पति मर्चेंट नेवी में, जैविक खेती कर रही एमए, बीएड पास महिला, बढ़ रही उत्पादों की डिमांड
महिला किसान माया ने बताया कि जैविक खेती के सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं और जल्द ही पति कैप्टन सुरेश सिवाच के रिटायरमेंट पर 18 एकड़ के पूरे खेत में इसी ढंग से बागवानी गेहूं आदि तैयार करने का प्लान तैयार कर रही हैं।
चरखी दादरी [संदीप श्योराण] हमारे समाज को पुरुष प्रधान माना जाता है। जहां अधिकतर निर्णय पुरुषों द्वारा ही लिए जाते हैं और इनका अनुसरण करना महिलाओं का नैतिक दायित्व माना जाता है। लेकिन वर्तमान दौर में कई महिलाएं आधुनिक सोच, नई तकनीक आदि के सहारे कुछ नया करने के लिए आगे रही हैं। जिससे वे अपने स्तर पर किए गए नए कार्य के दम पर एक नई पहचान बनाती है। इसी का उदाहरण दादरी जिले के गांव मालकोष निवासी महिला किसान माया सिवाच है जो जहर मुक्त खेती कर लोगों को जैविक तरीके से तैयार सेहतमंद फल-सब्जी उपलब्ध करवा रही है।
एमए, बीएड डिग्री धारक महिला किसान के पति मर्चेंट नेवी में कार्यरत होने के कारण वे खेती की जुताई से लेकर बिक्री तक का सारा कार्य स्वयं ही संभालती हैं। आज के दौर में समय के साथ फसलों में रोगों, कीटों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। जिस कारण फसलों के उत्पादन में भी लगातार गिरावट आ रही है और इसका सीधा असर किसान की जेब पर पड़ रहा है। जिसके चलते उत्पादन को बढ़ाने के लिए किसान अपनी फसलों में अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों, जहरीले कीटनाशकों आदि का प्रयोग करते हैं।
किसानों द्वारा डाले गए रासायिनक, जहरीले पदार्थों को फल, सब्जी, अनाज के पौधे जमीन से अवशोषित करते हैं। जिसके कारण इनका प्रभाव प्रयोग करने वाले की सेहत पर पडऩा लाजिमी है। जानकारों के अनुसार लगातार बढ़ रहे कैंसर व एलर्जी के मरीज इसी का परिणाम हैं। जहर मुक्त खेती में बागवानी विभाग द्वारा विशेष सहयोग किया जा रहा है।
सात एकड़ में कर रही जैविक खेती
महिला किसान माया ने बताया कि उसने तीन एकड़ में हिसार सफेदा, ताइवान ङ्क्षपक व एक एकड़ में थाई एप्पल बेर लगा रखा है। इसके अलावा एक एकड़ आलू व दो एकड़ में दूसरी सब्जियां लगाने की तैयारी है। इससे पहले उन्होंने टमाटर व हरी मिर्च की खेती कर रखी थी। उन्होंने कहा कि वे पूरी तरह जैविक खेती करती हैं और अपने खेतों में डीएपी, यूरिया या किसी दूसरे रासायनिक उर्वरक का प्रयोग नहीं किया जाता है। वहीं जहरीले कीटनाशक, खरपतवार नाशक का भी प्रयोग नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि जैविक खेती के सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं और जल्द ही पति कैप्टन सुरेश सिवाच के रिटायरमेंट के बाद अपने 18 एकड़ के पूरे खेत में इसी ढंग से बागवानी, गेहूं आदि तैयार करने का प्लान तैयार कर रही हैं।
जैविक तरीका है सस्ता व सेहत भरा
जैविक खेती के लिए प्रयोग होने वाले अधिकतर उत्पाद घर पर ही तैयार हो जाते हैं। जिससे वे बाजार से खरीदे जाने वाले रसायनों की तुलना में काफी सस्ते पड़ते हैं। वहीं ये अधिकतर गोमूत्र, गाय के गोबर, गुड़, पेड़-पौधों के पत्तों आदि से तैयार जहरमुक्त होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान से भी बचाते हैं। महिला किसान ने कहा कि वे वेस्ट डी कंपोजर, गो कृपा अमृत आदि का प्रयोग करती हैं और इससे तैयार फल-सब्जी का स्वाद भी काफी अच्छा होता है। उनके बाग में 900 ग्राम तक के अमरूद भी लगते हैं।
बढ़ रही मांग
किसान माया ने बताया कि जहरमुक्त फल-सब्जी का स्वाद अच्छा होने व आसपास के उपभोक्ताओं को इसे तैयार करने के ढंग के बारे में जानकारी होने के कारण उनके उत्पादों की काफी डिमांड हैं। जिससे तैयार पूरा माल खेत में ही बिक जाता है। उन्होंने कहा कि वह शुरूआत में फल-सब्जी को बिक्री के लिए मंडी लेकर गई थी लेकिन वहां की भीड़ में इनके गुणों को विशेष ढंग से नहीं परखा गया। जिसके बंद मंडी की बजाय खेत में ही बिक्री कर रही हैं।