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काजला खाप ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बताया भाई-बहन के पवित्र रिश्ते पर चोट

काजला खाप के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजमल काजला ने बालिगों की शादी के बारे मे ंखापों पर उंगली उठाने के फैसले को खापों का पक्ष जाने बिना इसे एक तरफा करार दिया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Mar 2018 02:12 PM (IST)Updated: Wed, 28 Mar 2018 06:44 PM (IST)
काजला खाप ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बताया भाई-बहन के पवित्र रिश्ते पर चोट
काजला खाप ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बताया भाई-बहन के पवित्र रिश्ते पर चोट

जागरण संवाददाता, हिसार

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काजला खाप के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजमल काजला ने बालिगों की शादी के बारे मे ंखापों पर उंगली उठाने के फैसले को खापों का पक्ष जाने बिना इसे एक तरफा करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि शक्ति वाहिनी नामक एक एनजीओ ने खापों का स्वरूप जाने बिना उच्चतम न्यायालय को खापों के कार्य बारे मिस गाइड किया है।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भाई बहन के पवित्र रिश्ते पर चोट मारने का काम करेगा। इस निर्णय से हमारी सैंकड़ों साल की संस्कृति, परंपरा व मयरदाओं का हनन होगा। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय सगे भाई बहन की शादी को भी मान्यता प्रदान करने वाला है।

खाप चौधरी ने दावा किया कि खापें बहुत लंबे समय से माग कर रही है कि सरकार हिंदू मैरिज एक्ट 1955 में संशोधन करने और गोत्र तथा गाव में होने वाले विवाहों को प्रतिबंधित करे ताकि भाई बहन के पवित्र रिश्ते को बचाया जा सके। उन्होंने सरकार को 18 दिसंबर 1992 के संयुक्त राष्ट्र द्वारा पारित प्रस्ताव की भी याद दिलाई, जिसमें कहा गया था कि हर देश का दायित्व होगा कि वह अपने देश के हर कबीले, जाति व समुदाय की मूल परंपराओं व पहचान को सुरक्षित करे, लेकिन कोर्ट ने फैसला सुनाते समय इस प्रस्ताव का भी ध्यान नहीं किया और न ही सरकार हमारी परंपराओं, संस्कृति और मयरदाओं का ध्यान करके हिंदू मैरिज एक्ट में संशोधन कर रही है।

गौरतलब है कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से बालिगों की शादी को लेकर नया फैसला सुनाया गया है। जिसके तहत अब कोई भी बालिग अपनी मर्जी से किसी के साथ विवाह कर सकता है। शादी के बाद एक साल तक जोड़े की रहने खाने और सुरक्षा का जिम्मा प्रशासन का होगा। जल्द बुलाई जाएगी खापों की बैठक

उन्होंने जानकारी दी कि शीघ्र ही खापों की बैठक बुलाकर इस संबंध में आगे की रणनीति बनाई जाएगी। उन्होंने सरकार से भी माग की कि वह संसद के इसी सत्र में हिंदु मैरिज एक्ट में संशोधन करके गाव, गौत्र व गुहाड की शादियों को प्रतिबंधित करे।


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