HBSE 10th result: कोई सरकारी स्कूल में पढ़ा तो किसी ने नहीं ली कोचिंग, ऐसे बने टॉपर
हरियाणा शिक्षा बोर्ड के दसवीं कक्षा में टॉप करने वाले विद्यार्थी ज्यादातर मध्यम या निम्न मध्य वर्ग परिवारों से हैं। मगर सपने बड़े-बड़े हैं आइए जानें आखिर क्या है सफलता का राज
हिसार, जेएनएन। 500 में से 497 अंक हासिल करने वाले हरियाणा टॉपर झज्जर के हिमांशु एस्ट्रोनॉट या सिविल सर्विस को कैरियर के रूप में चुनते हुए आगे बढऩा चाहते हैं। हिमांशु ने बताया कि स्कूल से जाने के बाद करीब आठ घंटे की अतिरिक्त पढ़ाई से यह संभव हो पाया है। दो बड़े-बहन के साथ एक ही स्टडी रूम में पढऩे वाले हिमांशु की परीक्षा की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों सहित अन्य सभी के लिए सलाह है कि वे विषय बदल-बदल कर पढ़ाई करें। लगातार सीटिंग से अच्छा है कि कुछ समय के लिए ब्रेक लें। तीन नंबर कम आने का हिमांशु के पिता और उसे, दोनों को मलाल है।
एक साथ पढ़ते हैं तीनों भाई बहन
फार्मासिस्ट के रूप में कार्य कर रहे पिता जय सिंह और डाइटिशियन के रूप में काम करने वाली माता वीणा, ने अपने तीनों बच्चों को पढ़ाई के लिए आदर्श माहौल दिया है। दोनों ने बताया कि बड़े पंकज ने मेडीकल स्ट्रीम में इसी वर्ष 92 फीसद अंक प्राप्त किए है। दूसरे नंबर पर बेटी आरती अभी दस जमा दो कक्षा में न्यूटन स्कूल में ही पढ़ती है। घर में तीनों बच्चों के लिए पढ़ाई का अलग से कमरा बना हुआ है। जिसमें उन्हें सभी सुविधाएं मुहैया कराई गई है।
डिस्कवरी पर स्टीफन डगलस को देखकर हुए प्रभावित
हिमांशु ने बताया कि वैसे तो उसे टीवी देखना या मोबाइल आदि का इस्तेमाल पसंद नहीं है। सिर्फ पढ़ाई से जुड़ी एप के लिए मोबाइल प्रयोग करते है। डिस्कवरी पर एस्ट्रोनॉट स्टीफन डगलस को देखकर वे विशेष रूप से प्रभावित हुए है। हालांकि, उनसे जुड़े पहलुओं को पढ़ाई में तो लागू नहीं किया। लेकिन आसमान में उडऩे की सोच हमेशा ही दिमाग में रहती है। अगर ऐसा नहीं हो पाया तो सिविल सर्विसिज में जरूर आगे बढ़ूंगा।
मैथ टीचर नहीं था, जेबीटी ने पढ़ाया, सरकारी स्कूल की छात्रा ने प्रदेश में पाया दूसरा स्थान
बेटियों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे किसी से कम नहीं है। शुक्रवार को हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की तरफ से दसवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया। इसमें फतेहाबाद जिले के गांव गाजूवाला के राजकीय सीनियर सेकेंडरी विद्यालय की छात्रा रीतिका प्रदेश में दूसरे नंबर पर रही है। रीतिका ने 500 में से 496 अंक प्राप्त किए हैं। इसका श्रेय उसने स्कूल का स्टाफ तथा अपनी मां को दिया है।
मां देर रात तक उसके साथ जागती थी और किसी चीज की कमी नहीं आने देती थी। हमेशा पढऩे के लिए प्रेरित किया। रीतिका का कहना है कि उसने कभी कोचिंग नहीं ली, बल्कि स्कूल में ही शिक्षक स्कूल समय के बाद ढाई घंटे एक्सट्रा क्लास लगाकर पढ़ाते थे। यहां तक कि स्कूल में मैथ का टीचर न होने पर जेबीटी ने पढ़ाया।
घोषित परीक्षा परिणाम में उसके मैथ में 100 मे से 100 नंबर आए हैं। इसके अलावा इंग्लिश में 99, साइंस में 99, एसएस में 99 तथा बैंकिंग में 99 नंबर प्राप्त किए हैं। दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में रीतिका ने बताया कि उसे प्रदेश में प्रथम आने की उम्मीद थी, लेकिन वह दूसरे स्थान पर रही है यह भी उसके लिए गौरव की बात है। सरकारी स्कूल में पढ़ते हुए उसने प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। अब उसका मुख्य लक्ष्य अपने सपने को पूरा करना है। वह मैथ की टीचर बनना चाहती है।
14 से 15 घंटे दिया पढ़ाई को समय
रीतिका ने बताया कि पिता प्रॉपटी डीलर हैं और मां गृहिणी है। बहन अंजलि ने दसवीं कक्षा में 95 फीसद अंक लिए थे। उसने पहले ही ठान लिया था कि बहन से ज्यादा नंबर लेने हैं। अब उसने 99.2 फीसद नंबर लिए हैं। उसने 14 से 15 घंटे तक पढ़ाई की। कभी कोचिंग नहीं ली। मोबाइल का प्रयोग भी सिर्फ लेक्चर सुनने के लिए ही किया। जो विषय मुश्किल लगते थे उसे सुबह उठकर पढ़ी। सामाजिक विज्ञान में दिक्कत लगती थी, इसे पढऩे के लिए अलग-अलग समय में बांट लिया।
सिरसा की दो बेटियों ने पाया दूसरा व तीसरा स्थान, बोली कोचिंग जरूरी नहीं
सिरसा के ऐलनाबाद के सरस्वती हाई स्कूल की छात्रा दिव्या वर्मा ने 496 अंक हासिल कर प्रदेशभर में दूसरा स्थान हासिल किया है। दिव्या ने बताया कि राज्य में टॉप करने का लक्ष्य निर्धारित था और वह अधिवक्ता बनना चाहती है। दिव्य कहती है कि पढ़ाई में कोचिंग जरूरी नही है सेल्फ स्टडी जरूरी है। रूटीन छह से सात घंटे बिना तनाव के पढ़ाई करती थी। रात के 12 बजे तक पढ़ाई तथा सुबह स्कूल लगने से एक घंटा पहले उठकर तैयार होना उसकी दिनचर्या रही है। परिवार ने घर के काम को लेकर कभी पढ़ाई में बाधा नही बनाई।
प्रदेश में दूसरे स्थान हासिल करने वाली छात्रा दिव्या को मिठाई खिलाते हुए मम्मी पापा
पिता मुरलीधर वर्मा ऐलनाबाद में गांधी चौक पर मनियारी की दुकान करते हैं और मां गृहिणी है। परिवार में उसके अलावा दो बड़ी बहनें पूनम व प्रियंका हैं, जिन्होंने बारहवीं कक्षा 97 व 93 फीसद अंकों से पास की है। छोटा भाई तुषार सरस्वती स्कूल में छठी कक्षा में पढ़ता है।
पॉयलट बनना चाहती है मुस्कान, गाने सुनना है पसंद
सिरसा के एसएस जैन कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की छात्रा मुस्कान प्रदेशभर में तृतीय रही है। मुस्कान के 495 अंक हैं। उसके पिता संजय चौपटा गांव में करियाणा की दुकान करते हैं तो मां रेखा देवी गृहिणी है। मुस्कान की बड़ी बहन जाह्नवी है जो इस वर्ष बारहवीं कक्षा में हुई है।
प्रदेश में तीसरे स्थान पर रहने वाली मुस्कान
मुस्कान ने बताया कि उसे बहुत अच्छा लग रहा है। उसके मम्मी-पापा व स्कूल स्टॉफ की बदौलत ही वह इस मुकाम पर पहुंच पाई है। उसने बताया कि फिलहाल उसने नॉन मेडिकल में दाखिला लिया है और आगे वह पायलट बनना चाहती है। गाने गाना, गाने सुनना व भाषण देना उसकी हॉबी है। मुस्कान ने बताया कि वह रोजाना पांच घंटे पढ़ती थी।
घरेलू काम में मां का बंटाती हाथ, किसान की बेटी ने प्रदेश में पाया तीसरा स्थान
राजस्थान की बोर्डर पर स्थित फतेहाबाद जिले का गांव रामसरा है। रामसरा की बेटी निधि ने पूरे जिले का नाम रोशन किया है। इस गांव की बेटी निधि ने हरियाणा शिक्षा बोर्ड की दसवीं की परीक्षा में प्रदेश में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। परीक्षा परिणाम पता चलते ही परिवारजनों व छात्रा के खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह स्कूल से आने के बाद घरेलू कार्य में हाथ बटाने के बाद पढ़ाई करना शुरू कर देती थी।
प्रदेश में तीसरा स्थान पाने वाली छात्रा निधी
यहीं कारण है कि उसे यह स्थान मिला है। निम्न वर्ग के परिवार से होने के कारण स्कूल से आने के बाद घर का काम भी करना पड़ता था। निधि के पिता कमलेश कुमार व उसकी माता मीरा देवी खेतीबाड़ी करते है। खुद की जमीन होने के साथ ही काम इतना अधिक होता है कि शाम के समय बच्चों को पढ़ाई के साथ काम भी करना पड़ता है। छात्रा निधि ने बताया कि उसका सपना है कि वह इंजीनियर बने।
तनाव होने पर मां-बाप, बहन के साथ बैठ बातें करती थी प्रदेश में दूसरा स्थान पोन वाली निधि
हिसार के शिव नगर में रहने वाली निधि ने 500 में से 496 अंक हासिल कर प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल किया है। निधि ने बताया कि वह आरसी स्कूल में पढ़ती और दसवीं कक्षा में आने के बाद उसने पढ़ाई पर ज्यादा जोर दिया। निधि ने बताया कि तनाव होने पर मैं अपने परिवार वालों के साथ बैठकर बातें करती थी।
प्रदेश में दूसरा स्थान पाने वाली निधि को मिठाई खिला मुंह मीठा करवाते परिजन
इसके बाद तनाव दूर हो जाता था। वहीं मैने कभी भी कोचिंग नहीं ली, जो पढ़ाई की वह स्कूल के माध्यम से ही की। निधि ने कहा कि वह आइएएस बनना चाहती है और सारे आइएएस को अपना रॉल मॉडल मानती है।
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