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केंद्र सरकार के अध्यादेशों के समर्थन में उतरे प्रगतिशील किसान संगठनों के सदस्य

किसानों का कहना था कि यह अध्यादेश किसानों को अपना उत्पाद देश भर में कहीं भी बेचने का अवसर देते हैं। यह किसानों की आर्थिक आजादी के लिये उठाया गया सही कदम है। हम स्थानीय मंडियों में अपने उत्पाद बेचें चाहे प्रदेश में या पूरे देश में कहीं भी हमारे लिए देश के बाजार खोल दिये गए हैं। किसान को उत्पाद बेचने के लिये चार विकल्प दिए गए हैं। किसान अपना माल बेचें उत्पादक संघ बनाकर अपना माल बेचें किसी व्यवसायी से अनुबंध करके अपना माल बेचें अथवा स्थानीय मंडी में समर्थन मूल्य पर अपना माल बेचें। चार विकल्प मिलना हमारे लिये खुशहाली के रास्ते खोलेगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 07:50 AM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 07:50 AM (IST)
केंद्र सरकार के अध्यादेशों के समर्थन में उतरे प्रगतिशील किसान संगठनों के सदस्य
केंद्र सरकार के अध्यादेशों के समर्थन में उतरे प्रगतिशील किसान संगठनों के सदस्य

जागरण संवाददाता, हिसार : केंद्र सरकार के तीन अध्यादेशों के समर्थन में किसान उत्पादक संघ, प्रगतिशील किसान संगठन तथा सहकारी किसान संगठन के बैनर तले बुधवार को बड़ी संख्या में किसान लघु सचिवालय पहुंचे। उन्होंने अध्यादेशों का समर्थन करते हुए इन्हें कानून का रूप दिए जाने की मांग की। किसानों ने इस संबंध में उपायुक्त के माध्यम से एक ज्ञापन पत्र भी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर को भेजा है।

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किसानों का कहना था कि यह अध्यादेश किसानों को अपना उत्पाद देश भर में कहीं भी बेचने का अवसर देते हैं। यह किसानों की आर्थिक आजादी के लिये उठाया गया सही कदम है। हम स्थानीय मंडियों में अपने उत्पाद बेचें, चाहे प्रदेश में या पूरे देश में कहीं भी, हमारे लिए देश के बाजार खोल दिये गए हैं। किसान को उत्पाद बेचने के लिये चार विकल्प दिए गए हैं। किसान अपना माल बेचें, उत्पादक संघ बनाकर अपना माल बेचें, किसी व्यवसायी से अनुबंध करके अपना माल बेचें अथवा स्थानीय मंडी में समर्थन मूल्य पर अपना माल बेचें। चार विकल्प मिलना हमारे लिये खुशहाली के रास्ते खोलेगा।

किसानों ने कहा कि अनुबंध खेती में ई- रजिस्ट्री में सारा लेखा-जोखा होगा। इससे अनुबंध करने वाला व्यवसायी अपनी शर्तो से भाग नहीं सकेगा। तीन उपबंधों के कारण कोई भी व्यवसायी अनुबंध खेती की आड़ में किसानों की जमीन नहीं ले सकेगा। कोई भी व्यवसायी एक बार अधिक धन देकर उसके चुकाने की एवज में किसानों से बंधुआ खेती भी नहीं करा सकेगा। कोई व्यवसायी हमारे खेत में यदि ट्यूबवेल व पोली हाउस जैसा ढांचा खड़ा कराता है और यदि वह अनुबंध के बाद निश्चित समय के भीतर उसे नहीं हटाता है, तो किसान उसका मालिक हो जाएगा।

अध्यादेशों का यह है फायदा

किसान नेताओं ने कहा कि इन अध्यादेशों में आवश्यक वस्तु अधिनियम में भी छूट दी है। लेकिन फल-सब्जी के दाम दोगुने व खाद्यान्नों, दलहन व तिलहन के दाम डेढ़ गुणा होने पर इस शर्त का प्रतिबंध लगा कर सरकार पुन अधिकार ले सकती है। इसमें काला बाजारी रोकने व उपभोक्ता को भी सुरक्षित करने का प्रावधान है। किसानों ने सरकार से मांग की है कि सभी ई-प्लेटफार्म सरकारी हो या सरकार की कठोरतम निगरानी में रखे जाएं, ताकि किसानों के साथ कोई धोखाधड़ी ना कर सके।


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