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Kisan Andolan One Year: जानें एक साल में किसान आंदोलन में घटी वो घटनाएं जिनसे दागदार हुए आंदोलनकारी

Kisan Andolan One Year तीनों कृषि कानूनाें को वापस लेने के फैसले को भले ही आंदोलनकारियों द्वारा अपनी आधी जीत बताया जा रहा है लेकिन साल भर से चले आ रहे इस आंदोलन का विवादों से भी गहरा नाता रहा है। आंदोलन के बीच जिस तरह के जघन्य अपराध हुए

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 11:06 AM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 11:06 AM (IST)
Kisan Andolan One Year: जानें एक साल में किसान आंदोलन में घटी वो घटनाएं जिनसे दागदार हुए आंदोलनकारी
आज किसान आंदोलन का एक साल पूरा हो चुका है, आंदोलन कल खत्‍म भी हो सकता है

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़/हिसार : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीनों कृषि कानूनाें को वापस लेने के फैसले को भले ही आंदोलनकारियों द्वारा अपनी आधी जीत बताया जा रहा है, लेकिन साल भर से चले आ रहे इस आंदोलन का विवादों से भी गहरा नाता रहा है। आंदोलन के बीच जिस तरह के जघन्य अपराध हुए और अराजकता का माहौल बना, उसकी वजह से आंदोलन के प्रति किसी भी तरह की सहानुभूति शून्य हो गई थी। इसीलिए इन दिनों बार्डरों पर काफी समय से कोई मदद नहीं मिली। अब आंदोलन के जल्द खत्म होने की संभावना के बीच वे तमाम घटनाक्रम लोगों की मस्तिष्क में उभर आए हैं जिनके कारण यह आंदोलन सवालों के घेरे में रहा है।

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ये उठी विवादित मांग, जिनकी देशभर में हुई चर्चा

आंदोलन ताे यह कृषि से जुड़े मसलों को लेकर शुरू हुआ, लेकिन बाद में इसके बीच से विवादित मांग भी उठी। दिल्ली में हुई हिंसा और जेएनयू मामले के आरोपितों की रिहाई की मांग भी उठी। जरनैल सिंह भिंडरावाले को लेकर टिप्पणी की गई तो उस पर भी आंदोलन में विवाद हो गया। खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ बोलने पर पंजाब के किसान नेता रलदू सिंह मानसा के तंबू पर भी हमला भी हुआ।

आंदोलन में ये हो चुकी हैं आपराधिक घटनाएं

26 जनवरी : आंदोलन में सबसे पहला विवाद तब हुआ, जब बीती 26 जनवरी को दिल्‍ली कूच का नारा देने पर आंदोलनकारियों की ट्रैक्‍टर यात्रा निधार्रित रूट से हटकर दिल्‍ली में घुस गई थी। इस दौरान लाल किले पर भारी संख्‍या में लोग पहुंचे। इस दौरान कुछ लोगों ने वहां अपना झंडा लहरा दिया। इसके बाद यह मामला देश ही नहीं पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना। इस मामले में तरनतारन के युवक व अन्‍य आरोपितों समेत एक्‍टर एवं सिंगर दीप सिद्धू को भी हिरासत में लिया गया।

22 फरवरी : आंदोलन में आए पंजाब के तीन युवकों ने पिस्तौल के बल पर पहले बहादुरगढ़ के सौलधा गांव के पास पेट्रोल पंप से 30 हजार कैश लूटा। अगले दिन शहर के अंदर एक ज्वेलर्स शाप में लूट की कोशिश की। ऐन वक्त पर दुकानदारों ने दो को काबू कर लिया। तीसरा फरार हो गया था।

26 मार्च : आंदोलन में आए पंजाब के किसान हाकम सिंह की टिकरी बार्डर पर गला रेतकर हत्या कर दी गई। वारदात में मृतक की भाभी व उसका प्रेमी संलिप्त मिले। आंदोलन स्थल को उन्होंने वारदात के लिए चुना था।

3 अप्रैल : पंजाब के आंदोलनकारियों में शराब के पैसों को लेकर झगड़ा हुआ। उसमें एक आंदोलनकारी गुरप्रीत की पंजाब के किसानों ने ही लाठियों से पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।

9 मई : पश्चिम बंगाल से आई युवती के साथ दुष्‍कर्म हुआ और वह कोरोना संक्रमित हुई और फिर उसकी मौत हो गई थी। मरने के बाद दुष्‍कर्म का मामला प्रकाश में आया। सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में किसान सोशल आर्मी के चार नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया गया। मुख्य आरोपित अनिल मलिक गिरफ्तार हो चुका है। बाकी फरार हैं। अब इन आरोपितों के समर्थन में ही कुछ लोग खड़े हो गए हैं।

29 मई : पंजाब की एक युवती ने आंदोलन स्थल पर खुद के साथ दुर्व्यवहार किए जाने के आरोप लगाए और इंस्टाग्राम पर आपबीती बयां की। इसको लेकर संयुक्त मोर्चा ने जांच के लिए महिलाओं की कमेटी गठित करने की बात कही।

16 जून : आंदोलन स्थल पर कसार गांव के मुकेश मुदगिल को तेल डालकर जिंदा जलाने का आरोप। पुलिस ने हत्या का केस दर्ज कर दो आरोपित आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया। मामले की जांच के लिए पुलिस ने एसआइटी का गठन किया।

26 जुलाई : संयुक्त किसान मोर्चा से कुछ दिनों के लिए निलंबित किए गए पंजाब के किसान नेता रलदू मानसा के तंबू पर हमला किया गया। इसमें दो किसान जख्मी हो गए थे। खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत पन्नू के खिलाफ बोलने पर रलदू मानसा के तंबू पर यह हमला हुआ था।

2 अगस्त : आंदोलन में आए पंजाब के तीन युवकों को औद्योगिक क्षेत्र में दुकान से मोबाइल फोन व अन्य सामान चोरी करने के मामले में गिरफ्तार किया गया। इनका एक साथी फरार हो गया था।

10 सितंबर : आंदोलन में आए पंजाब के तीन युवकों को अवैध पिस्तौल के साथ गिरफ्तार किया गया। ये आंदोलन की आड़ में बहादुरगढ़ के अंदर आपराधिक वारदातों को अंजाम देने आए थे।

15 अक्‍टूबर: सिंघु बार्डर में मंच के पास एक युवक का क्षत-विक्षत शव मिला। युवक की बेरहमी से हत्या करने के बाद उसका एक हाथ काटकर शव को बैरिकेड से लटका दिया गया था। युवक के शरीर पर धारदार हथियार से हमले के निशान भी थे। यह घटना गुरुवार रात हुई थी। वहीं, जब शुक्रवार की सुबह आंदोलनकारियों के मुख्य मंच के पास युवक का शव लटका दिखा तो धरनास्थल पर हड़कंप मच गया। इसके बाद एक वीडियो वायरल हुई, जिसमें निहंग युवक से सवाल जवाब कर रहे थे। हाथों में तलवारें थी। इस घटना की पूरी दुनिया में आलोचना हुई। निहंगो ने मृतक पर गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने का आरोप लगाया था और तीन निहंगाे ने गिरफ्तारी भी दी है।

अकेले टीकरी बार्डर पर 85 आंदोलनकारियों ने गंवाई जान

27 नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनकारियों का जमघट लगा था। तब से यहां पर मौत की घटनाएं भी खूब हुई हैं। आंदोलनकारियों का अपना अलग आंकड़ा हो सकता है, लेकिन झज्जर पुलिस-प्रशासन के रिकार्ड में टीकरी बार्डर पर 85 मौत होने का रिकार्ड है। हादसा, हार्ट अटैक व अन्‍य कारणों से आंदोलनकारियों की मौत हुई।


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