरावत के पार्थिव शरीर के गांव पहुंचने के लिए भी दो दिन का इंतजार करना पड़ा था। शहादत के दौरान पार्थिव शरीर की स्थिति ऐसी थी कि ताबूत को खोलने की बजाय विक्रांत का फोटो देखकर ही परिवार को सब्र करना पड़ा।

एक-एक दिन कर एक साल गुजरा तो आज गांव में अपने लाडले की प्रतिमा का अनावरण किए जाने का मौका आया। छोटी उम्र में अपने बेटे को खो देने वाली मां कांता भी प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में मौजूद थी। बेटे की याद में निरंतर अश्रूधारा बहाने वाली मां के सामने जब प्रतिमा का अनावरण किए जाने के बाद पुष्प अर्पित करने का समय आया तो वह स्वयं को रोक नहीं पाई।

प्रतिमा अनावरण के दौरान भावुक मुद्रा में शहीद विक्रांत की मां, व साथ में शहीद विक्रांत का फाइल फोटो

प्रतिमा के रूप में बेटे को सामने खड़ा देख वह उसी से लिपटकर रोने लगी। मां के इस भाव को देखकर सभी की आंखों में आंसू आ गए। मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद पूर्व सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, विधायक गीता भुक्कल सहित अन्य परिवार के लोगों ने उन्हें संभालते हुए हिम्मत रखने की बात कही। मां कांता जैसे ही भाव परिवार के हर सदस्य के चेहरे पर दिखाई दिए।

अपने शहीद पिता की प्रतिमा को देखता बेटा वरदान

गोद में खेलने वाले वरदान ने पैरों पर चलकर पिता को अर्पित किए पुष्प

एक शहीद के परिवार को अपनों से बिछड़कर किस तरह का दर्द सहना पड़ता है। यह भदानी में साफ देखने को मिला। एक साल पहले गोद में खेलने वाला शहीद विक्रांत का बेटा वरदान अब ठीक ढंग से चलने लगा है। पहली पुण्य तिथि के मौके पर प्रतिमा अनावरण के दौरान वरदान भी सभी द्वारा पुष्प अर्पित किए जाने की प्रक्रिया को बड़े ध्यान से देख रहा था। अनावरण के बाद जब सभी मुख्य कार्यक्रम की ओर चले गए तो उसने भी अपने ही ढंग से पुष्प अर्पित किए। फिर वह अलग अंदाज से पिता की प्रतिमा को देखने लगा। जैसे वह खुलकर बात करना चाहता हो।


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