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ये हैं हरियाणा की पैड वुमन, पत्‍नी के हौसले को देख पति भी साथ में कर रहे कदमताल

कविता न सिर्फ सेनेटरी पैड को लेकर महिलाओं को जागरूक करती हैं, वरन वे खुद पैड बनाकर इसका कारोबार करती हैं। आज वो महिलाओं के बीच पैड वुमन के नाम से प्रसिद्ध हैं।

By manoj kumarEdited By: Published: Thu, 03 Jan 2019 11:56 AM (IST)Updated: Fri, 04 Jan 2019 11:11 AM (IST)
ये हैं हरियाणा की पैड वुमन, पत्‍नी के हौसले को देख पति भी साथ में कर रहे कदमताल
ये हैं हरियाणा की पैड वुमन, पत्‍नी के हौसले को देख पति भी साथ में कर रहे कदमताल

झज्जर [अमित पोपली] मुश्किल दिनों में महिलाओं के लिए सेनेट्ररी पैड की क्‍या भूमिका है इसके बारे में शहर की महिलाएं तो भलि भांति जानती हैं। मगर ग्रामीण अंचल में अभी भी इसे लेकर जागरुकता का अभाव है। फिल्‍म पैड मैन में अक्षय कुमार ने भी अभिनय के माध्‍यम से दिखा चुके हैं कि ग्रामीण अंचल में बदलाव लाने के लिए किस तरह से दिक्‍कताें का सामना करना पड़ा। मगर आखिर में कामयाबी मिली। इसी सोच से प्रेरित झज्जर की कुछ अन्य महिलाएं भी इस दिशा में सराहनीय काम कर रही हैं।

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ऐसी ही महिलाओं में शामिल हैं भदाना गांव की कविता शर्मा। कविता न सिर्फ सेनेटरी पैड को लेकर महिलाओं को जागरूक करती हैं, वरन वे खुद पैड बनाकर महिलाओं तक पहुंचाती हैं। पहले महिलाएं इसके बारे में खुलकर बात नहीं करती थी मगर कविता की वजह से अब मां-बेटी भी मासिक धर्म च्रक को लेकर चर्चा करने में गुरेज नहीं कर रही हैं। सीएसआर (कारपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी) के तहत मिले अवसर को कविता ने इस तरह स्वीकार किया कि आज वे कम दाम वाले पैड बनाकर क्षेत्र की महिलाओं के बीच पैड वुमन के नाम से प्रसिद्ध हैं। 

पति भी काम में बंटाते हैं हाथ

आमतौर पर महिलाओं से सबंधित इस कार्य में पुरुष वर्ग खुलकर साथ नहीं देते हैं। मगर कविता के हौसले और जज्‍बे को देख पति भी काम में हाथ बंटाते हैं। एक छोटे से कमरे में ही मशीने लगाने के अलावा गोदाम बनाया हुआ है। उत्कृष्ट कार्य और पहचान के बूते पंचकूला में सीएम से सम्मानित हो चुकी कविता के इस कारोबार से जुडऩे की शुरुआत सीएसआर के तहत एक कंपनी की ओर से दिए गए ऑफर से हुई थी। पहले वह एक माह के लिए छत्तीसगढ़ में पैड बनाने का प्रशिक्षण लेने गई थीं। फिर जिले में चल रही एक यूनिट में काम किया। जब काम की समझ अच्छी हो गई तो घर में ही कंपनी ने पूरी यूनिट लगवा दी। चूंकि हौसले बुलंद थे इसलिए रास्ते भी खुलते गए।

दाम में सस्‍ते रोजाना बना रही एक हजार से ज्‍यादा पैड

समूह से जुड़ी 5 प्रशिक्षित महिलाएं जरूरत के मुताबिक रोजाना 4 से 6 घंटे काम करते हुए औसतन एक दिन में एक हजार पैड बना लेती हैं। पैकेजिंग, गुणवत्ता और कम दाम के लिहाज से पैड की डिमांड ग्रामीण क्षेत्र से भी आने लगी है। कविता से कुछ महिलाएं ऐसी भी जुड़ी हैं जो कि इनसे पैड खरीदकर आगे बेचती हैं। स्कूलों में पढऩे वाली लड़कियों को मुफ्त में सेनेटरी पैड मुहैया करवाने की मुख्यमंत्री की घोषणा ने इस प्रोजेक्ट को पंख लगा दिए हैं।

कविता शर्मा ने कहा कि सरकार के स्तर पर भी मदद मिले तो बेशक ही अन्य महिलाओं के लिए आर्थिक आजादी का द्वार खुल सकता है।

विश्‍व सुंदरी मानुषी छिल्‍लर भी ऐसी मुहिम से जुड़ी

विश्व सुंदरी का खिताब जीतकर लौटी झज्जर की बेटी मानुषी छिल्लर ने कहा था कि हमारे देश में मेंस्ट्रुएशन हाइजिन एक बड़ी समस्या है। मानुषी खुद भी 'शक्ति' नाम के एक प्रोजेक्ट से जुड़ी हैं जिसका मकसद मेंस्ट्रूएशन हाइजिन को लेकर लोगों को जागरूक करना है। समय से कदमताल कर रही कविता का पैड वुमन तक का सफर भी काफी मुश्किलों भरा रहा है। पैड वुमन कविता के साथ स्वयं सहायता समूह का गठन करते हुए बैग आदि बनाने के काम में 11 अन्य महिलाएं भी कार्य कर रही हैं।


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