घिसट-घिसट कर जी रहा था बेजुबान, वैज्ञानिकों ने व्हीलकार्ट बना दिया नया जीवनदान
लकवाग्रस्त कुत्ता घिसट-घिसट कर दर्द से कराहते हुए चल रहा था और विवि के वैज्ञानिकों ने उसके लिए व्हीलकार्ट बना दी। इससे अब कुत्ता आराम से चल पा रहा है।
हिसार, जेएनएन। आमतौर पर घरों में पाले जाने वाले पालतू जानवरों को कोई भी तकलीफ हो जाए तो हम उनका पूरा ख्याल रखते हैं। लेकिन गलियों से गुजरने और आपके घर के आसपास रहने वाले जानवरों की क्या कभी आपने सुध ली है। शायद नहीं। लेकिन लाला लाजपत राय पशुविज्ञान एवं पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक और विद्यार्थी बेजुबान पशुओं के साथ दिल से जुड़े होते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण तब सामने आया, जब एक लकवाग्रस्त कुत्ता घिसट-घिसट कर दर्द से कराहते हुए चल रहा था और विवि के वैज्ञानिकों ने उसके लिए व्हीलकार्ट बना दी। इससे अब कुत्ता आराम से चल पा रहा है। यह दूसरी बार है जब विवि के वैज्ञानिकों ने अपने परिसर में आए इस तरह के कुत्ते को उसके लायक पहिया गाड़ी बनाकर उसे चलने में सक्षम बना दिया।
ढाई माह के पिल्ले को छोड़ गया था कोई व्यक्ति
घटना 13 दिसंबर की थी। एक व्यक्ति करीब ढाई माह के पिल्ले को लेकर आया और अस्पताल परिसर में छोड़ गया। उसके पिछले पैर काम नहीं कर रहे थे और वह दर्द से कराह रहा था। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और डाक्टरों को लगा कि मालिक कहीं आसपास गया होगा। लेकिन जब कोई उसे लेने नहीं आया तो वैज्ञानिकों और विद्यार्थियों ने उसका एक्सरे किया। उसकी रीढ़ की हड्डी टूटी हुई थी, जिससे उसके शरीर के पिछले हिस्से में लकवा मार गया था। इसके बाद विद्यार्थियों ने इसे अपने पास रख लिया और इसका प्रतिदिन इलाज करना शुरू कर दिया। लेकिन उसका घिसटना किसी को रास नहीं आया तो वैज्ञानिकों ने उसका इलाज पूरा होने तक उसके लिए एक व्हीलकार्ट बना दी। अब वह कुत्ता ठीक तरीके से चल सकता है।
दो माह में ठीक होने की उम्मीद
कुत्ते का इलाज कर रहे लुवास में सहायक प्राध्यापक डा. संदीप सहारण ने बताया कि फिजियोथेरेपी की विभिन्न चार विधियों द्वारा कुत्ते का इलाज किया जा रहा है। कुत्ते के चलने के लिए उन्होंने अपनी टीम के साथ पहिया गाड़ी बनाई। जिसमें वह अब एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से आ-जा सकता है। उनकी टीम में डा. रिबू, डा. दीशांत और डा. विशाल शामिल है। डा. सहारण ने बताया कि कुत्ते की पूंछ हिलने लगी है और अब पैरों से भी कुछ रिएक्ट करने लगा है। उम्मीद है कि 2 महीने में वह ठीक हो जाए।