इस बार सर्दी के सीजन में कम हैं विवाह के शुभ मुहूर्त, 12 दिसंबर के बाद अप्रैल में ही बजेगी शहनाई
इस बार सर्दी के मौसम में शादियों के लिए शुभ मुहूर्त कम ही हैं। 25 नवंबर से देवउठनी एकादशी से शादियों का सिलसिला शुरू होगा और 12 दिसंबर को इस मौसम का आखिरी शुभ मुहूर्त होगा। उसके बाद तो 25 अप्रैल से ही शहनाई बजेगी।
बहादुरगढ़, जेएनएन। कोरोना काल के बीच इस बार ग्रहों की दशा भी प्रभावित हो रही है। यही वजह है कि इस बार सर्दी के मौसम में शादियों के लिए शुभ मुहूर्त कम ही हैं। 25 नवंबर से देवउठनी एकादशी से शादियों का सिलसिला शुरू होगा और 12 दिसंबर को इस मौसम का आखिरी शुभ मुहूर्त होगा। उसके बाद तो 25 अप्रैल से ही शहनाई बजेगी। इस बार तो जनवरी, फरवरी और मार्च में स्वत: सिद्ध मुहूर्त को छोड़ किसी दिन मुहूर्त ही नहीं है। ऐसे में शुरू के इन 18 दिनों में ही अधिकतर शादियां हो जाएंगी।
कोरोना की वजह से काफी परिवाराें ने लॉकडाउन से पहले ही बंदिशों के कारण शादियां टाल दी थी। अब ये शादियां नवंबर के अंत या दिसंबर की शुरूआत में हाेंगी। चूंकि 12 दिसंबर के बाद मुहूर्त के लिए लंबा इंतजार करना हाेगा, ऐसे में अधिकतर परिवार इन्हीं 18 दिनों में शादी समारोह निपटाने की जल्दी में हैं। शहर के ज्योतिषाचार्य पंडित नारायण भारद्वाज ने बताया कि 12 दिसंबर के बाद सीधे 25 अप्रैल को शुभ मुहूर्त हैं। इसकी वजह ये है कि गुरु और शुक्र ग्रह इस बार जल्दी अस्त हो रहेे हैं। उसके बाद ये अप्रैल में उदय हाेंगे। तभी शादियां होंगी। शुभ मुहूर्त के लिए ग्रहाें की दशा ही अहम होती है। राशियों पर ग्रहों का प्रभाव होता है। उसी के अनुसार मुहूर्त तय होते हैं।
ये हैं स्वत: सिद्ध मुहूर्त
पंडित प्रवीण शास्त्री के अनुसार फुलैरा दूज, अक्षय तृतीया, बसंत पंचमी, भड़लियां नवमी और देवउठनी एकादशी के अलावा शीतला सप्लमी और निर्जला एकादशी को भी स्वत: सिद्ध मुहूर्त माना जाता है। जिन राशियों में शादियों के लिए शुभ मुहूर्त नहीं मिल रहे हों, उन जोड़ों की शादी इन स्वत: सिद्ध मुहूर्त में से किसी भी दिन तय कर ली जाती है। अब देवउठानी एकादशी से तो शादियों का सिलसिला शुरू होगा। उसके बाद अप्रैल तक बीच में बसंत पंचमी और फुलैरा दूज का स्वत: सिद्ध मुुहूर्त ही है और किसी दिन मुहूर्त नहीं है। बाकी स्वत: सिद्ध मुहूर्त इन तिथियो के बाद आएंगेे।