जिन्हें जीवन जीने की कला आती है, उनके लिए जीवन वरदान बन जाता है : मुनि विजय कुमार
जागरण संवाददाता हिसार कटला रामलीला स्थित तेरापंथ भवन के अहिसा सभागार में जीवन शैली कै
जागरण संवाददाता, हिसार : कटला रामलीला स्थित तेरापंथ भवन के अहिसा सभागार में जीवन शैली कैसी हो विषय पर बोलते हुए महातपस्वी आचार्य महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासन मुनि विजय कुमार ने कहा कि मनुष्य का जीवन बड़ा मूल्यवान और महत्वपूर्ण है इसकी मूल्यवता और महत्ता का अंकन करने वाले विरले भाग्यशाली व्यक्ति ही होते हैं। जीवन जीने की कला में जो निष्णात होते हैं उनके लिए यह जीवन वरदान बन जाता है। उनका वर्तमान जीवन आनंदमय होता है और भावी जीवन भी सुखदायी होता है। जो जीने की कला से अनभिज्ञ होते हैं, उनके लिए यह सुनहरा जीवन अभिशाप बनकर रह जाता है, उनके वर्तमान और भावी जीवन दोनों ही कष्टदायक होते हैं। हर व्यक्ति जीवन में सदा मंगल भोर देखना चाहता है, इसके लिए जरूरी है कि उसे जीने की कला का ज्ञान हो।
मुनि श्री ने कहा कि दो प्रकार की विचारधारा दुनिया में देखने को मिलती है भोगवादी और त्यागवादी। भोगवादी विचारधारा के अनुसार यह मनुष्य का जीवन शारीरिक सुख भोगने के लिए मिला है। किसी प्रकार का नियंत्रण उसे स्वीकार नहीं है। त्यागवादी विचारधारा के अनुसार जीवन में संयम, नियम भी जरूरी है। प्रारंभ में सुधा जैन ने मंगल गीत प्रस्तुत किया। मुनीष जैन ने अपने विचारों की प्रस्तुति दी। प्रवचन में तेरापंथ सभा अध्यक्ष संजय जैन, तेरापंथ सभा मंत्री गौरव जैन, तेरापंथ सभा परामर्शक प्रमोद जैन, तेरापंथ सभा उपाध्यक्ष यशवंत जैन, प्रमोद जैन, राकेश जैन, राजेश जैन, तेरापंथ सभा सहमंत्री मुनीष जैन, अटल बिहारी जैन, प्रेक्षावाहिनी संवाहिका सुमन जैन, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष रविकांता जैन, विजया जैन व दीपा जैन आदि श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रही।