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अजब-गजब: आरोपित को ही बना दिया जांच अधिकारी, शिकायतकर्ता संतुष्‍ट बता बना दी रिपोर्ट

जांचकर्ता अधिकारी 20 जून को शिकायतकर्ता को जांच जारी होने की बात कहता है और सीएम विंडो पर शिकायत को 3 अप्रैल को ही डिस्पोज आफ कर रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज चुका होता है

By manoj kumarEdited By: Published: Fri, 12 Jul 2019 02:18 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jul 2019 12:30 PM (IST)
अजब-गजब: आरोपित को ही बना दिया जांच अधिकारी, शिकायतकर्ता संतुष्‍ट बता बना दी रिपोर्ट
अजब-गजब: आरोपित को ही बना दिया जांच अधिकारी, शिकायतकर्ता संतुष्‍ट बता बना दी रिपोर्ट

भिवानी, जेएनएन। सीएम विंडो पर शिकायत करना एक तरह से मजाक बनता जा रहा है। जिस अधिकारी की शिकायत हो और उसी को जांचकर्ता बना दिया जाए तो क्या इंसाफ की उम्मीद की जा सकती है। जी हां, जिला बाल कल्याण कार्यालय के एक अधिकारी की शिकायत के मामले में तो ऐसा ही प्रतीत हो रहा है।

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यहां हैरान करने वाली बात तो तब होती है, जब जांचकर्ता अधिकारी 20 जून को शिकायतकर्ता को जांच जारी होने की बात कहता है और सीएम विंडो पर शिकायत को 3 अप्रैल को ही डिस्पोज आफ कर रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज चुका होता है। जिसमें शिकायतकर्ता की संतुष्टि की सहमति दर्शाई गई है। शिकायतकर्ता ने उक्त अधिकारी की 20 जून को हुई बातचीत का ऑडियो रिकार्ड कर लिया। सवाल उठता है कि यदि शिकायतकर्ता 3 अप्रैल को ही जांच से संतुष्ट हो चुकी थी तो वह 20 जून को मामले की पूछताछ क्यों कर रही थीं।

यह है मसला

असल में न्यू हाउसिंग बोर्ड कालोनी सेक्टर 13 निवासी भारती ने सीएम विंडो पर शिकायत की थी कि बाल संरक्षण अधिकारी कार्यालय में कार्यरत एक अधिकारी ने धोखाधड़ी कर सरकार को चूना लगाया है। शिकायतकर्ता ने आरोपित के खिलाफ आरटीआइ से सुबूत लिए हुए थे, जिनकी ठीक ढंग से जांच करने की बजाय उल्टे 3 अप्रैल को सीएम विंडो पर रिपोर्ट दे दी गई कि कोई अनियमितता नहीं बरती गई है और इस पर संतुष्टि जताते हुए शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर भी दर्शाए गए हैं।

भारती ने कहा कि वह 20 जून तक इंतजार करती रही कि इस मामले में कोई कार्रवाई हुई या नहीं। आखिर 20 जून 2019 को उसने जांच अधिकारी रामबीर सिंह से टेलीफोन कर पता करने का प्रयास किया कि इस मामले में क्या कार्रवाई हुई। इस पर अधिकारी ने जांच जारी होने की बात कह कर टाल दिया। लेकिन बाद में जब भारती ने सीएम विंडो पर मामले की स्थिति की जानकारी ली तो वह हैरान रह गई कि उसके फर्जी हस्ताक्षर वाली रिपोर्ट 3 अप्रैल 2019 को ही अपलोड कर दी गई थी, जिसकी वजह से शिकायत डिस्पाज ऑफ हो चुकी है।

इसके खिलाफ उसने दोबारा से सीएम ङ्क्षवडो पर शिकायत दर्ज करवा दी,लेकिन अधिकारियों ने इस बार और भी हास्यास्पद कदम उठाते हुए आरोपित अधिकारी को ही जांच सौंप दी है। जाहिर है कि इस जांच का नतीजा क्या होगा, अंदाजा लगाया जा सकता है।

---एपीओ रामबीर सिंह ने कहा कि भारती द्वारा लगाए गए आरोप गलत पाए गए हैं। जांच रिपोर्ट में खुद भारती ने ही साइन किए हैं। ये साइन लेखा अधिकारी के समक्ष किए गए थे। उन्होंने कहा कि उनकी दूसरी शिकायत भी एडीसी कार्यालय में आई हुई है और शिकायतकर्ता को बुलाया जा चुका है।


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