एक छत के नीचे तीन पीढिय़ां, एक चूल्हे पर बनता खाना, खुद पराेसती हैं 87 वर्षीय रतनी देवी
हरियाणा के एक गांव में 87 वर्षीय रतनी देवी के परिवार में हैं अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पहलवान। आज भी बहुओं से बनवा कर खुद परोसती हैं खाना। बहुओं की खाना बनाने में करती हैं मदद।
भिवानी [सुरेश मेहरा] 87 वर्षीय रतनी देवी के संस्कार ही हैं कि बढ़ते एकल परिवारों के इस दौर में 25 सदस्यों का भरा पूरा परिवार एक ही छत के नीचे रहता है। इतना ही नहीं आज भी ये बुजुर्ग महिला पूरी तरह से स्वस्थ हैं और बहुओं से खाना बनवा कर खुद अपने बेटों, पौतों, बहुओं के अलावा यहां रह रहे दो भांजों के परिवार को खाना परोसती हैं।
वह अब भी पूरी तरह स्वस्थ हैं और अपनी बहुओं को खाना बनाने तक में कुछ हद तक मदद कर देती हैं। इस परिवार की तीन पीढिय़ों का आपसी प्रेम देखते ही बनता है। हरियाणा के भिवानी में गांव बामला का यह परिवार फिलहाल सेक्टर 13 के मकान नंबर 1403 में रह रहा है। बुजुर्ग रतनी देवी कहती हैं कि पूरा परिवार साथ हो तो खुशियां बढ़ती हैं। आपसी प्रेम ही है जो एकता बनाए रखता है। मैने अपने बच्चों को यही सीख दी है कि मिलजुल कर रहो।
रतनी देवी के परिवार में ये सदस्य एक साथ रहे
खुद रतनी देवी उम्र 87 वर्ष
इनके बड़े बेटे राजपाल रिटायर्ड हवलदार और कोच हैं।
दूसरे नंबर पर जगबीर सिंह ग्रेवाल हैं जो फिलहाल सुनारिया में हरियाणा पुलिस में डीएसपी हैं।
तीसरे नंबर पर श्रीपाल ग्रेवाल हैं जो हरियाणा पुलिस में एएसआई पद पर कार्यरत हैं।
चौथे नंबर पर विरेंद्र बल्ला रेलवे सीनियर हेड टीटी नई दिल्ली में हैं।
पांचवें नंबर पर सुरेश कुमार, कुश्ती कोच हैं।
ग्रेवाल परिवार के ये पांचों भाई कुश्ती के नामी पहलवान रहे हैं। सुरेश तो अभी कुश्ती कोच हैं और पहलवानों की फौज तैयार कर रहे हैं।
तीसरी पीढ़ी में ये हैं अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पहलवान
मनीष कुमार 97 किलो भार वर्ग में राष्ट्रीय स्तर के पहलवान हैं।
मोहित 125 किलो भार वर्ग में अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान हैं।
संयम 86 किलो में राष्ट्रीय स्तर के पहलवान हैं।
90 वर्षीय रणसिंह दंपति के परिवार की भी तीन पीढिय़ां रहती हैं एक साथ
गांव बामला निवासी 90 वर्षीय रणसिंह ग्रेवाल उनकी पत्नी 88 वर्षीय किताबो देवी के परिवार की भी तीन पीढिय़ां एक साथ रहती हैं। इस परिवार में 10 सदस्य हैं। गांव बामला के पूर्व सरपंच सुधीर पहलवान भी नामी पहलवान रहे हैं। यह परिवार फिलहाल सेक्टर 13 में रह रहा है। रणसिंह के दो बेटों में राजेंद्र ग्रेवाल पहले फोज में रहे इसके बाद डीपीई से पद से सेवानिवृत्त हुए। इनके अलावा पहलवान सुधीर के बेटे आशु 100 किलो भार वर्ग में छोटे बेटे प्रत्युस 90 किलो भार वर्ग में राष्ट्रीय स्तर के पहलवान हैं। बुजुर्ग दंपति आज भी पूरी तरह से स्वस्थ है और पूरे परिवार को संजो कर रखा है। इन्होंने संस्कारों की ऐसी सीख दी है कि पूरा परिवार आपसी प्रेम भाव से रह रहा है। इसलिए भी अहम माना जाता है कि वर्तमान में एकल परिवारोंं की जैसे बाढ़ आई है। संयुक्त परिवार टूट रहे हैं। लेकिन इस तरह के परिवार समाज के लिए मिसाल हैं।
सामाजिक सुरक्षा और त्याग की मिसाल होते हैं संयुक्त परिवार
संयुक्त परिवार एक छोटी सामाजिक संस्था भी होते हैं। इसमें सामाजिक सुरक्षा का भाव मजबूत होता है। आपसी प्रेम भाव के संस्कार इसमें सबसे प्रबल होते हैं। एक दूसरे के काम आने के भााव समाज में मजबूत होते हैं। त्याग की भावना संयुक्त परिवार में सबसे ज्यादा होती है। लेकिन वर्तमान में एकल परिवार बढ़ रहे हैं। समाज में जितना बिखराव हो रहा है आपसी प्रेम भाव कम हो रहा है उसके लिए एकल परिवार बहुत हद तक जिम्मेदार हैं। समाज को एकजुट और मजबूत बनाना है तो संयुक्त परिवार बनाने के लिए बुद्धिजीवियों को सार्थक पहल करनी होगी।
---डा. सतबीर सिंह, अध्यक्ष, मनोविज्ञान विभाग, चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय भिवानी।