Move to Jagran APP

कभी किसान आंदोलन में जलेबी, हलवा और खीर की थी बहार, अब मददगारों का इंतजार; क्‍या है कारण

हरियाणा के गांवों से भी कभी खीर तो कभी हलवा तैयार करके लाया जाता था। जलेबी तो कई तंबुओं में आंदोलन के बीच ही पकती थी। इन सब पकवानों के कारण आंदोलन में भीड़ भी रहती थी मगर ये सब बीतों दिन की बात है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 11:06 AM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 05:33 PM (IST)
कभी किसान आंदोलन में जलेबी, हलवा और खीर की थी बहार, अब मददगारों का इंतजार; क्‍या है कारण
किसान आंदोलन में तंबुओं में सूनापन है तो बड़े-बड़े चूल्हे भी सूने पड़े हैं, जहां लजीज पकवान पकते थे

जागरण संवाददाता, हिसार/बहादुरगढ़ : कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा आंदोलन अब नौंवे महीने में प्रवेश कर गया है। एक समय था जब आंदोलन में पकवानों की बहार थी। कहीं गुलाब जामुन, कहीं हलवा, कहीं खीर तो कहीं जलेबी पकती थी। मगर अब यहां पर मददगारों का इंतजार है। आंदोलन के बीच पंजाब की पिन्नी (मिठाई) भी खूब चलती थी। वहां के गांवों में भारी मात्रा में खोये से पिन्नी तैयार की जाती थी और फिर आंदोलन स्थल पर पहुंचाई जाती थी। हरियाणा के गांवों से भी कभी खीर तो कभी हलवा तैयार करके लाया जाता था। जलेबी तो कई तंबुओं में आंदोलन के बीच ही पकती थी।

loksabha election banner

इन सब पकवानों के कारण आंदोलन में भीड़ भी रहती थी, मगर ये सब बीतों दिन की बात है। अब यहां पर तंबुओं में ही सूनापन नहीं है बल्कि वे बड़े-बड़े चूल्हे भी सूने पड़े हैं, जो भी इन पकवानों के लिए दिनभर जलते थे। कई बार तो आंदोलन में गाजर का हलवा भी तैयार करके लाया जाता था। इसी तरह की और भी मिठाई आती थी। प्रदेश के गांवों से आने वाली टोलियां यहां पर लड्डू लेकर आती थी। मगर अब यहां पर डटे आंदोलनकारियों के तंबुओ में दो वक्त की रोटी के अलावा और किसी पकवान की खूशबू कहीं महसूस नहीं होती। एक तरफ तो यह दावा किया जा रहा है कि आंदाेलन जारी रहेगा, लेकिन दूसरी तरफ यहां पर न तो पहले जैसे दिन हैं और न पहले जितनी भीड़, तो जाहिर है कि आंदोलन ढलान पर है।

जिन लोगों में पंजाब से पिन्नी तैयार करके यहां बांटने का जोश था, अब वे कहीं नजर नहीं आते। पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला यहां आए तो लड्डू लेकर आए थे, मगर आंदोलन के बीच अब पहले की तरह रोजाना कोई भी यहां इस तरह की चीजों की मदद के लिए नहीं आते। जाहिर है कि ऐसे में बहुत से लोग यहां से वापस घरों को लौट गए और अब बुलाने से भी नहीं आ रहे हैं।

अराजकता और दागदार करने वाली घटनाओं ने किया शर्मिंदा

किसान आंदोलन जब शुरू हुआ तो बहुत शांति प्रिय ढंग से शुरू हुआ था। पंजाब के किसान हरियाणा को पार करते हुूए टिकरी बॉर्डर तक पहुंच गए मगर कहीं ज्‍यादा हिंसा नहीं देखने को मिली। इस बीच कई किसानों की हार्ट अटैक व अन्‍य कारणों से मौत भी हुई मगर किसान शांत रहे। मगर 26 जनवरी 2020 को ट्रैक्‍टर रैली में लाल किले पर झंडा फरहाने की घटना ने आंदोलन की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए। इसके बाद पश्चिम बंगाल से आंदोलन में शामिल होने आई युवती से दुष्‍कर्म और फिर उसकी मौत के मामले ने और भी तूल पकड़ लिया। इसके बाद पंजाब की ही एक युवती से छेड़खानी करने की बात सामने आई। इन सब घटनाओं को दबाया भी गया तो झूठा भी बताया गया। मगर जांच में सब सच साबित हो गया। दुष्‍कर्मी अब सलाखों के पीछे है। इसके बाद बीजेपी के नेताओं का विरोध करते करते किसान अराजक हो गए। जहां भी जाते बवाल होना तय हो गया।

आंदोलन स्‍थल पर किसान को जलाने की घटना आज भी सवाल

उपरोक्‍त मामले शांत ही नहीं हुए थे कि टिकरी बॉर्डर के पास कसार गांव के एक मुकेश नामक युवक पर पेट्रोल छिड़क आग लगाने का मामला थी सामने आया। आंदोलनकारियों ने इसे झूठ बताया और मुकेश के आत्‍महत्‍या करने की बात कही। मगर एक के बाद एक करके कई वीडियो सामने आए जिसमें लगा कि मामला उलझा हुआ है। युवक को जलाने की घटना से पहले ही आरोपित एक जाति विशेष के बारे में टिप्‍पणी करते हुए नजर आ रहे थे और इसके कुछ देर बाद जलाने वाली घटना सामने आ गई। इस घटना ने देश में चर्चा का‍ विषय बना दिया। वहीं हाल में ही हरियाणा के पूर्व मुख्‍यमंत्री ओपी चौटाला को जींद में खटकड़ टोल प्‍लाजा पर माइक नहीं देने की बात ने आंदोलनकारियों की अराजकता को और भी दर्शा दिया है।

पहले करते उपद्रव फिर केस करवा लेते रफा दफा

आंदोलन के शुरू होने के बाद आंदोलनकारियों ने फैसला किया कि वे बीजेपी और इसके साथ गठबंधन करने वाली पार्टियों के नेताओं का विरोध करेंगे। हरियाणा में बीजेपी और जननायक जनता दल की सरकार है। मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल व उपमुख्‍यमंत्री दुष्‍यंत चौटाला समेत हर किसी का विरोध शुरू हो गया। किसी भी तरह के कार्यक्रम में पहुंचने पर नेताओं का विरोध करने के दौरान जमकर उपद्रव किया जाता। जब केस दर्ज हो जाते तो इन्‍हें खारिज करवाने के लिए आंदोलनकारी जोरदार तरीके से आंदोलन करते हैं और उस शहर में एकत्र हो जाते हैं। ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। हिसार में जब सीएम मनोहर लाल कोविड अस्‍पताल का शुभारंभ करने पहुूंचे तो आंदोलनकारियों ने जमकर हंगामा किया। पुलिस से झड़प में दोनों ओर से लोग घायल हुए। मगर इसके बाद जब मामला दर्ज हुआ तो राकेश टिकैत व गुरनाम चढूनी समेत सभी आंदोलनकारी हरियाणा के हिसार में एकत्र हो गए। प्रशासन को दबाव में आकर सभी मुकदमे खारिज करने पड़े। इसके साथ ही जेजेपी के विधायक देवेंद्र बबली पर भी टोहाना में एक कार्यक्रम में हमला कर दिया। हिसार की तरह यहां भी हमला करने वालों को छुड़वा लिया और टिकैत और चढूनी के नेतृत्‍व में यहां भी आंदोलन किया गया। इसके बाद हरियाणा विधानसभा के डिप्‍टी स्‍पीकर एवं विधायक रणबीर सिंह गंगवा की कार पर सिरसा में हमला कर दिया गया। यहां गिरफ्तार किए गए आंदोलनकारियों की रिहाई के लिए भी आंदोलन किया गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.