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मैसेंजिंग के चक्कर में बच्चे भूलने लगे भाषा ज्ञान, क्‍या आप रख रहे हैं इन बातों का ध्‍यान

11वीं और 12वीं कक्षा के 700 बच्‍चों पर किया सर्वे, बच्‍चों ने बताया कि सोशल मीडिया साइट पर बात करते समय वो किस तरह से भाषा और अक्षरज्ञान को भूल रहे हैं और दिक्‍कत हो रही है

By manoj kumarEdited By: Published: Mon, 08 Oct 2018 12:24 PM (IST)Updated: Mon, 08 Oct 2018 12:32 PM (IST)
मैसेंजिंग के चक्कर में बच्चे भूलने लगे भाषा ज्ञान, क्‍या आप रख रहे हैं इन बातों का ध्‍यान
मैसेंजिंग के चक्कर में बच्चे भूलने लगे भाषा ज्ञान, क्‍या आप रख रहे हैं इन बातों का ध्‍यान

बहादुरगढ़, [कृष्ण वशिष्ठ]: फेसबुक, वाट्सएप, टवीटर व ईमेल जैसे इलेक्ट्रॉनिक कम्यूनिकेशन के माध्यमों पर चेटिंग बच्चों के दिमाग पर गहरा प्रभाव डाल रही है। बच्चे इलेक्ट्रॉनिक कम्यूनिकशन के माध्यम से शब्दों को शार्ट फार्म में लिखते हैं जो उन्हें वास्तविक भाषा ज्ञान व शब्दावली से उन्हें दूर ले जा रहा है। शार्ट फार्म की इस मैसेजिंग के चक्कर में आकर बच्चे अक्षरज्ञान भूलने लगे हैं।

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बच्चों के दिमाग की डिक्शनरी में शब्दावली कम हो रही है। कुछ ऐसे ही चौंकानेे वाले तथ्य एक सर्वे में आए हैं। सोनीपत के हिंदू बीएड कालेज की पूर्व प्राचार्या एवं वर्तमान में ग्रेटर नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी की डीन आफ स्कूल एजुकेशन रेणु गुप्ता ने की ओर से यह सर्वे किया गया है। उन्होंने इंटरनेट मैसेजिंग के प्रभावों को लेकर दिल्ली के चार प्रतिष्ठित स्कूलों के 11वीं व 12वीं के करीब 700 विद्यार्थियों पर यह सर्वे किया है। 

शॉर्ट फार्म के कारण भूल रहे शब्‍दावली
इस सर्वे में 64 फीसद युवाओं ने बताया कि वे वाट्सएप, फेसबुक, ईमेल आदि पर चेटिंग के दौरान शब्दों की शार्ट फार्म का प्रयोग करते हैं। जैसे एआरइ की जगह आर लिख दिया, वाइओयू की जगह यू लिख दिया आदि। इन 64 फीसद किशोरों ने बताया कि वे अब सही शब्दावली धीरे-धीरे भूलने लगे हैं। किसी भी विषय पर निबंध, पत्र, कहानी आदि ठीक ढंग से नहीं लिख सकते।

व्याकरण जैसी अशुद्धि अधिक होने लगी है। वहीं 60 फीसद किशोरों ने तो जवाब दिया कि इलेक्ट्रॉनिक कम्यूनिकेशन के माध्यमों में फोर्मल भाषा के प्रयोग करने की जरूरत ही नहीं है। इन साधनों में तो शार्ट फार्म ही ठीक रहती है। कोई भी बात पूरी लिखने की बजाय सामने वाले को जो समझ में आ जाए ऐसे आधी-अधूरी बात लिखना ही इन माध्यमों पर उचित है।

 इंटरनेट के प्रयोग के दौरान बच्चों पर रखें निगरानी
शहर के वैश्य बीएड कालेज में साइबर क्राइम पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में इसी सर्वे को लेकर पेपर प्रस्तुत करने के बाद दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में शारदा यूनिवर्सिटी ग्रेटर नोएडा की डीन रेणु गुप्ता ने बताया कि मैसेजिंग की शार्ट फार्म आजकल बच्चों के ज्ञान को कम कर रही है। इसके लिए अपने बच्चों के प्रति अभिभावकों को जागरूक होना होगा।

बच्चों के साथ समय बिताना होगा। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इंटरनेट का प्रयोग करते समय बच्चों पर अभिभावकों ने हेलीकाप्टर वॉच (ऊपर से निगरानी) रखनी होगी, कि वे इंटरनेट पर क्या कर रहे हैं। साथ ही समय-समय पर यह पूछना होगा कि उन्होंने इंटरनेट पर क्या कुछ नया सीखा। कौन सी वेबसाइट खोली और उसमें क्या मिला। इंटरनेट का गलत प्रयोग भी बच्चों को साइबर क्राइम की तरफ धकेल रहा है।


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