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किसान आंदोलन में सच बोलने वालों से बौखलाहट, किसानों पर आंदोलनकारी ही कर रहे हमला

उगराहां पर अलगाववादी तत्वों के प्रति सहानुभूति रखते हैं और टीकरी बार्डर पर जेल में बंद उमर खालिद और शरजील इमाम जैसे लोगों की रिहाई के लिए आंदोलन स्थल पर पोस्टर लगाने नारे लगाने को गलत नहीं मानते।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 10:25 AM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 02:59 PM (IST)
किसान आंदोलन में सच बोलने वालों से बौखलाहट, किसानों पर आंदोलनकारी ही कर रहे हमला
खालिस्तानी तत्वों ने उनपर हमला कर दिया जो आंदोलन के लिए लगे शिविरों में ही मौजूद हैं।

हिसार, [जगदीश त्रिपाठी]। तीनों कृषि सुधार कानूनो के विरोध में चल रहे आंदोलन के मंच से खालिस्तानी तत्वों को आइना दिखाने की कीमत रुलदू सिंह मानसा को चुकानी पड़ रही है। उनके शिविर पर हुआ हमला सचबयानी से उपजी बौखलाहट का नतीजा है। बहादुरगढ़ (झज्जर) के टीकरी बार्डर पर उनकी यूनियन पंजाब किसान यूनियन वाले शिविर(जो एक ट्रैक्टर-ट्राली में बनाया गया है) पर खालिस्तान समर्थकों ने हमला कर मानसा के दो लोगों को घायल करना इसका प्रमाण है। वैसे हमलावर आए तो मानसा पर हमला करने थे, क्योंकि उन्होंने आते ही मानसा के बारे में पूछा था। शुक्र है कि मानसा वहां नहीं थे।

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सोमवार रात को हुई इस घटना के बारे में आंदोलन चला रहे संगठनों की तरफ से गठित संयुक्त किसान मोर्चे के किसी नेता ने निंदा नहीं की है। यद्यपि हमलवारों की पहचान नहीं हो पाई है, लेकिन यह तो तय है कि लाठियां लेकर मानसा के शिविर पर हमला करने वाले लोग हरियाणा के गांवों से तो नहीं आए होंगे। वे टीकरी बार्डर पर ही किसी तंबू से आए होंगे। इससे इस आरोप की एक बार फिर से पुष्टि हो जाती है कि आंदोलन में खालिस्तानी तत्वों की प्रभावी भागीदारी है। यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि अब टीकरी बार्डर पर बहुत कम तंबू बचे हैं। केवल भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) के शिविर में ही रौनक रहती है, जिसके अध्यक्ष जोगेंदर सिंह उगराहां हैं।

उगराहां पर अलगाववादी तत्वों के प्रति सहानुभूति रखते हैं और टीकरी बार्डर पर जेल में बंद उमर खालिद और शरजील इमाम जैसे लोगों की रिहाई के लिए आंदोलन स्थल पर पोस्टर लगाने, नारे लगाने को गलत नहीं मानते। रही बात मानसा की तो उन्होंने ऐसी कोई बात नहीं कही थी, जो आंदोलन के विरुद्ध हो। मानसा ने 21 जुलाई 2021 को प्रदर्शनकारी किसानों को संबोधित करते हुए आंदोलन में खालिस्तानी तत्वों की संलिप्तता की बात कही थी। उनके लिए मानसा ने कहा था कि वे अमेरिका में बैठकर उकसाते हैं। उनके उकसावे के कारण ही बहुत से नौजवान जान गंवा चुके हैं।

गुरपतवंत सिंह पन्नू के लिए उहोंने कहा कि वह कहता है, यह करो, वह करो। गौरतलब है कि पन्नू इंटरनेट कालिंग के जरिये पूरे हरियाणा पंजाब में खालिस्तान के समर्थन में युवाओं को भड़काने के लिए फोन करता रहता है। इस आंदोलन में शामिल होने के लिए भी वह फोन करता रहता है। लोग बताते हैं कि मानसा ने कुल साढ़े नौ मिनट का भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने 45 सेकेंड को छोड़ दें तो केंद्र सरकार पर ही हमला बोला था। केवल 45 सेकेंड वह खालिस्तानियों के खिलाफ बोले और संयुक्त किसान मोर्चे ने उनको पंद्रह दिन के लिए निलंबित कर दिया। मानसा की सचबयानी से मोर्चे के नेताओं ने जो किया, किया ही, खालिस्तानी तत्वों ने उनपर हमला कर दिया जो आंदोलन के लिए लगे शिविरों में ही मौजूद हैं।


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