शोध की गुणवत्ता बढ़ाने को लुवास और सीडीएलयू सिरसा ने किया एमओयू
लाला लाजपत राय पशु-चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) ने चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय सिरसा के साथ शोध गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए मंगलवार को समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किये।
जागरण संवाददाता, हिसार : लाला लाजपत राय पशु-चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) ने चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय सिरसा के साथ शोध गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए मंगलवार को समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किये। लुवास में आयोजित इस कार्यक्रम में लुवास के अनुसंधान निदेशक डा. प्रवीन गोयल व सीडीएलयू विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. डा. असीम मिगलानी ने हस्ताक्षर किये। इस सहमति पत्र कार्यक्रम का आयोजन लुवास के मानव संसाधन विकास निदेशालय द्वारा किया गया। इस अवसर पर लुवास के स्नातकोत्तर अधिष्ठाता डा. जगतबीर फोगाट, मानव संसाधन विकास प्रबंधन निदेशिका डा. निर्मल सांगवान, अधिष्ठाता पशुचिकित्सा महाविद्यालय डा. दिवाकर शर्मा, ओएसडी डा. प्रदीप बामल, डा. अशोक कुमार विभागाध्यक्ष, डा. अशोक मलिक व सीडीएलयू विर्श्वविद्यालय की और से अनुसंधान अधिष्ठाता प्रो. सुरेश कुमार गहलावत उपस्थित थे। इस समझौते के उपरांत लुवास व सीडीएलयू में स्नातकोत्तर शिक्षा के छात्र तथा वैज्ञानिक एक दूसरे के संस्थान में उपलब्ध विभिन्न नवीनतम वैज्ञानिक उपकरणों व वैज्ञानिक जानकारियों का निशुल्क फायदा उठा सकेंगे। चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय, सिरसा के कुलसचिव ने इस मौके पर कहा कि सीडीएलयू विश्वविद्यालय ने जैव प्रौद्योगिकी, खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण विज्ञान, रसायन शास्त्र, भौतिकी, कंप्यूटर विज्ञान इत्यादि के क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए एक अद्वितीय सुविधा विकसित की है। इस समझौते के बाद इन दोनों विश्वविद्यालयों में मौजूद नवीनतम तकनीक का प्रयोग विर्श्वविद्यालयों द्वारा शोध की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किया जाएगा। संयुक्त परियोजनओं पर करेंगे कार्य -
इस अवसर पर लुवास के अनुसंधान निदेशक डा. प्रवीन गोयल ने बताया कि लुवास स्थित विभिन्न विभागों में डेयरी विज्ञान से संबंधित विशेष सुविधाएं एवं विशेषज्ञ उपलब्ध हैं और भविष्य में विभिन्न क्षेत्रों में दोनों विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिक संयुक्त परियोजनाओं पर कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि इस सहमति पत्र से दोनों विश्वविद्यालयों में उपलब्ध विशेष तकनीकी सुविधाओं का प्रयोग विद्यार्थी कर सकेंगे और इस से छात्र व वैज्ञानिक स्तर पर अनुसंधान के क्षेत्र में गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।