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शोध में आंकड़ों का विश्लेषण करने को एचएयू के विज्ञानियों ने तैयार किया मॉडल

वर्तमान समय में अनुसंधान में ऑनलाइन आंकड़ा विश्लेषण की तकनीकों की अधिक जरूरत है। इसी को ध्यान में रखते हुए इन मॉड्यूल को विकसित किया गया है। मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के डीन डा. राजबीर सिंह ने बताया कि यह मॉड्यूल गणित एवं सांख्यिकी विभाग के प्रो. ओपी. श्योराण व उनके सहयोगी डा. मंजू सिंह टोंक डा. रामनिवास डा. मनोज गोयल व डा. हेमंत पूनिया द्वारा तैयार किए गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2020 08:37 AM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2020 08:37 AM (IST)
शोध में आंकड़ों का विश्लेषण करने को एचएयू के विज्ञानियों ने तैयार किया मॉडल
शोध में आंकड़ों का विश्लेषण करने को एचएयू के विज्ञानियों ने तैयार किया मॉडल

जागरण संवाददाता, हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानियों को ऑनलाइन सांख्यिकी विश्लेषण के मॉड्यूल के लिए कॉपीराइट मिला है। इसमें एक्टिव सर्वर पेजिस (एएसपी) भाषा का उपयोग किया जाता है। यह क्लाइंट सर्वर आर्किटेक्चर विधि पर आधारित है। इंटरनेट के माध्यम से कोई भी विज्ञानी अनुसंधान में आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए इन मॉड्यूल का उपयोग कर सकता है। कृषि वैज्ञानिकों व शोध विद्यार्थियों के लिए यह मॉड्यूल बहुत ही लाभदायक होंगे।

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वर्तमान समय में अनुसंधान में ऑनलाइन आंकड़ा विश्लेषण की तकनीकों की अधिक जरूरत है। इसी को ध्यान में रखते हुए इन मॉड्यूल को विकसित किया गया है। मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के डीन डा. राजबीर सिंह ने बताया कि यह मॉड्यूल गणित एवं सांख्यिकी विभाग के प्रो. ओपी. श्योराण व उनके सहयोगी डा. मंजू सिंह टोंक, डा. रामनिवास, डा. मनोज गोयल व डा. हेमंत पूनिया द्वारा तैयार किए गए हैं।

रसायन की प्रभावी मात्रा का पता लगाने में होंगे सहायक

इन मॉड्यूल के माध्यम से शोधकर्ता कीट विज्ञान, रासायनिक विज्ञान व सस्य विज्ञान में किसी रसायन की प्रभावी मात्रा का पता लगाने में सक्षम होगा। इसके अलावा बहुत अधिक आंकड़ों के सेट को (महत्वपूर्ण सूचना को बिना नुकसान पहुंचाए) छोटा करने में सहायक होगा। साथ ही कई स्थानों पर अनुसंधान के लिए विभिन्न स्थानों पर लगाए गए परीक्षणों के विश्लेषण के लिए भी अत्यंत प्रभावी होंगे।

इन मॉड्यूल में नहीं कर सकता कोई बदलाव

गणित एवं सांख्यिकी के विभागाध्यक्ष डॉ. मंजू सिंह टोंक ने बताया कि इन मॉड्यूल की कोडिग में कोई अपने अनुसार बदलाव नहीं कर सकता। अगर इन मोड्यूल का कोड बदलना है तो इसके लिए विश्वविद्यालय के संबंधित विभाग से लिखित में अनुमति लेनी पड़ती है।

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मॉड्यूल तैयार करने वाली पूरी टीम को बधाई की पात्र है। यह विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है। विज्ञानियों पर भी गर्व है कि वे निरंतर कुछ बेहतर करने के लिए प्रयासरत हैं। इससे विश्वविद्यालय का नाम रोशन हो रहा है।

प्रो. समर सिंह, कुलपति, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विवि


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