हरियाणा में दो वर्षों से बदला मानसून का ट्रेंड, इन चार महीनों में अकेले सितंबर में ही 82 प्रतिशत अधिक वर्षा
मानसून के दौरान हरियाणा में जिन 22 जिलों में वर्षा दर्ज की गई उनमें से एक जिले में अत्यधिक वर्षा हुई। 9 जिलों में अधिक बारिश हुई तो 9 जिलों में सामान्य वर्षा हुई। 3 जिलों में कम बारिश हुई। सबसे अधिक वर्षा फतेहाबाद में 113 प्रतिशत दर्ज की गई।
हिसार, जागरण संवाददाता। दक्षिण पश्चिम मानसून अब विदा हो रहा है। इस चार महीने के मानसूनी समय में सबसे अधिक सितंबर में वर्षा ने किसानों की पीड़ा देने का काम किया। सितंबर माह में 82 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है। जबकि जून जुलाई और अगस्त तो इस आंकड़े के पास भी नहीं पहुंच सके। इसके साथ ही जून और जुलाई तो सूखे ही रहे। यहां सामान्य से भी कम वर्षा हुई। वर्ष 2021 से मानसून के ट्रेंड में परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
आमतौर पर इस मानसून सीजन में वर्ष 2012 से 2017 में लगातार पांच वर्षों तक हरियाणा में कम वर्षा हुई। इसके बाद भी वर्ष 2018 और 2020 में दक्षिण पश्चिम मानसून ने निराश ही किया। मगर वर्ष 2021 के बाद से मानसून के ट्रेंड ने परिवर्तन किया। अब लगातार सामान्य से अत्यधिक वर्षा हो रही है। इस बार भी सामान्य से 9 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है। इस सीजन में मानसून के दौरान हरियाणा में जिन 22 जिलों में वर्षा दर्ज की गई थी, उनमें से एक जिले में अत्यधिक वर्षा हुई। 9 जिलों में अधिक बारिश हुई तो 9 जिलों में सामान्य वर्षा हुई, जबकि 3 जिलों में कम बारिश हुई। सबसे अधिक वर्षा फतेहाबाद में 113 प्रतिशत दर्ज की गई।
मानसून वापसी की यह है स्थिति
अब दक्षिण पश्चिम मानसून की वापिसी रेखा जम्मू, उना, चंडीगढ़, करनाल, बागपत, दिल्ली, अलवर, जोधपुर, नालिया से होकर गुजर रही है। यह धीमे-धीमे वापसी की ओर अग्रसर है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा मदन खिचड़ ने बताया कि राजस्थान के ऊपर एक एंटीसाइक्लोनिक सर्कुलेशन बनने से राज्य में 5 अक्टूबर तक पश्चिमी हवाएं चलने से वातावरण में उपस्थित नमी में गिरावट आने तथा तापमान में हल्की बढ़ोतरी संभावित है। इस दौरान मौसम आमतौर पर खुश्क रहने की संभावना है। बंगाल की खाड़ी में एक कम दबाव के क्षेत्र की बनने की संभावना से राज्य में 6 अक्टूबर के बाद ही मौसम में बदलाव की संभावना बन रही है।
पिछले 121 वर्षों में वर्ष 1988 को हुई थी रिकार्ड तोड़ मानसून की वर्षा
हरियाणा में वर्ष 1901-2022 के दौरान वर्षा का आंकड़ा देखें तो सबसे अधिक मानसूनी वर्षा वर्ष 1988 में हुई थी जब राज्य को 1108.8 मिली मीटर वर्षा मिली। वहीं सामान्य वर्षा 603.3 मिली मीटर के मुकाबले वर्ष 1995 में राज्य में 939.0 मिमी तो वर्ष 1933 में 826.9 मिमी बारिश हुई थी। वर्ष 1901 से 2022 के दौरान सबसे कम मानसून वर्षा वर्ष 1918 रहा। तब राज्य को सामान्य 455.2 मिमी के मुकाबले 196.2 मिमी वर्षा ही हुई थी।
पिछले 10 वर्षों में कब सामान्य वर्षा से कम बरसा पानी
- वर्ष 2011 में सामान्य से 19 प्रतिशत कम वर्षा हुई
- वर्ष 2018 में सामान्य से 10 प्रतिशत कम हुई वर्षा
- वर्ष 2020 में 14 प्रतिशत कम हई वर्षा
मानसून सीजन की स्थिति
- जून - 36.0 (- 34 प्रतिशत)
- जुलाई- 220.4 (48 प्रतिशत)
- अगस्त 70.0 (- 52 प्रतिशत)
- सितंबर- 138.3 (82 प्रतिशत)
नोट- आंकड़े मिलीमीटर में हैं।