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स्वास्थ्य विभाग के महंगे प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में,निजी अस्पतालों के चक्कर काट रहे मरीज

लंबे अरसे से कार्डिकेयर यूनिट, सिटी स्कैन और प्री मैच्योरेंस बच्चों को रेटिना से संबंधित बीमारी के इलाज के लिए महंगे उपकरणों जैसे प्रोजेक्ट आज भी अधर में लटके हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Apr 2018 02:56 PM (IST)Updated: Thu, 05 Apr 2018 03:03 PM (IST)
स्वास्थ्य विभाग के महंगे प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में,निजी अस्पतालों के चक्कर काट रहे मरीज
स्वास्थ्य विभाग के महंगे प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में,निजी अस्पतालों के चक्कर काट रहे मरीज

जेएनएन, हिसार :

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गरीबों को बेहतर चिकित्सा सुविधा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग चाहे कितने भी लाख दावें कर ले, लेकिन अधिकारियों की लेट-लतीफी और एक मेज से दूसरे मेज तक फाइल पहुंचने में देरी होने से करोड़ों रुपये की प्रोजेक्ट अटके रहते हैं, जिस कारण अधर में प्रोजेक्ट लटकने से धरातल पर मरीज बेहतरीन चिकित्सा सुविधा से वंचित रह जाते हैं। नागरिक अस्पताल भी इस समस्या से अछूता नहीं है। लंबे अरसे से कार्डिकेयर यूनिट, सिटी स्कैन और प्री मैच्योरेंस बच्चों को रेटिना से संबंधित बीमारी के इलाज के लिए महंगे उपकरणों जैसे प्रोजेक्ट आज भी अधर में लटके हैं। कारण यह है कि एक तो मुख्यालय में एक मेज से लेकर दूसरे मेज तक फाइल पहुंचने में लंबा समय बीत जाता है, जिस कारण कुछ प्रोजेक्ट तो फाइलों में ही दबकर रह जाती है। दो साल से अटका है कार्डिकेयर यूनिट

हार्ट संबंधित रोगों को बेहतरीन सुविधा प्रदान करने के लिए जिले स्तर पर कार्डिकेयर यूनिट की व्यवस्था करने का फैसला लिया गया था, जिस पर स्वास्थ्य विभाग ने लाखों रुपये का बजट भी जारी कर दिया। साथ ही टेंडर भी दे दिए गए। ताकि हार्ट संबंधित बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को नागरिक अस्पताल में ही बेहतरीन सुविधा प्रदान की जा सकें और वे अग्रोहा, पीजीआई के लिए रेफर न हो। कुछ रेयर केस में ही उन्हें नागरिक अस्पताल से रेफर किया जा सकें, जिस कारण मरीजों को अग्रोहा व पीजीआई तक पहुंचने में अपनी जान न गंवानी पड़े। साथ ही मरीज प्राइवेट अस्पतालों में न जाने के लिए बाध्य हो, जिससे उसे भारी राशि न चुकानी पड़े। लेकिन अधिकारियों की लेट-लतीफी के कारण खामियाजा आज भी मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

सिटी स्कैन प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में

स्वास्थ्य विभाग की ओर से छह माह पूर्व नागरिक अस्पताल में सिटी स्कैन और आंखों में रेटिना संबंधित विकारों को दूर करने के लिए अत्याधुनिक उपकरणों की व्यवस्था करने का फैसला लिया गया था। ताकि मरीजों को शरीर के किसी भी हिस्से विकारों के बारे में जानने के लिए सिटी स्कैन की व्यवस्था नागरिक अस्पताल में मिल सकें, जिस कारण मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में जाकर भारी राशि न चुकानी पड़े। मुख्यालय की ओर से सिटी स्कैन के लिए लाखों रुपये का बजट जारी किया जा चुका है। ताकि मरीजों को जल्दी ही सिटी स्कैन की सुविधा मिल सकें। लेकिन अधिकारियों की लेट-लतीफी के कारण अभी तक नागरिक अस्पताल में रुम का ही इंतजाम हो पाया है। प्री मैच्योरेंस बच्चों के लिए नेत्र जांच सुविधा अटकी

रेटिना से संबंधित आंखों के विभिन्न विकारों को जानने के लिए नागरिक अस्पताल में कुछ माह पहले अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस मशीन की घोषणा की गई थी। ताकि विशेष तौर पर प्री-मैच्योरेंस बच्चों को आंखों के रेटिना में होने वाले हर प्रकार के विकारों के बारे में पता लगाया जा सकें। ताकि हर मरीज निशुल्क रुप से नागरिक अस्पताल में यह सुविधा का लाभ उठा सकें। लेकिन एक मेज से दूसरी मेज तक फाइल में देरी होने के कारण आज तक यह प्रोजेक्ट भी सिरे नहीं चढ़ पाया है। परिणामस्वरूप, सीधा प्रभाव मासूमों पर पड़ रहा है, जिस कारण वे प्राइवेट अस्पतालों की ओर रुख करने पर मजबूर है। सिटी स्कैन, सीसीयू और प्री मै'योरेंस ब'चों के लिए आंखों संबंधित विकारों को जानने के लिए तमाम उपकरणों के प्रोजेक्टों में तेजी लाई जाएगी। साथ ही चिकित्सकों की कमी को भी जल्दी ही दूर किया जाएगा।

डा. दयानंद, प्रधान चिकित्सा अधिकारी, नागरिक अस्पताल।


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