ओल्ड नवदीप कालोनी के 40 घरों को तोड़ने का नोटिस, 37 साल से बसी है कॉलोनी, जेल प्रशासन बता रहा अपनी जमीन
जागरण संवाददाता हिसार पुरानी नवदीप कालोनी में जेल अधीक्षक की ओर से 40 घरों को नोटिस
जागरण संवाददाता, हिसार : पुरानी नवदीप कालोनी में जेल अधीक्षक की ओर से 40 घरों को नोटिस थमाए गए हैं। नोटिस जारी होते ही कालोनीवासियों में हड़कंप मच गया है व लोगों की बेचैनी बढ़ गई है। जेल प्रशासन ने अपनी जमीन पर कब्जे की बात कहते हुए इन परिवारों को नोटिस भेज दिए हैं। साथ ही जमीन खाली करने की बात कही गई है। 37 साल पहले कटी इस कालोनी में लोगों को रहते हुए करीब तीन दशक तक का समय बीत चुका है। अब जेल को अपनी जमीन याद आई तो लोगों में भय का माहौल बन गया है। यह भय का माहौल जेल विभाग के अपने फैसले से नहीं बल्कि एक शिकायत पर कार्रवाई करते हुए उठाए गए कदम से बना है। मामला गर्माया तो अब वीरवार को क्षेत्रवासी जेल अधीक्षक से मीटिग करेंगे। ये है मामला
आजाद नगर नहर के पास जेल के पिछले हिस्से में पुरानी नवदीप कालोनी में है। यह कालोनी द अमरदीप को-ऑपरेटिव हाउस बिल्डिग सोसायटी लिमिटेड हिसार 22 जनवरी 1981 में पंजीकृत हुई। कालोनीवासियों के अनुसार इस सोसायटी ने साल 1983 में कॉलोनी काटकर लोगों को प्लाट बेचे। लोगों ने समय के साथ साथ प्लाट खरीदे और अपने मकान बना लिए। अब करीब छह माह पहले जेल प्रशासन ने यहां की पैमाइश की। इसके बाद उन्होंने इस एरिये में अपनी जमीन बताते हुए लोगों को नोटिस थमाते हुए कहा कि अलग अलग घरों ने जेल की करीब 5 से 10 फीट तक की जमीन कब्जा किए हुए हैं उसे खाली किया जाए। जबकि इस क्षेत्र में लोगों ने अपनी जीवन की पूंजी लगाकर मकान बनाए हुए हैं। ऐसे में यदि नोटिस पर जमीन लेने की कार्रवाई सिरे चढ़ती है तो लोगों को लाखों रुपये का नुकसान झेलना तो पड़ेगा ही साथ ही कॉलोनी मे जमीनी विवाद भी बढ़े स्तर पर होगा। लोगों का आरोप है कि हमने तो सोसायटी की निशानदेही पर ही अपने मकान बनाए है। हमने कोई कब्जा नहीं किया। यदि यह कब्जा है तो उनके लिए सोसायटी जिम्मेदारी है हम नहीं। प्लाट धारक रामकुमार ने कहा कि हमें मिली जानकारी के अनुसार ये नोटिस 48 घरों को भेजने थे। आठ को बाद में भेजे जाएंगे। फिलहाल 40 को भेज दिए हैं। जाने लोगों की जुबानी उन्हीं की कहानी
रामकुमार : पुलिस विभाग में सेवानिवृत हूं। साल 1983-84 में मकान खरीदा था। अपनी जीवन की पूंजी यहां लगाई है। अब एक शिकायत पर जेल अधीक्षक जमीन को अपनी बता रहे है। जबकि उनकी यहां से रंगभरी सिचाई विभाग का नहरी नाला है। जिसके इस तरफ हमारा प्लाट है। जेल की जमीन राजगढ़ रोड की तरफ है। लेकिन वह उसे पीछे दिखाने का प्रयास कर रहा है। जो हमारे साथ ज्यादती है।
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बदन सिंह : मैं बिजली विभाग से रिटायर्ड फोरमैन हूं। मैंने अपने जॉब के दौरान इस एरिये में काम किया। जेल की यहां कोई जमीन नहीं थी। इसका सबूत यह सिचाई विभाग का यह नहरी नाला है। साल 1983 में यह प्लाट खरीदा था। मैंने अपने जीवन की पूंजी यहां लगा दी है। अब सालों बाद जेल विभाग कम्प्यूटराइज पैमाइश कर हमारी जमीन को अपना बता रहे है। हमारा प्लाट की अनुमति सरकारी विभाग के माध्यम से है। अब कब्जा बताकर दबाव बनाया जा रहा है। रामफल पूनिया : मैं किसान हूं। सालों पहले यहां प्लाट खरीदा था। आज तक तो कोई समस्या नहीं आई। अब किसी की शिकायत पर हमारी जमीन को जेल की जमीन बताकर कब्जा बताया जा रहा है। हमने सोसायटी की पैमाइश जमीन पर प्लाट बनाया है। हर बात सोसायटी से पूछकर की है। अब यदि कब्जा बताया जा रहा है तो इसके लिए सोसायटी जिम्मेदार है हम नहीं।
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सोसायटी का तर्क : हमने सोसायटी की जमीन ही प्लाट की पैमाइश करवाकर दिये है कब्जा है तो प्लाट वालों ने किया होगा, इसमें हमारा कोई भी कसूर नहीं है। यदि उन्होंने अपनी जमीन से अधिक जमीन पर कब्जा किया है तो यह उनकी समस्या है। इसमें हमारा कोई भी कसूर नहीं है।
राजबीर बूरा, सचिव, द अमरदीप को-ऑपरेटिव हाउस बिल्डिग सोसायटी लिमिटेड हिसार।