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रोहतक के इंटरनेशनल ट्रांसपोर्टरों ने कहा, महंगाई नहीं रुकी तो ट्रेड वॉर की तरह होगा इस्तेमाल

कोविड-2019 की पहली लहर आते ही शिपिंग इंडस्ट्री में इंटरनेशनल ट्रांसपोर्टरों व शिपिंग इंडस्ट्री की लीज खत्म होने लगीं। जब पहली और दूसरी लहर का असर कम हुआ तो फिर से लीज के लिए संपर्क किया गया। अब शिप को लीज पर देने के लिए शर्तें बदल दीं।

By Naveen DalalEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 02:21 PM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 02:21 PM (IST)
रोहतक के इंटरनेशनल ट्रांसपोर्टरों ने कहा, महंगाई नहीं रुकी तो ट्रेड वॉर की तरह होगा इस्तेमाल
माल ढुलाई बढ़ने से विश्व बाजार में खलबली मच गई है।

अरुण शर्मा, रोहतक। बढ़ती महंगाई को लेकर हर ओर चर्चा है। पेट्रोल-डीजल को इसके लिए जिम्मेदार ठहराकर सरकार की घेरेबंदी हो रही है। इंटरनेशनल ट्रांसपोर्टर शिपिंग इंडस्ट्री में कुछ देशों के अप्रत्यक्ष दखल को विश्व अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। दरअसल, दूसरे लाकडाउन खुलने के बाद से अभी तक शिपिंग इंडस्ट्री में आठ से दस गुना तक माल ढुलाई बढ़ने से विश्व बाजार में खलबली मचाकर रख दी है। 

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भविष्य में अर्थव्यवस्था के लिए यह शुभ संकेत नहीं

इंटरनेशनल ट्रांसपोर्टर व रोहतक के सेक्टर-1 निवासी सुमित भ्याना मानते हैं कि इस वक्त महंगाई की चपेट में भारत ही नहीं बल्कि विश्व है। जल्द ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर इसे नहीं रोका गया तो इसके दूरगामी परिणाम खतरनाक हो सकते हैं। इसे "ट्रेड वार' के रूप में भी देखा जा रहा है। इन्होंने बताया कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बाद बाजार खुले। कारोबार पटरी पर लौटे तो अचानक डिमांड बढ़ी। उत्पादन की तुलना में आपूर्ति कम होने के लिए शिपिंग इंडस्ट्री बड़ी बाधा बनकर सामने आ गई। दरअसल, पहले अमेरिकी देशों में 40 फुट वाले कंटेनर पर दो से ढाई लाख रुपये का खर्चा आ रहा था। दूसरे देशों की माल ढुलाई में भी भारी उछाल आया है।

इसी तरह से अब यही खर्चा बढ़कर 20 से 22 लाख रुपये हो गया है। इसी तरह से चीन के बाद हमारे देश में साउथ एशिया के पांच देशों वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया व सिंगापुर से सर्वाधिक आयात-निर्यात रोजमर्रा, दवाओं, सजावटी सामान, फर्नीचर, कपड़ा, स्टील आदि होता है। पहले यहां से माल मंगाने और भेजने में 40 फुट वाले कंटेनर पर चार से साढ़े पांच लाख रुपये तक का खर्चा होता था। अब यहां की माल ढुलाई चीन के बराकर यानी सात से आठ लाख रुपये तक हो चुकी है। कारोबारी कहते हैं कि चीन की इसे चालाकी कहें या फिर कोई बड़ी साजिश, लेकिन इससे भविष्य में अर्थव्यवस्था के लिए यह शुभ संकेत नहीं।

शिपिंग इंडस्ट्री में लीज ने किया बेड़ागर्क

कोविड-2019 की पहली लहर आते ही शिपिंग इंडस्ट्री में इंटरनेशनल ट्रांसपोर्टरों व शिपिंग इंडस्ट्री की लीज खत्म होने लगीं। जब पहली और दूसरी लहर का असर कम हुआ तो फिर से लीज के लिए संपर्क किया गया। अब शिप को लीज पर देने के लिए शर्तें बदल दीं। इसमें स्पेस की शर्त के साथ ही दाम भी कई गुना बढ़ा दिए। उत्पादन के बाद आर्डर की आपूर्ति एक से दूसरे देश में करने के लिए इंटरनेशनल ट्रांसपोर्टरों ने मुंह-मांगे दामों में लीज पाईं। दूसरी ओर, चीन और पांच एशिया के देशों की माल ढुलाई बराबर हो गई। शिप में स्पेस का फायदा और माल ढुलाई बराबर होने का फायदा चीन उठा रहा है। अब दुनिया के कारोबारी चीन को विकल्प मान रहे हैं।

उत्पादन के साथ ही माल ढुलाई ने बढ़ाई लागत

कारोबारी मानते हैं कि माल ढुलाई ने सभी उत्पादों की लागत बढ़ा दी है। रोहतक की एलपीएस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश जैन कहते हैं कि शिपिंग इंडस्ट्री ने तो उद्यमियों के लिए मुसीबतें खड़ी कर दी हैं। मुंबई से न्यूयार्क तक दो हजार डालर का खर्चा था, जोकि अब नौ हजार डालर से अधिक है। इसके साथ ही स्पेस नहीं मिल रहा। इसलिए माल भेजने में पसीने छूट रहे हैं। चीन ने शिपिंग इंडस्ट्री पर अप्रत्यक्ष तौर से कब्जा कर लिया है। इसलिए मनचाहे रेट चीन ने भी बढ़ा दिए हैं।

दूसरे देशों के माल समुद्र में तैर रहे, सिर्फ चीन को ही मिल रहा स्पेस

विश्व की अर्थ व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की पटकथा सुनियोजित मानी जा रही है। कारोबारी मानते हैं कि चाइना को पहले से ही भनक थी, इसलिए उसने पिछले कई माह से माल फस्र्ट फ्लाइट यानी महंगे दामों पर माल ढुलाई की बुकिंग करा दी। इससे चंद दिनों के अंदर ही माल पहुंच जाता था। दूसरे देशों को महंगाई के तूफान की आहट नहीं थी। इसलिए अभी तक कई देशों का माल समुद्र के अंदर जहाजों में हैं। अब चीन मुंहमांगे रेट में माल बेच रहा है। दूसरे देशों को स्पेस भी नहीं मिल रहा।

यह बोले एक्सपर्ट 

1. कर विशेषज्ञ अधिवक्ता अशोक कुमार जांगड़ा ने बताया कि शिपिंग कारोबार में भाड़ा बढ़ने से देश की इंडस्ट्री व दूसरे सभी सेक्टरों पर ट्रांसपोर्टेशन का बोझ बढ़ेगा। इससे उत्पादन की लागत अधिक हो जाएगी। सीधे तौर से महंगाई बढ़ती है। अब जनता को स्वयं की आमदनी बढ़ाने के लिए अतिरिक्त स्रोत मजबूत करने होंगे। इसके साथ ही लोगों को अपने खर्चों पर भी नियंत्रण करना होगा।

2. सीए रामानुजन शर्मा ने बताया कि महंगाई के लिए शिपिंग कारोबार के साथ कुछ अन्य भी कारण हैं। जैसे चीन-पाकिस्तान से तनाव के चलते सुरक्षा पर हमारा खर्चा अधिक बढ़ रहा है। इसके साथ ही बैंकिंग सेक्टर में ब्याज रेट छह फीसद हैं। इसलिए लोग फिक्स डिपोजिट के बजाय दूसरे सेक्टरों जैसे रीयल एस्टेट व सोने-चांदी, शेयर मार्केट में निवेश कर रहे हैं। इससे इन सेक्टरों में लगातार महंगाई है। त्योहारी सीजन में क्रेडिट कार्ड का उपयोग व गिफ्ट परंपरा के चलते लोग बचत पर ध्यान नहीं दे रहे। यह भी बेवजह के खर्चे होते हैं। यदि हम चीन से निर्मित उत्पाद न खरीदें तो सीधे तौर से चीन के बजाय हमारी प्रत्येक इंडस्ट्री को फायदा होगा। इससे भी महंगाई कम होगी।


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