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राज्यपाल ने कहा, 2022 तक देश हो जाएगा जातीयता, सांप्रदायिकता व भ्रष्टाचार मुक्त

प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि देश ने 2022 तक अपनेआप को पूरी तरह बदलने का संकल्प लिया है। तब देश में गंदगी, गरीबी, भ्रष्टाचार, हिंसा, जातीयता और सांप्रदायिकता नहीं होगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 17 Apr 2018 04:59 PM (IST)Updated: Tue, 17 Apr 2018 08:59 PM (IST)
राज्यपाल ने कहा, 2022 तक देश हो जाएगा जातीयता, सांप्रदायिकता व भ्रष्टाचार मुक्त
राज्यपाल ने कहा, 2022 तक देश हो जाएगा जातीयता, सांप्रदायिकता व भ्रष्टाचार मुक्त

जेएनएन, हिसार। हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि देश ने 2022 तक अपनेआप को पूरी तरह बदलने का संकल्प लिया है। उस समय देश में गंदगी, गरीबी, भ्रष्टाचार, हिंसा, जातीयता और सांप्रदायिकता नहीं होगी। हम सब मिलकर ऐसा भारत बनाएंगे जो स्वच्छ, स्वस्थ, समृद्ध, संपन्न, शिक्षित और सुरक्षित होगा। उन्होंने युवा पीढ़ी से आह्वान किया कि वे नए भारत के साथ जुड़ें और देश के विकास के उपयोगी अंग बनें।

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उन्होंने कहा कि राजनीति देश की नीति निर्धारण व इसे आगे बढ़ाने का काम करती है, लेकिन शिक्षा व्यक्ति में मानवीय गुण पैदा करके उसे मनुष्य बनाती है। वे गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं तकनीकी विश्वविद्यालय के 5वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे। समारोह में केंद्रीय विज्ञान, तकनीकी एवं भूगर्भ विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन तथा बिहार स्थित नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विजय पी. भटकर को डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि प्रदान की गई।

राज्यपाल सोलंकी ने कहा कि शिक्षा के बिना किसी भी देश की उन्नति की कल्पना नहीं की जा सकती है। किसी देश का भविष्य वहां के उद्योगों, कृषि उत्पादन अथवा आधारभूत ढांचे से ज्यादा इस बात पर निर्भर करता है कि उस देश के स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की कक्षाओं में बच्चों को क्या पढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश को चलाने, उसे आगे बढ़ाने, उसकी नीतियों का निर्धारण करने का काम राजनीति करती है लेकिन व्यक्ति में मनुष्यता और मानवी गुण पैदा करने का कार्य शिक्षा के बिना कोई नहीं कर सकता है।

उन्होंने खुशी जाहिर की कि दीक्षांत समारोह में सरस्वती वंदना से लेकर विद्यार्थियों का परिधान और कार्यक्रम का संचालन पूरी तरह से भारतीय संस्कृति के अनुरूप है। ऐसे कार्यक्रमों में पहले अंग्रेजियत की छाप दिखाई देती थी। उन्होंने कहा कि देश के दो महान व्यक्तियों केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन तथा नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विजय पी. भटकर को मानद उपाधि देकर उनके माध्यम से विद्यार्थियों को प्रयोगात्मक आशीर्वाद दिया गया है। इन दोनों ने जिस प्रकार अपने-अपने क्षेत्रों में असाधारण कार्य किए हैं, उसकी प्रेरणा सभी विद्यार्थी लें।

प्रो. सोलंकी ने कहा कि गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय गुणवत्ता के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है, लेकिन किसी चीज को अच्छा या बुरा बनाना उसके नागरिकों के हाथ में होता है, इसलिए विद्यार्थियों को इन महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थानों में पढऩे के अवसरों का भरपूर लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 21वीं शताब्दी में नया भारत बन रहा है। देश नित नई करवट बदल रहा है और जो हमारे पास है वह विश्व में कहीं किसी के पास नहीं है। जो भारत पहले दुनिया की तरफ देखता था आज पूरा विश्व उसकी ओर देख रहा है।

केंद्रीय विज्ञान, तकनीकी एवं भूगर्भ विज्ञान मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने डिग्री लेने वाले विद्यार्थियों को जीवन की नई यात्रा की बधाई दी। उन्होंने कहा कि पर्यावरण मंत्री होने के नाते मैं आज इस विश्वविद्यालय में आकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं जिसका नामकरण महान पर्यावरणविद् भगवान गुरु जंभेश्वर जी महाराज के नाम पर है। उन्होंने कहा कि हमें आने वाली पीढ़ी को साफ नदियां, स्वच्छ पर्यावरण व घने जंगल प्रदान करने की जिम्मेदारी निभानी है जो हमें अपने पूर्वजों से मिले थे। इस दिशा में विश्वविद्यालय व विद्यार्थियों दोनों को मिलकर काम करना होगा।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण को बचाना केवल पेड़ लगाना ही नहीं है। हमें ग्रीन सोशल रिस्पोंसिबिलिटी को निभाते हुए देश के सामने उदाहरण प्रस्तुत करने होंगे। उन्होंने कहा कि जीवन में ईमानदारी, सच्चाई, प्रेम, कर्म की ताकत और भगवान की शक्ति सदैव अपराजित रही हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि जीवन में जो भी काम करो उसमें दिल और आत्मा दोनों को झोंक दो, फिर उसका परिणाम देखो। विश्वविद्यालय से निकलकर नौकरी करते हुए बेहतर इंसान बनने का प्रयास करना। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का युवाओं की प्रतिभा में विश्वास है और वे युवाओं के नए सपनों के भारत का निर्माण करने में लगे हैं।

नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विजय पी. भटकर ने गुरु जंभेश्वर महाराज को नमन करते हुए विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की सराहना की। उन्होंने गुजवि को देश का सबसे तेज गति से बढ़ता विश्वविद्यालय बताते हुए विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने कहा कि डिग्री मिलना और दीक्षांत समारोह का परिधान पहनना विद्यार्थी के जीवन में जिम्मेदारी का बोध लेकर आता है। आज यहां से डिग्री लेने वाले विद्यार्थियों ने जिंदगी के पड़ाव की एक सीढ़ी पार की है। उन्होंने कहा कि आज के विद्यार्थी ही कल के जिम्मेदार नागरिक बनेंगे और वही देश को आगे बढ़ाने का काम करेंगे। उन्होंने भारत की भूमि को रत्नगर्भा बताते हुए यहां पैदा हुए कई महान व्यक्तित्वों का जिक्र किया जिन्होंने भारत का नाम पूरे विश्व में किया। उन्होंने कहा कि देश में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है।

गुजवि के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने अतिथिगण का स्वागत करते हुए 1995 में स्थापित हुए विश्वविद्यालय की यहां तक की यात्रा तथा उपलब्धियों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की कड़ी मेहनत व विद्यार्थियों की लगन के चलते इस विवि को 2002 से नैक द्वारा ए ग्रेड प्राप्त है। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा चलाए जा रहे नियमित व दूरसंचार माध्यम से चलाए जा रहे पाठ्यक्रमों के साथ-साथ विद्यार्थियों की प्लेसमेंट व विवि द्वारा किए जा रहे सामाजिक कार्यों का भी विस्तार से वर्णन किया। संचार प्रबंधन एवं तकनीकी विभाग के प्रो. मनोज दयाल ने प्रभावी मंच संचालन किया।

इससे पूर्व, गुजवि के चौ. रणबीर सिंह ऑडिटोरियम में आयोजित विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह का आगाज वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हुआ। वेद मंत्रों की ध्वनि के बीच रजिस्ट्रार प्रो. अनिल पुंडीर की अगुवाई में विवि के शिक्षकों का दल मुख्यातिथि व अन्य अतिथियों को सभागार के द्वार से समारोह स्थल तक लेकर आया। इसके पश्चात राष्ट्रगान, दीप प्रज्ज्वलन व सरस्वती वंदना की रस्में पूरी की गई। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा, विधायक डॉ. कमल गुप्ता, उपायुक्त अशोक कुमार मीणा व पुलिस अधीक्षक मनीषा चौधरी भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर एसडीएम परमजीत सिंह, भाजपा के जिला महामंत्री सुजीत कुमार, आशा रानी खेदड़, चेयरमैन जोगीराम सिहाग, प्रो. मनदीप मलिक, डॉ. योगेश बिदानी, रतन सैनी, गायत्री यादव, सुदेश चौधरी, संदीप गंगवा, सीमा गैबीपुर, सरजीत कालीरावणा, राजकुमार इंदौरा सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी व बड़ी संख्या में विद्यार्थी भी मौजूद थे।

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