मिनी क्यूबा भिवानी हुआ राजनीति का शिकार, खिलाड़ी कमा रहे नाम पर नहीं मिल रही खेल सुविधाएं
भिवानी के भीम स्टेडियम में एक किरोड़ी कुश्ती दंगल का आयोजन किया गया था। उसके समापन पर 23 मार्च 2018 को मुख्यमंत्री मनोहरलाल आए थे। उन्होंने यहां भीम स्टेडियम में मल्टीपर्पज हाल बनाने की घोषणा की थी। तीन साल से ज्यादा का समय बीत गया है।
सुरेश मेहरा, भिवानी। मिनी क्यूबा भिवानी राजनीति का शिकार हो रहा है या कोई दूसरा कारण है तो नहीं पता पर सच यह है कि यहां पर खेल सुविधाएं जरूरत मिलने की बजाय घट रही हैं। भिवानी ने कैप्टन हवासिंह, ओलिंपियन विजेंद्र सिंह, अखिल कुमार, विकासकृष्ण यादव, मनीष कौशिक, दिनेश कुमार, जितेंद्र कुमार आदि ओलिंपियन दिए हैं। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की यहां से पूरी फौज निकली है और वर्तमान में भी प्रदेश भर से सबसे ज्यादा खिलाड़ी देश का नाम खेलों की दुनिया में रोशन कर रहे हैं। इतना सब होने के बावजूद हद तो यह है कि यहां खेल सुविधाएं बढ़ने की बजाय कम हो रही हैं। इसे लेकर खेल प्रेमियों में रोष बना है और आरोप लगाए जा रहे हैं कि भिवानी के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। युवा कल्याण संगठन ने साई छात्रावास में सीट घटाने के विरोध में प्रधान कमल सिंह की अगवाई में केंद्रीय खेल मंत्री को ज्ञापन भी भेजा है।
भारतीय खेल प्राधिकरण भिवानी में 110 से घटाकर कर दी 50 सीट
देश को अखिल कुमार, विजेंद्र सिंह, दिनेश कुमार, जितेंद्र सिंह जैसे ओलिंपियन मुक्केबाज देने वाले भारतीय खेल प्राधिकरण को लगता है बंद करने की तैयारी है। कम से कम जो गतिविधियां चल रही हैं इनसे तो ऐसा ही लग रहा है। यहां पर 110 खिलाड़ियों की सीट होती थी अब इनकाे घटा कर 50 कर दिया गया है। इससे पहले भी यहां खेलों की संख्या घटा दी गई थी। खिलाड़ियों का कहना है कि साजिश के तहत भिवानी को खेलों के नक्शे से पीछे धकेलने का प्रयास किया जा रहा है। यह असहनीय है।
मल्टीपर्पज हाल की मुख्यमंत्री मनोहरलाल की घोषणा आज तक पूरी नहीं
भिवानी के भीम स्टेडियम में एक किरोड़ी कुश्ती दंगल का आयोजन किया गया था। उसके समापन पर 23 मार्च 2018 को मुख्यमंत्री मनोहरलाल आए थे। उन्होंने यहां भीम स्टेडियम में मल्टीपर्पज हाल बनाने की घोषणा की थी। तीन साल से ज्यादा का समय बीत गया है पर आज तक मुख्यमंत्री घोषणा फाइलों में दब कर रह गई है। इसके अलावा यहां पर अनुसूचित जाति खिलाड़ियों के लिए हास्टल बनना था जो आजतक नहीं बना।
खेल विश्वविद्यालय का सपना भी नहीं हुआ पूरा
वर्ष 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भिवानी में खेल विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा की थी। इसे लेकर जरूरी औपचारिकता पूरी नहीं होने का बहाना कर खेल विश्वविद्यालय मिलने का यहां के लोगों का सपना आज तक अधूरा है। पिछले दिनों में स्वप्रेरित गांव सूई में जब राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द आए तो उम्मीद जगी थी खेल विश्वविद्यालय मिलेगा लेकिन एकबार फिर से निराशा ही मिली।
चिंता का विषय
नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कई नामी खिलाड़ियों ने बताया कि खिलाड़ी अपने दम पर अभ्यास कर भिवानी, प्रदेश और देश का नाम रोशन कर रहे हैं। यहां खेल सुविधाएं बढ़ाने की बजाय घटाई जा रही हैं। यह बहुत ही चिंता का विषय है। सरकार यहां खेल सुविधाएं बढ़ाए तो खिलाड़ी देश के लिए पदकों की झड़ी लगा सकते हैं।