Lumpy skin disease: संक्रमित बेसहारा पशुओं का भी इलाज कर रहे ये पशु चिकित्सक, बोले- इनका कौन सहारा
राजस्थान के बॉर्डर के साथ लगते भिवानी जिले के गांव बरालु में वेटरनरी सर्जन डॉक्टर देवेंद्र असिस्टेंट मनमोहन बड़सीवाल और एंबुलेंस चालक राकेश कुमार बेसहारा पशुओं का इलाज कर रहे हैं। हालांकि उनकी जिम्मेदारी अभी पालतू पशुओं के लिए तय की गई है।
ढिगावा मंडी, मदन श्योराण। कोरोना वायरस ने जिस तरह इंसानों पर कहर बरपाया था। ठीक उसी तरह इन दिनों लंपी वायरस पशुओं पर कहर बरपा रहा है। इन हालातों के बावजूद जिले की पशु चिकित्सा व्यवस्था बदहाल है। पशु चिकित्सकों, पशुधन अधिकारियों, वैक्सीनेटर के कई पद खाली होने से पशुपालकों को भारी दिक्कतें हो रही हैं। लेकिन इन सब कारणों के बीच जैसे तैसे पशुपालक अपने पालतू पशुओं का तो उपचार करवा रहे हैं लेकिन बेसहारा पशुओं का सहारा कोई नहीं बन रहा ऐसे में सड़कों, गांव और खेतों में घूम रहे बेसहारा पशुओं के लिए चल पशु चिकित्सालय वेन संजीवनी बनकर आया है।
दैनिक जागरण टीम इन हालातों को जानने के लिए गांव, खेतों में बनी ढाणी और सड़कों पर घूम रहे बेसहारा पशुओं पर लंपी वायरस के हालात जानने के लिए पहुंची तो कुछ अलग ही देखने को मिला। राजस्थान के बॉर्डर के साथ लगते गांव बरालु में वेटरनरी सर्जन डॉक्टर देवेंद्र, असिस्टेंट मनमोहन बड़सीवाल और एंबुलेंस चालक राकेश कुमार रोड के किनारे बेसहारा पशुओं का इलाज कर रहे थे। बातों ही बातों में पूछा कि क्या आप हर रोज बेसहारा पशुओं का इलाज इसी प्रकार करते हो, तो डॉक्टर देवेंद्र ने मुस्कुराते हुए कहा कि लोग कितने बदल गए हैं।
अपने पशुओं के लिए तो बार-बार फोन कर देते हैं लेकिन इन बेसहारा पशुओं के लिए कोई सहारा नहीं बनता यहां तक की फोन करना भी उचित नहीं समझते। लेकिन कई बार युवा साथी हमारे तक सूचना पहुंचा देते हैं तो वह और उनकी टीम तुरंत वहां पहुंच जाते हैं या फिर चलते फिरते भी कोई पीड़ित पशु नजर आता है तो वहीं पर रुक कर उसका इलाज करने में जुट जाते हैं। बताया कि वह हर रोज करीब 30 से 35 पशुओं का इलाज करते हैं।
क्या है चल पशु शिक्षालय योजना
चल पशु चिकित्सालय योजना के तहत पशु पालन एवं डेयरी विभाग द्वारा पशु अस्पताल रहित गांवों में जाकर पशुओं का इलाज किया जा रहा है,जिससे पशुपालकों को पशु के इलाज के लिए दूर-दराज भटकना नहीं पड़ रहा है। डॉ देवेंद्र ने बताया कि पशु पालन एवं डेयरी विभाग द्वारा चल पशु चिकित्सालय की सुविधा दी जा रही है। इसके तहत जिन गांवों में विभाग के अस्पताल नहीं हैं, वहां चल पशु चिकित्सालय की गाड़ी जाती है और चिकित्सक पशुओं में होने वाली बीमारियों की जांच करने के साथ ही मौके पर दवा भी दे रहे हैं।
इस दौरान पशुओं की बीमारियों और लंपी वायरस बीमारी से बचने के उपाय की भी जानकारी ग्रामीणों को दी जा रही है। चल पशु चिकित्सालय योजना से अब तक करीब 3600 पशुओं का इलाज कर चुके हैं। योजना के चलते अब घर बैठे ही पशुपालकों को पशुओं की इलाज की सुविधा मिल रही है। वहीं विभाग का भी पूरा प्रयास है कि पशु पालकों को उनके गांव में ही पशुओं के इलाज की सुविधा मिल सके।
पशुपालकों से भी अपील है कि वो पशुओं के बीमार होने पर चल पशु चिकित्सालय गाड़ी पर आकर पशुओं की जांच कराएं और दवाई भी लें। निजी डॉक्टरों के चक्कर में ना पड़ें। वेटरनरी सर्जन डॉक्टर देवेंद्र ने बताया कि लंपी वायरस बीमारी से पशु के शरीर पर गांठें बन जाती हैं और जब मक्खी-मच्छर जब इस पर बैठते हैं, तो यही इस बीमारी को अन्य स्वस्थ पशुओं में ट्रांसफ़र कर देते हैं।