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जिस पूर्व मंत्री से हर किसी ने कर लिया था किनारा, अब नेता तलाश रहे उन्‍हीं का सहारा

निगम चुनाव में पूर्व मंत्री हरिसिंह सैनी के हाथी-घोड़ेे पस्‍त थे।उनकी पुत्रवधू को किसी का समर्थन नहीं मिला। अब बीरेंद्र सिंहकुलदीप बिश्‍नोई अजय चौटाला समर्थन मांगने पहुंचे हैं।

By manoj kumarEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 06:12 PM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 11:09 AM (IST)
जिस पूर्व मंत्री से हर किसी ने कर लिया था किनारा, अब नेता तलाश रहे उन्‍हीं का सहारा
जिस पूर्व मंत्री से हर किसी ने कर लिया था किनारा, अब नेता तलाश रहे उन्‍हीं का सहारा

हिसार [रोकेश क्रांति] कहते हैं-राजनीति शतंरज के खेल के माफिक है। कभी पलड़ा भारी, कभी हलका। मगर चाल चलने का मौका सबको मिलता है। पांच महीने पहले तक नगर निगम की चुनावी चौसर पर पूर्व मंत्री हरिसिंह सैनी के हाथी-घोड़ेे पस्‍त थे। सैैैैनी ने अपनी पुत्रवधु रेखा को मेयर बनाने के लिए कई दांव खेले मगर कामयाबी नहीं मिली। शहर के राजनीतिक घरानों ने सैनी से किनारा कर लिया। अब वे राजनीतिक घराने लोकसभा की चुनावी चौसर पर फतह हासिल करने के लिए सैनी हाउस का दरवाजा खटखटा रहे हैं।

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पिछले पांच दिनों में केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह, पूर्व सांसद कुलदीप बिश्‍नोई और पूर्व सांसद अजय सिंह चौटाला अपने-अपने बेटों के लिए समर्थन मांग चुके हैं। बीरेंद्र और कुलदीप उनसे मिलने खुद पहुंचे थे। अजय ने दुष्‍यंत चौटाला को भेजा था। सैनी ने फिलहाल किसी भी दल को आश्‍वस्‍त नहीं किया है। वे जल्‍द अपने समर्थकों के साथ बैैैैठक करके फैसला करेंगे। वैसे सैनी फिलहाल किसी भी राजनीतिक दल में सक्रिय नहीं है।

वे पिछले कई महीनों से अस्‍वस्‍थ हैंं। भले ही सैैैैनी अपने राजनीतिक करियर में केवल एक बार चिधानसभा चुनाव जीते हैं मगर ओमप्रकाश महाजन और ओमप्रकाश जिंदल के साथ उनकी चुनावी जंग जबरदस्‍त होती थी। हिसार के अलावा हांसी, बरवाला और नलवा में उनका अच्‍छा-खासा वोट बैंक है।

भव्‍य के लिए सबसे पहले पहुंचे कुलदीप

कांग्रेस ने अभी तक प्रत्‍याशी घोषित नहीं किया है लेकिन कुलदीप बिश्‍नोई अपने बेटे भव्‍य को पार्टी प्रत्‍याशी बनवाने के लिए प्रयासरत है। 16 अप्रैल को कुलदीप अपने चंद समर्थकों के साथ सैनी आवास पहुंचे थे। कुलदीप ने जब बेटे के लिए समर्थन मांगा तो सैनी ने निगम चुनाव याद दिला दिया। निगम चुनाव में कुलदीप ने जिंदल हाउस के साथ मिलकर नगर परिषद के पूर्व अध्‍यक्ष हनुमान ऐरन की पत्‍नी रेखा ऐरन को प्रत्‍याशी घोषित किया था। ऐसा पहली बार हुआ था जब दोनों राजनीतिक घराने एक मंच पर आए थे।

सैनी को इन दोनों घरानों से सहयोग की उम्‍मीद थी लेकिन ऐरन को प्रत्‍याशी बनाने पर उम्‍मीदें पूरी नहीं हुई। सैनी ने कुलदीप को उस वक्‍त साथ दिया था, जब कांग्रेस से अलग होकर पूर्व सीएम भजनलाल ने कुलदीप के नेतृत्‍व में हरियाणा जनहित कांग्रेस का गठन किया था। बताते हैं कि सैनी ने उस दौर को बातों-बातोंं में याद दिलाया। खैर, चाय की चुस्‍कियों के बीच हल्‍की-फुल्‍की शिकायतों के बीच बैठक सौहार्दपूर्ण रही मगर सैनी ने कोई वायदा नहीं किया।

अगली सुबह बृजेंद्र के लिए मिले बीरेंद्र

हिसार से तीन बार चुनाव लड़ चुके केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह अपने बेटे बृजेंद्र सिंह का राजनीतिक करियर हिसार से शुरू करना चाहते हैं। इसके लिए उन्‍होंने बेटे से आईएएस से कुर्सी छुड़वा दी और खुद भी मंत्री और राज्‍यसभा सदस्‍य के पद से इस्‍तीफा दे दिया। भाजपा से प्रत्‍याशी बृजेंद्र के चुनाव में सहयाेेेग के लिए बीरेंद्र 17 अप्रैल की सुबह सैनी आवास पहुंचे थे। बीरेंद्र और सैनी के बीच पुराने राजनीतिक संबंध रहे हैं।

वे कांग्रेस में एक साथ कार्य कर चुके हैं। मेयर चुनाव में भाजपा के प्रत्‍याशी गौतम सरदाना थे। उस चुनाव में बीरेंद्र का कोई हस्‍तक्षेप नहीं था। हालांकि सैनी ने पुत्रवधु रेखा के लिए भाजपा से संपर्क साधने का प्रयास किया था। उस चुनाव में रेखा जब जंग हारने लगी थीं तो भाजपा के एक वरिष्‍ठ नेता ने सैनी के पास सरदाना का समर्थन करने का प्रस्‍ताव भेजा था। उस प्रस्‍ताव को सैनी ने नकार दिया था। खैर, सैनी और बीरेंद्र की मुलाकात में भी कोई निष्‍कर्ष नहीं निकला। सैनी ने बैठक को गुप्‍त रखा और बीरेंद्र को समर्थन देने का भी ऐलान नहीं किया।

नामांकन के बाद पहुंचे दुष्‍यंत चौटाला

हिसार से फिर से सांसद बनने के लिए नामांकन दाखिल करने के बाद शाम करीब पांच बजे सांसद दुष्‍यंत चौटाला ने पूर्व मंत्री सैनी से उनके आवास पर मुलाकात की। इससे एक रोज पहले अजय सिंह चौटाला ने सैनी से फोन पर बातचीत की थी। मेयर चुनाव में दुष्‍यंत की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने प्रत्‍याशी नहीं उतारा था। सैनी ने समर्थन के लिए संपर्क साधा था मगर कोई निष्‍कर्ष नहीं निकला था। चुनाव में दुष्‍यंत के कई समर्थक गौतम के लिए वोट मांगते नजर आए थे। सैनी ने चुनाव याद दिलाया और अपने गिले-शिकवे भी खुलकर रखे।

बताते हैं कि दुष्‍यंत ने अपने तर्क दिए मगर सैनी पर फिलहाल कोई खास असर नहीं दिखा। यहां बता दें कि सैनी के राजनीतिक करियर में उछाल दुष्‍यंत के पड़दादा चौधरी देवीलाल के समय आया था तब उनकी लहर में सैनी ने हिसार से चुनाव जीता था। करीब आधे घंटे तक दुष्‍यंत के साथ उनकी बैठक भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची। इन तीनों बैठकों को लेकर जब सैनी से संपर्क साधा तो उन्‍होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।


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