फतेहाबाद में अनोखा फर्जीवाड़ा, बंजर जमीन पर दिखाई धान की फसल, सरकार को लगाया लाखों का चूना
फतेहाबाद के आढ़ती व मिलर्स बालसंद की रेतीली जमीन पर धान की फसल काट गए। जबकि यहां बिना बारिश बाजरा भी नहीं उगता। जिन लोगों के नंबरों पर फसल का पंजीकरण हुआ वे किसान ही नहीं। उन्हें खाते में धान का भुगतान आने की जानकारी तक नहीं।
फतेहाबाद, जेएनएन। पंजाब व हरियाणा में परमल धान की खरीद की जांच सीबीआई कर रही है। लगातार गोदामों में जाकर स्टॉक जांच की जा रही है। वहीं जिस धरती पर बाजरा व ग्वार की खेती भी बारिश पर निर्भर है। वहां पर आढ़ती, मिलर्स व अधिकारी मिलकर धान की फसल काट गए।
अब शिकायतकर्ता इस मामले को लेकर अधिकारियों के पास चक्कर काट रहे हैं। लेकिन खाद्य आपूर्ति विभाग व मार्केटिंग बोर्ड इस एक दूसरे के पास भेज रहे हैं। शिकायत पर सुनवाई नहीं हो रही। हद तो यह है कि जिन मोबाइल नंबरों से फसल का पंजीकरण होकर फसल खरीदी गई। उन मोबाइल नंबर धारकों का कहना है कि न तो खेती करते हैं न ही उन्होंने कभी धान की फसल बेची।
दरअसल, फतेहाबाद के शिकायतकर्ता डीके अग्रवाल ने शिकायत दी कि धारसूल अनाज मंडी में 6 नवंबर को परमल धान की खरीद हुई थी। तीन किसानों के नाम पर एक फर्म ने फसल खरीदी। तीनों किसानों से करीब 35 लाख रुपये के धान खरीदे गए। इनका पंजीकरण 28 अक्टूबर को किया गया। शिकायतकर्ता का दावा है कि जिन किसानों की फसल का पंजीकरण किया हुआ है, उन्हें हिसार जिले के गांव बालसंद, बुडाक व चौधरीवाली क्षेत्र का दिखाया गया है। जहां पर बाजरा की खेती भी बारिश पर निर्भर है। धान की खेती किसी भी सूरत में नहीं हो सकती। उसके बाद भी धान की फसल खरीदते हुए गड़बड़ी कर दी।
6 दिनों में जारी कर दिए रुपये
शिकायतकर्ता ने बताया कि 6 नवंबर को जो परमल धान की खरीद हुई थी उसे खाद्य आपूर्ति विभाग ने की है। किसान के खाते में 12 नवंबर को रुपये जारी कर दिए। इतने रुपये अन्य किसानों के खाते में नहीं जाते। अधिकांश किसानों की पेमेंट एक महीने के अंतराल पर हुई।
फसल बेचने वालों को नहीं है जानकारी
शिकायतकर्ता ने जिन मोबाइल नंबर व फसल बेचने वालों के दस्तावेज के आधार पर शिकायत दी है। उनमें अनिल, साहिल व छबीलदास शामिल हैं। जब इनसे नंबरों से संपर्क किया तो इनका कहना था कि वे फसल बेचना तो दूर खेती ही नहीं करते। गत वर्ष एक मिलर्स में काम करते थे। उस दौरान उनके मोबाइल नंबर पर फसल का पंजीकरण किया गया होगा। फसल बेचने व रुपये खाते में आने की जानकारी नहीं है।
धान उत्पादक किसानों को दोबारा पंजीकरण की छूट देने से हुई गड़बड़ी
प्रदेश सरकार ने धान उत्पादक किसानों को 28 नंबर को फिर से मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल खोल दिया। इस दौरान अधिकांश पंजीकरण आढ़तियों, व्यापारियों व मिलर्स ने किया। सरकार की मिली छूट की बदौलत दूसरे जिले में खाली पड़ी जमीन पर अपने कारिंदों को काश्तकार दिखाते हुए फसल का पंजीकरण करवाते हुए फसल बेच दी।
26 हजार किसानों ने 1 लाख 60 हजार एकड़ में धान की फसल
मार्केटिंग बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार गत वर्ष खरीफ सीजन में 26 हजार किसानों ने विभिन्न धान की फसल का पंजीकरण करीब 1 लाख 60 हजार एकड़ में करवाया गया। इस दौरान मार्केट कमेटी की सभी खरीद केंद्रों व मंडियों में 64 लाख क्विंटल परमल धान की खरीद गई थी। जो वर्ष 2019 के मुकाबले 16 लाख क्विंटल कम थी।
मार्केट कमेटी के अधिकारी एक दूसरे के पास भेज रहे शिकायत
शिकायकर्ता डीके अग्रवाल ने बताया कि मैंने दो महीने पहले शिकायत दी थी। ट्विटर पर भी शिकायत दर्ज करवाई। लेकिन अधिकारी मेरी शिकायत पर कार्रवाई करने की बजाए कभी खाद्य आपूर्ति विभाग तो कभी मार्केट कमेटी में भेज रहे हैं। कार्रवाई तो दूर मेरे दस्तावेज के आधार पर जांच तक नहीं की।
जांच चल रही है : साहब राम
जिला विपणन एवं प्रवर्तन अधिकारी साहब राम ने बताया कि पूरे मामले की जांच चल रही है। ट्विटर के माध्यम से शिकायत आई थी। शिकायत को धारसूल मार्केट कमेटी में फारवर्ड कर दिया है। वहां के कर्मचारियों को निर्देश दिए हैं कि जल्द से जल्द जांच करते हुए रिपोर्ट भेजे।
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