हिसार के ऋषिनगर में लगा एलपीजी प्लांट
वीरवार को कंपनी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डा. अनुभव मिश्रा के नेतृत्व में कंपनी की 5 सदस्यीय टीम हिसार पहुंची। उन्होंने श्मशानभूमि समिति के प्रधान महावीर सैनी के सामने प्लांट का निरीक्षण किया और कई प्वाइंटों पर उसकी टेस्टिंग की। मिश्रा ने कहा कि प्लांट तैयार है।
जागरण संवाददाता, हिसार : ऋषि नगर श्मशानभूमि पर अब शव के दाह संस्कार के लिए लकड़ियों पर निर्भरता खत्म होगी। मात्र 30 से 45 मिनट में 17 किलोग्राम एलपीजी गैस से एक शव का दाह संस्कार होगा। इसके लिए निजी कंपनी ने ऋषि नगर में लगाए गए एलपीजी प्लांट का काम पूरा करने की दावा किया है। वीरवार को कंपनी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डा. अनुभव मिश्रा के नेतृत्व में कंपनी की 5 सदस्यीय टीम हिसार पहुंची। उन्होंने श्मशानभूमि समिति के प्रधान महावीर सैनी के सामने प्लांट का निरीक्षण किया और कई प्वाइंटों पर उसकी टेस्टिंग की। मिश्रा ने कहा कि प्लांट तैयार है। शुक्रवार को निगम प्रशासन को टेस्टिंग करवाकर प्लांट सौंप दिया जाएगा।
महावीर सैनी ने कहा कि सरकार का यह बेहतर प्रोजेक्ट है, जो विधायक डा. कमल गुप्ता के माध्यम से सिरे चढ़ा। अब शहरवासियों को लकड़ी से दाह संस्कार के स्थान पर एक अतिरिक्त विकल्प मिल चुका है। इससे अंतिम संस्कार में लगने वाले समय व धन की भी बचत होगी। धुआं भी नहीं होगा, क्योंकि अब लकड़ियों फूंकने की जरूरत नहीं होगी। गैस आधारित संस्कार पारंपरिक तौर पर अपनाई जाने वाली क्रिया से सस्ता और आधुनिक होगा। इससे पर्यावरण को भी लाभ होगा।
निजी कंपनी से डा. अनुभव मिश्रा के नेतृत्व में गुरुग्राम से आई 5 सदस्यीय टीम में आशीष चौहान, राजू नरूला और जयनारायण हिसार पहुंचे। उन्होंने देर सायं तक श्मशानभूमि के प्रधान महावीर सैनी और स्टाफ को एलपीजी प्लांट के बारे में जानकारी दी। अनुभव मिश्रा ने बिजली व्यवस्था, कंट्रोल यूनिट सहित विभिन्न प्वाइंटों की जांच की। साथ ही प्रधान को बताया कि कैसे अंतिम संस्कार के बाद अस्थि फूल प्राप्त किए जा सकते हैं। कितनी देर में दाह संस्कार होगा, कितनी गैस लगेगी और इनकी संख्या कैसे बढ़ाई जा सकती है। साथ ही ऑटोमेटिक सिस्टम होगा। महावीर सैनी ने यह भी बताया कि औसतन 7 से 10 शवों का प्रतिदिन दाह संस्कार होता है। समय व धन दोनों की होगी बचत
- लकड़ी से एक शव के दाह संस्कार में 9 मन (3.60 क्विंटल) या अधिकतम 11 मन (4.40 क्विंटल) लकड़ी लगती है। प्रति मन 300 रुपये लकड़ी दी जाती है। लकड़ी से संस्कार में एक पेड़ खत्म हो जाता है। संस्कार में लकड़ी का अधिकतम खर्च 3300 रुपये रहता है।
- अनुभव मिश्रा बोले कि एलपीजी से दाह संस्कार में 17 किलोग्राम एलपीजी गैस लगेगी। इसमें करीब 1500 रुपये का खर्च आएगा। पर्यावरण की सुरक्षा भी होगी।
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एक हजार गज में लगे प्लांट से यह होगा लाभ
- लकड़ी का प्रयोग नहीं होने से पेड़ों की कटाई कम होगी।
- समय की बचत होगी।
- लकड़ी से होने वाले प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी।
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वर्जन :
गुरुग्राम से टीम श्मशानभूमि में लगे एलपीजी प्लांट को देखने आई है। शुक्रवार को निगम को प्रोजेक्ट दिखाने की बात कही है। निगम की अनुमति मिलते ही एलपीजी से दाह संस्कार की शुरुआत कर देंगे।
- महावीर सैनी, प्रधान, ऋषि नगर श्मशानभूमि हिसार।