खेती के साथ डेयरी और मशरूम उत्पादन जैसे अन्य व्यवसाय अपनाएं किसान : डा. ग्रेवाल
किसानों की आय को दोगुणा करने के लिए परंपरागत खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन, मछली पालन, पोल्ट्री, मशरूम उत्पादन, फल, फूल व सब्जी उत्पादन, डेयरी, कृषि वानिकी जैसे व्यवसायों को अपनाया जाना बहुत जरूरी है।
जागरण संवाददाता, हिसार : किसानों की आय को दोगुणा करने के लिए परंपरागत खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन, मछली पालन, पोल्ट्री, मशरूम उत्पादन, फल, फूल व सब्जी उत्पादन, डेयरी, कृषि वानिकी जैसे व्यवसायों को अपनाया जाना बहुत जरूरी है। यह बात मंगलवार को चौधरी चरण ¨सह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एचएयू के एग्रीकल्चर कॉलेज डीन डा. केएस ग्रेवाल ने कही। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के सौजन्य से विस्तार शिक्षा संस्थान, नीलोखेड़ी द्वारा आयोजित किए जा रहे इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केन्द्रों पर कार्यरत कृषि विस्तार विशेषज्ञों और राज्य कृषि विभाग में कार्यरत कृषि अधिकारियों सहित लगभग 40 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। विश्वविद्यालय के मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डा. एमएस सिद्धपुरिया एवं विस्तार शिक्षा निदेशक डा. आरएस हुड्डा विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में मौजूद रहे।
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कृषि यूनिट को व्यवसाय के रूप में स्थापित करने में करें सहयोग -
डा. एमएस सिद्धपुरिया ने प्रतिभागियों से अपील की कि वे विश्वविद्यालय तथा किसानों के बीच सामंजस्य स्थापित करके किसानों तक अधिक से अधिक कृषि संबंधी जानकारी पहुंचाने का कार्य करें। इस अवसर पर डा. केएस ग्रेवाल ने फसलों की अधिक पैदावार लेने के लिए मृदा स्वास्थ्य की महता एवं इसके सुधार तथा ¨सचाई के समुचित प्रयोग के बारे में विस्तार से बताया। इस दौरान विस्तार शिक्षा संस्थान, नीलोखेड़ी के क्षेत्रीय निदेशक डा. लाभ ¨सह, डा. एमएस ग्रेवाल, फेकल्टी सलाहकार, डा. एसआर वर्मा ने किया। प्रशिक्षण में डा. कृष्ण यादव, डा. सूबे ¨सह, डा. संदीप भाकर आदि भी मौजूद रहे।