Move to Jagran APP

Kisan andolan: बंद के बेअसर रहने पर हरियाणा के किसान संगठनों ने उठाए सवाल, संयुक्त किसान मोर्चा को लिया निशाने पर

भारत बंद का दो राज्यों में भी पूरा असर नहीं हुआ इस बात पर खुद हरियाणा के किसान संगठनों ने ही मुहर लगा दी है। इसके लिए संयुक्त किसान मोर्चा को निशाने पर लिया है। कमेटी में शामिल योगेंद्र यादव राकेश टिकैत और गुरनाम चढूनी पर आरोप लगाए हैं।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 04:12 PM (IST)Updated: Tue, 28 Sep 2021 04:12 PM (IST)
Kisan andolan: बंद के बेअसर रहने पर हरियाणा के किसान संगठनों ने उठाए सवाल, संयुक्त किसान मोर्चा को लिया निशाने पर
भारत बंद को ले‍कर हरियाणा के किसान संगठनों ने सयुंक्‍त किसान मोर्चा पर सवाल उठाए हैं

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : तीन कृषि कानूनों के विरोध में एक दिन पहले आहूत भारत बंद का दो राज्यों में भी पूरा असर नहीं हुआ, इस बात पर खुद हरियाणा के किसान संगठनों ने ही मुहर लगा दी है। इसके लिए संयुक्त किसान मोर्चा को निशाने पर लिया है। साथ ही संयुक्त मोर्चा की नौ सदस्यीय कमेटी में शामिल योगेंद्र यादव, राकेश टिकैत और गुरनाम चढूनी पर आरोप लगाए हैं। हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य जगबीर घसौला ने जारी बयान में कहा कि किसान आंदोलन को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर भारत बंद में हरियाणा के किसान मोर्चा के किसान नेताओं ने अपने-अपने जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन करके समर्थन किया, लेकिन संयुक्त मोर्चा द्वारा जो भारत बंद की काल दी गई थी जिसमें पंजाब के अलावा हरियाणा के 15 जिलों में ही रास्ते अवरुद्ध हुए।

loksabha election banner

यह ताे महज पौने दो राज्यों में ही बंद का असर देखने को मिला। दिल्ली के अंदर बंद का कोई असर नहीं रहा। वहीं उत्तर प्रदेश से अपने आप को बड़ा किसान नेता मानने वाले राकेश टिकैत खुद वहां के मुख्यमंत्री को खुश करने के लिए भूमिगत हो गए। उप्र में उन्होंने कहीं अपने संगठन द्वारा बंद नहीं करवाया। यह सरासर हरियाणा के उन बुजुर्ग किसानों के साथ धोखा है, जो 10 घंटे तक सड़कों पर बैठे रहे। किसान नेता विकल पचार ने कहा कि 26 जनवरी से पहले किसान मोर्चा की मीटिंग में 22 राज्यों से करीब 300 संगठनों के प्रतिनिधि हिस्सा लेते थे। कोई भी बड़ी काल दी जाती थी तो सभी अपने अपने राज्यों में उसे लागू करवाने के लिए जिम्मेदारी लिया करते थे। मगर राकेश टिकैत व गुरनाम चढूनी जैसे राजनीतिक मंशा वाले और योगेंद्र यादव जैसे राजनीतिक पार्टी के मुखिया इस आंदोलन की आड़ में अपनी राजनीतिक पृष्ठभूमि मजबूत करने की होड़ में जुट गए।

इस वजह से देश के ज्यादातर बड़े किसान संगठन संयुक्त मोर्चे को छोड़कर चले गए या कुछ को मोर्चे से बाहर कर दिया गया। विकल ने आरोप लगाया कि राकेश टिकैत उत्तर प्रदेश में राजनीतिक पार्टी का गठन करना चाहता था। दूसरी गुरनाम चढ़ूनी ने पंजाब में अपनी पार्टी बनाकर चुनाव की तैयारी भी कर ली थी, लेकिन हरियाणा के किसान नेताओं ने इसका विरोध किया तो उन्होंने पीछे हटते हुए अपना बयान वापस लिया। मगर आज भी गुरनाम चढूनी का आंदोलन की आड़ में अरविंद केजरीवाल की तरह विधानसभा या लोकसभा में किसी तरह घुसने का है। किसानों की मांगों से इनका कोई सरोकार नहीं है। हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने जब एमएसपी की मांग को प्राथमिकता पर लेने की बात कही तो उन्हें निष्कासित कर दिया मगर आज राकेश टिकैत एक मीडिया डिबेट में एमएसपी पर बात करने के बयान जारी कर रहा है।

अब देखने की बात है संयुक्त मोर्चा उस पर क्या कार्रवाई करता है। वहीं हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा से किसान नेता प्रदीप धनखड़ ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की नौ सदस्यीय कमेटी ने संसद कूच के दौरान भी देश के किसानों के साथ धोखा किया था। अब 27 सितंबर के बंद का असर सिर्फ पौने दो राज्यों में देखने को मिला। इसके विपरीत हरियाणा में अहीरवाल से योगेंद्र यादव के क्षेत्र में कहीं पर भी बंद का असर नहीं हुआ। ऐसे लोगों को संयुक्त किसान मोर्चा की नौ सदस्यीय कमेटी में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। किसान नेता सुखदेव सिंह विर्क ने कहा कि धीरे धीरे हरियाणा प्रदेश के किसानों का संयुक्त किसान मोर्चा से मोहभंग होता नजर आ रहा है क्योंकि जिस प्रकार से किसानों की मांगों और मुद्दों को पीछे छोड़कर राजनीतिक होड़ लग गई है, वह मंशा ठीक नहीं है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.