अष्टमी, नवमी युक्त और रोहिणी नक्षत्र एक साथ होने से 24 जुलाई को जन्माष्टमी
सरकारी अवकाश 23 अगस्त को घोषित कर दिया गया है। दूसरी ओर मंदिरों डेरों और विभिन्न संस्थाओं में 24 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। गृहस्थ और वैष्णव 24 को ही एक साथ उपवास करेंगे।
रोहतक, जेएनएन। हर बार की तरह इस बार भी जन्माष्टमी के व्रत को लेकर उपवास धारकों के लिए उलझन आ रही है। जहां सरकारी अवकाश 23 अगस्त को घोषित कर दिया गया। दूसरी ओर, मंदिरों, डेरों और विभिन्न संस्थाओं में 24 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
दुर्गा भवन मंदिर के पुजारी पंडित मनोज मिश्र ने बताया कि शास्त्रों के मुताबिक श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। अगर अष्टमी तिथि के हिसाब से देखें तो 23 अगस्त को जन्माष्टमी होनी चाहिए, लेकिन रोहिणी नक्षत्र 24 अगस्त में बन रहा है।
इसलिए उदय कालीन अष्टमी, नवमी युक्त और रोहणी नक्षत्र एक साथ होने के कारण कृष्ण जन्माष्टमी 24 अगस्त को मनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से दो जन्माष्टमी की तिथि पडऩे से पहले दिन गृहस्थ और दूसरे दिन वैष्णव व्रत करते आ रहे हैं। इस बार गृहस्थ और वैष्णव 24 को उपवास कर सकेंगे।
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इस प्रकार करें कन्हैया का पूजन
जन्माष्टमी के दिन जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करे। इसके बाद पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके व्रत का संकल्प लें। इसके बाद माता देवकी और भगवान कृष्ण की मूर्ति या कन्हैया के पालने को घर के मंदिर में स्थापित करें। पूजन करते समय देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद बाबा, माता यशोदा के नाम का जप करे। इसके साथ ही रात्रि में 12 बजे बाल गोपाल का पंचामृत से अभिषेक कराकर उन्हें नए वस्त्र पहनाएं और झूला झुलाएं। पंचामृत में तुलसी डालकर माखन-मिश्री व धनिए की पंजीरी बनाकर भोग लगाएं। यदि घर में बाल गोपाल नहीं हैं, तो मंदिर जा सकते हैं।
उपवास प्रारंभ होने का शुभ मुहूर्त
पंडित मनोज ने बताया कि जन्माष्टमी की तिथि 23 अगस्त को सुबह 8 बजकर 9 मिनट से प्रारंभ हो जाएगी, लेकिन रोहिणी नक्षत्र का प्रारंभ 24 अगस्त को सुबह 3 बजकर 48 मिनट से प्रारंभ होगा। जो 25 अगस्त को सुबह 4 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा।