हिमालय की तलहटी की ओर बढ़ा मानसून, हरियाणा में 30 जून से फिर सक्रिय होगा
हरियाणा से मॉनसून फिलहाल रवाना हो गया और वह हिमालय की तलहटी की ओर बढ़ गया है। अब राज्य में मानसून 30 जून को फिर सक्रिय होने की संभावना है।
हिसार, जेएनएन। हरियाणा में मानसून की हवाएं शनिवार से कमजोर पड़ती दिखाई दींं। इसका प्रमुख कारण मानसून की टर्फ रेखा हिमालय की तलहटियों व उत्तर पूर्व भारत की तरफ बढ़ना है। इससे प्रदेश में मानसून कुछ कमजोर पर हो गया है। मानसून हिमालय की तलहटी और हरियाणा से पूर्व की ओर बढ़ गया है।
इस कारण राज्य में 29 जून के बीच मौसम आमतौर पर परिवर्तनशील व बीच-बीच में आंशिक बादल तथा राज्य में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश संभावित है। 30 जून से फिर से मानसून सक्रिय होने की संभावना है। इस दौरान राज्य में तापमान सामान्य के आसपास रहने की संभावना है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. मदन खिचड़ ने बताया कि दक्षिण पश्चिमी मानसून अनुकूल परिस्थितियों के कारण आगे बढ़ता हुआ 26 जून को उत्तरी सीमा राजस्थान, पंजाब, हरियाणा होते हुए पूरे भारतवर्ष को पूरी तरह पहुंच गया था।
उन्होंने बताया केि इस वर्ष मानसून सामान्य तिथि 8 जुलाई से 12 दिन पहले आ गया, फिर शुक्रवार को पूरे देश को कवर कर लिया। इससे पहले 2013 में 16 जून को ही पूरे देश में मानसून पहुंच गया था। वहीं उत्तरपूर्व राजस्थान में बने साइक्लोनिक सर्कुलेशन तथा मानसूनी टर्फ रेखा मध्य पाकिस्तान से उत्तर पश्चिमी राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश से बिहार तक बनी हुई है जिससे हरियाणा में कुछ क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश दर्ज हुई है।
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शनिवार को हिसार में 2 एमएम, भिवानी में 1.2 एमएम, फरीदाबाद में 12 एमएम व सिरसा में हल्की बारिश दर्ज की गई। आसपास के जिलों में हुई बारिश के कारण दिन के समय हल्की धूप भी निकली, मगर मौसम में उमस अधिक रही। हालांकि लगभग सभी जिलों के तापमान में दो से चार डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट दर्ज की गई है।
मौसम आधारित कृषि के लिए सलाह
- अगले दो -तीन मौसम परिवर्तनशील रहने की संभावना को देखते हुए धान की रोपाई पानी की उपलब्धता अनुसार करें।
- जिन क्षेत्रों में अच्छी बारिश हुई है, वहां खेत तैयार करें तथा बाजरा, ग्वार आदि फसलों के उत्तम किस्मों के बीजों का प्रबंध करें तथा बिजाई मौसम साफ होने पर ही करें।
- नरमा-कपास में बारिश का पानी ज्यादा देर तक खड़ा न रहने दें।
- प्रमाणित नर्सरी से उत्तम किस्मों के फलदार पौधों को लेकर खेतों में लगाना शुरू करें ।
- जिन क्षेत्रों में बारिश नहीं हुई है, वहां फसलों , सब्जियों व फलदार पौधों में आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करें।
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