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भिवानी में सिंचाई विभाग की लापरवाही अन्नदाता पर पड़ रही भारी, जलमग्न हुई धान की फसल

भिवानी में तीन दिन में शनिवार को दूसरी बार माइनर टूटने से धान की फसल जलमग्न होकर नष्ट हो गई है। सिंचाई विभाग के जेई के नेतृत्व में विभाग टीम जेसीबी लेकर नहर को पाटने के लिए पहुंची।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sat, 30 Oct 2021 05:37 PM (IST)Updated: Sat, 30 Oct 2021 05:37 PM (IST)
भिवानी में सिंचाई विभाग की लापरवाही अन्नदाता पर पड़ रही भारी, जलमग्न हुई धान की फसल
भिवानी में माइनर टूटने से धान की फसल हुई खराब।

जागरण संवाददाता, भिवानी। गांव धनाना के अन्नदाताओं पर सिंचाई विभाग की लापरवाही भारी पड रही है। तीन दिन में शनिवार को दूसरी बार माइनर टूटने से धान की फसल जलमग्न होकर नष्ट हो गई है। किसानों को गेहूं की बिजाई ना होने का भी डर सता रहा है। सिंचाई विभाग के जेई के नेतृत्व में विभाग टीम जेसीबी लेकर नहर को पाटने के लिए पहुंची। किसानों का कहना है कि नहर टूटने से उनकी करीब 80-90 एकड़ कृषि भूमि जलमग्न होकर फसल नष्ट हो गई है। किसानों ने पचास हजार रुपये प्रति एकड़ मुआजजा देने की मांग की है।

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जलमग्न हुई धान की फसल

गांव धनाना में शनिवार सुबह धनाना माइनर अचानक टूट गई। तीन दिन पहले भी यह नहर टूट गई थी। नहर टूटने से शनिवार को फिर से करीब 80-90 एकड़ में खड़ी धान की तैयार फसल नष्ट हो गई है। जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। किसान कृष्ण व कुलदीप ने कहा कि सिंचाई विभाग की लापरवाही अन्नदाता पर भारी पड़ रही है। तीन दिन में दूसरी बार माइनर टूटने से आज 80 एकड धान की पक्की पकाई पहल जलमग्न होकर खराब हो गई। पीड़ित किसानों ने इसके लिए सिंचाई विभाग को जिम्मेवार बताया है और मुआवजे के तौर पर 50 हजार रुपये प्रति एकड देने की मांग की है। साथ ही जल्द पानी निकालने की मांग की है ताकि अगली फसल की बिजाई प्रभावित ना हो। उन्होने ही कि बार-बार माइनर टूटने का कारण सिंचाई विभाग की लापरवाही को बताया है। किसानों का कहना है कि माइनर की सफाई नहीं करवाई जाती है, जिससे नहर टूटती है।

माइनर पाटने का काम शुरू किया गया

भिवानी सिंचाई विभाग के जेई रोहित ने बताया कि सिंचाई विभाग टीम सूचना मिलते ही मौके पर जेसीबी लेकर पहुंची गई है। माइनर पाटने का काम शुरू किया गया है। किसानों के नुकसान के आंकलन के लिए पटवारी को बुला गया है। पटवारी नुकसान की रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को देंगे। जिसके आधार पर किसानों को मुआवजा दिया जाएगा। मुआवज़ा देना उन्हीं का काम है।


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