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सुभाष चंद्र बोस जिनको अपने हाथों खिलाते थे खाना, 98 वर्षीय ललती राम अब करेंगे ये काम

आजाद हिंद फौज की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ पर 21 अक्टूबर को पीएम नरेंद्र मोदी म्यूजियम का उद्घाटन करेंगे और तीन राष्‍ट्रपतियों से सम्‍मानित हो चुके ललती राम के साथ मंच करेंगे साझा

By manoj kumarEdited By: Published: Thu, 18 Oct 2018 12:28 PM (IST)Updated: Thu, 18 Oct 2018 03:51 PM (IST)
सुभाष चंद्र बोस जिनको अपने हाथों खिलाते थे खाना, 98 वर्षीय ललती राम अब करेंगे ये काम
सुभाष चंद्र बोस जिनको अपने हाथों खिलाते थे खाना, 98 वर्षीय ललती राम अब करेंगे ये काम

झज्जर [अमित पोपली] उम्र के 98 वें पड़ाव पर पहुंच चुके आइएनए के सिपाही ललती राम करीब 73 वर्ष के बाद आजाद हिंद फौज की वर्षगांठ पर ठीक वैसी ही वर्दी पहनेंगे जैसी कि वे नेता जी के साथ रहने के दौरान पहना करते थे। इस खास मौके को यादगार बनाने के लिए चंडीगढ़ से यह वर्दी तैयार करवाई जा रही है।

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उल्लेखनीय है कि आजाद हिंद फौज की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ पर 21 अक्टूबर को लाल किले के अंदर होने वाले कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तिरंगा फहराएंगे और आजाद हिंद फौज म्यूजियम का उद्घाटन भी करेंगे। इस मौके पर सेवानिवृत सैन्य अधिकारी और आजाद हिंद फौज से जुड़े हुए लोग भी प्रधानमंत्री के साथ मौजूद रहेंगे।

सिंगापुर और हांगकांग की जेल में रहे

जिसमें मुख्य रूप से जिला के अंतर्गत आने वाले दुबलधन गांव निवासी आजाद हिंद फौज के वीर सिपाही रहे ललती राम, जो कि हरियाणा स्वतंत्रता सेनानी समिति के चेयरमेन भी है, को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। पुराने दौर को याद करते हुए भावुक हो जाने वाले ललती राम को आइएनए में रहते हुए बहादुरी के लिए 3 मेडल मिले हैं। वे अम्बाला, सिंगापुर, हांगकांग, थाईलैंड, जापान, कोलकाता (जगरकचा) जेल में भी रहे हैं। ललती राम के परिवार से पांचों बेटे पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए देश सेवा की भावना से ओत-प्रोत होकर सेना में भर्ती हुए। बाद की पीढ़ी की बात हो तो 9 पौत्रों में से 5 पौत्र फौज में है तथा एक पौत्री पुलिस में है। जबकि एक पौत्र विपक कुमार सदैव उनकी सेवा में रहता है।

तीन राष्ट्रपतियों ने किया सम्मानित

महामहिम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से दो दफा, महामहिम प्रणब मुखर्जी और महामहिम रामनाथ कोविन्द से भी ललती राम एक-एक दफा सम्मानित हो चुके हैं। सम्मानित होने के इस सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी उन्हें विशेष सम्मान मिल चुका है।

आजादी पर्व 2018 के पावन मौके पर 9 अगस्त को महामहिम रामनाथ कोविन्द द्वारा उन्हें पुन: सम्मानित किया जा चुका है। उम्र के 98वें पड़ाव में भी वह पैदल चल लेते हैं। हरियाणा स्वतंत्रा सेनानी समिति का चेयरमैन होने के नाते वे स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के हितार्थ कार्य करने में जुटे हुए हैं। देश की आजादी के बाद पहली दफा हरियाणा स्वतंत्रता सेनानी समिति का चेयरमेन आजाद हिंद फौज के एक सैनिक को बनाया गया है। जिसके बाद प्रदेश भी गतिविधियां पहले से ज्यादा बढ़ गई है।

 ताले तोड़कर सिपाहियों को था छुड़वाया

स्वतंत्रता सेनानी ललती राम का जन्म एक जनवरी 1921 को बेरी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव दुबलधन में हुआ। नेताजी की फौज में रहते इन्होंने कई देशों में युद्ध किया। ललती राम नेताजी की सेना के उन बहादुर सिपाहियों में रहे हैं जिनकों ब्रिटिश सरकार ने कोलकता जेल में रहते जब दिल्ली की ओर रेलगाड़ी में गुप्त तौर पर भेजा तो इनके साथियों ने ललती राम समेत अन्य सिपाहियों को इलाहाबाद के रेलवे स्टेशन पर गाड़ी के डिब्बों पर लगे ताले तोड़कर छुड़ा लिया था और खूब पेट भरकर भोजन कराकर और मान-सम्मान देकर ही दिल्ली रवाना किया था। ललती राम के पौत्र विपक कुमार ने बताया बोस परिवार के प्रवक्ता चंद्र कुमार बोस ने उन्हें फोन पर यह सूचना दी है।

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