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ओलंपिक में 3 बार देश का प्रतिनिधित्‍व कर चुके पहलवान उदयचंद बोले- पहले ताकत थी अब तकनीक जरूरी

विश्व कुश्ती चैंपियनशिप के लाइट वेट वर्ग में विदेश की धरती पर पहला पदक जीतने वाले 86 वर्षीय पहलवान उदयचंद ने खेल में बीते वक्त की यादों और अनुभव को दैनिक जागरण से साझा किया। उन्होंने कहा कि ओलंपिक में पदक जीतना एक खिलाड़ी का सबसे बड़ा सपना होता है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 23 Jun 2021 11:28 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jun 2021 11:28 AM (IST)
ओलंपिक में 3 बार देश का प्रतिनिधित्‍व कर चुके पहलवान उदयचंद बोले- पहले ताकत थी अब तकनीक जरूरी
देश के प्रथम अर्जुन अवार्डी हिसार निवासी पहलवान उदयचंद ने तीन बार ओलंपिक में किया था देश का प्रतिनिधित्व

हिसार [पवन सिरोवा] मैं जब ओलंपिक में खेलता था, उस समय कुश्ती में मेडल ताकत के बल पर जीते जाते थे। जो खिलाड़ी जितना ज्यादा ताकतवर होता उसके जीतने की संभावना उतनी ही अधिक होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब कुश्ती ताकत के साथ-साथ तकनीक और शरीर के लचीलेपन के मिश्रण का खेल बन चुका है। आप तकनीकी रूप से जितने दक्ष होंगे, शरीर जितना लचीला होगा आपके जीतने की संभावना उतनी अधिक होगी। यह कहना है देश के प्रथम अर्जुन अवार्डी पहलवान उदयचंद का। जिन्होंने साल 1960 से 1968 तक तीन ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया और कुश्ती में खास मुकाम हासिल किया।

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विश्व कुश्ती चैंपियनशिप के लाइट वेट वर्ग में विदेश की धरती पर पहला पदक जीतने वाले 86 वर्षीय पहलवान उदयचंद ने खेल में अपने बीते वक्त की यादों और अनुभव को दैनिक जागरण से साझा किया। उन्होंने कहा कि ओलंपिक में पदक जीतना एक खिलाड़ी का सबसे बड़ा सपना होता है। समय के साथ-साथ ओलंपिक खेलों में बहुत परिवर्तन आया है। पारदर्शिता से लेकर खेल सुविधाओं तक सभी स्तर बहुत बेहतर हो गया है। हमारे जमाने में तो सुविधाएं नाममात्र ही थीं, लेकिन अब वह स्थिति नहीं है। खानपान बहुत बदल चुका है। हम घी दूध और फल पर आश्रित थे, आज खिलाडिय़ों की डाइट में बहुत परिवर्तन आ गया है।

12 साल नेशनल चैंपियन रहे पहलवान उदयचंद

हिसार के आजाद नगर निवासी पहलवान उदयचंद देश के प्रथम अर्जुन अवार्डी हैं। साल 1935 में गांव जांडली में एक किसान परिवार में उनका जन्म हुआ। साल 1953 से 1970 में भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर रहे। इस दौरान साल 1958 से लेकर 1970 तक 12 वर्ष तक नेशनल चैंपियन रहे। साल 1970 से 1995 में हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार में बतौर प्रशिक्षक उन्होंने कई पहलवान तैयार किए। तीन बार ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया।

आजाद भारत के पहले पहलवान जिन्होंने वर्ल्‍ड चैंपियनशिप में मेडल जीता

जापान के योकोहामा में 1961 में हुई वर्ल्‍ड रेसलिंग चैंपियनशिप में लाइट वेट वर्ग में कांस्य पदक जीता था। पहलवान उदयचंद आजाद भारत के पहले व्यक्तिगत वर्ल्‍ड रेसलिंग चैंपियनशिप के पदक विजेता हैं। उदयचंद अपने भाई हरिराम के साथ विश्व चैंपियनशिप मे हिस्सा लेने गए थे। भारत के इतिहास मे ऐसा पहली बार था कि एक मां के दो बेटे विश्व चैंपियनशिप मेंं खेले।

तीन बार मास्टर चंदगीराम से हुई कुश्ती, हर बार बराबरी पर छूटी

पहलवान उदयचंद का तीन बार मास्टर चंदगीराम से आमना-सामना हुआ, लेकिन उनकी कुश्ती का कभी परिणाम नही निकल सका। हर बार मुकाबला बराबरी पर रहा।

धूम्रपान था कमजोरी, आज भी इसका दर्द

उदयचंद हुक्का और बीड़ी पीते थे। वे मानते हैं कि यह उनकी सबसे बड़ी कमजोरी थी, जिसका तमाम उम्र मलाल रहेगा। उदयचंद कहते हैं यदि मैं तंबाकू, बीडी, सिगरेट का सेवन न करता तो बात ही कुछ और होती। डेढ़ दर्जन मेडल खाते में और होते। साथ ही विश्व चैंपियन भी होता।

पहलवान उदयचंद की खेल उपलब्धियां

- साल 1960 रोम, साल 1964 टोक्यो और साल 1968 मैक्सिको ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया। टोक्यो और मैक्सिको ओलंपिक में भारतीय टीम की कप्तान भी रहे।

- साल 1958 से 1970 तक 12 वर्ष नेशनल चैंपियन रहे।

- साल 1961 में जापान में हुई विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में लाइट वेट वर्ग में कांस्य पदक जीतकर विदेशी धरती पर कुश्ती में पहला पदक जीतने वाले भारतीय बने।

- साल 1964 में बैंकाक एशियाड में कांस्य पदक अपने नाम किया।

देश के प्रथम अर्जुन अवार्डी पहलवान उदयचंद ने कहा कि 23 जून को विश्व ओलंपिक दिवस है। इस दिन को हर खिलाड़ी अवश्य मनाए। इससे खेल के प्रति प्रेम बढ़ता है। जब आप खेल से प्रेम करने लगते हैं तो उसके प्रति आपका समर्पण भाव आपको कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है और फिर एक दिन खेल भी आपसे प्रेम करने लगता है। आप सफलता को छूने लगते हैं।


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