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सबसे पहले भारतीयों ने नापी थी विदेशी धरती, हरियाणा की राखीगढ़ी में मिले प्रमाण

हरियाणा के राखीगढी में हड़प्‍पाकालीन सभ्‍यता की खोदाई में लगातार नए और बड़े तथ्‍य उजागर हाे र रहे हैं। अब उजागर हुआ है कि सबसे भारतीयों ने विदेशी धरती नापी थी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 11:46 AM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 11:46 AM (IST)
सबसे पहले भारतीयों ने नापी थी विदेशी धरती, हरियाणा की राखीगढ़ी में मिले प्रमाण
सबसे पहले भारतीयों ने नापी थी विदेशी धरती, हरियाणा की राखीगढ़ी में मिले प्रमाण

नारनौंद (हिसार), सुनील मान। देश दुनिया में चर्चित हिसार के राखीगढ़ी में हड़प्‍पाकालीन सभ्‍यता की खोदाई में लगातार नए तथ्‍य उजागर हो रहे हैं। राखीगढ़ी के टीलों की खोदाई के दौरान ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जो यह प्रमाणित करते हैं कि हमारे पूर्वजों ने सबसे पहले विदेश में भ्रमण और प्रवास आरंभ किया थे। वे सबसे पहले दूसरे देशों में गए। खोदाई में कुछ मनके और मुहर मिली हैं। मनके ईरान के हैं और उनका उपयोग आज भी ईरान में होता है।

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ईरान और मध्य एशिया में व्यापार करने के लिए गए थे हमारे पूर्वज

खाेदाई में उजागर हुआ है कि मुहर भारतीयों की तरफ से खरीद फरोख्त के समय उपयोग की जाती थी। पुरातत्व विशेषज्ञों के खोदाई में कोई ऐसा साक्ष्य नहीं मिला है कि कोई विदेशी यहां आया हो। हां, हमारे लोगों के विदेश प्रवास करने के पुष्ट प्रमाण अवश्य हैं। पुरातत्वविदों के अनुसार हमारे पूर्वज ईरान गए थे, इसकी जानकारी वहां के 11 लोगों के डीएनए सैंपल का टेस्ट करने के बाद सामने आई। उन लोगो में हड़प्पन लोगों का जीन मिला है।

दूसरी तरफ भारत के यानी हड़प्पाकालीन लोगों में दूसरे देशों के लोगों का जीन नहीं मिला। यह इस बात की पुष्टि करता है कि भारतीय ही सबसे पहले विदेश गए थे। पुरातत्वविदों के अनुसार खोदाई में जो वस्तुएं मिली हैं, वे यह अनुमान लगाए के लिए पर्याप्त हैं कि भारतीय ईरान और मध्य एशिया में व्यापार करने के लिए पहुंचे थे और उनके ईरान से अच्छे व्यापारिक संबंध थे। अभी तक विश्व में अलग-अलग स्थानों पर हुई खोदाई में कहीं भी पांच हजार साल पुराना कंकाल मिला हो, लेकिन राखीगढ़ी में मिले कंकाल पांच हजार वर्ष पुराने हैं।

दक्षिण के लोगों में हड़प्पन का जीन

राखीगढ़ी में मिले कंकाल की कद काठी हरियाणा या पंजाब के लोगों से मिलती जुलती है। लेकिन साउथ में लोग अलग प्रकार से दिखते हैं। इस पर शोध किया गया तो सामने आया कि यह सिर्फ भौगोलिक संरचना के बदलाव के कारण। दक्षिण भारत के 3500 लोगों के सैंपल टीम ने लिए और उनका डीएनए टेस्ट किया। उनमें हड़प्पन लोगों का ही जीन मिला। इसलिए यह बात भी गलत साबित हुई दक्षिण के लोग बाहर से आए थे।

'' खोदाई में मिले सामान से यह साबित हो गया कि हम लोग ही सबसे पहले बाहर विदेशों में गए थे। उसके बाद ही विदेशी लोग यहां पर आए थे। डीएन टेस्ट से यह भी प्रमाणित है दक्षिण के लोगों में भी हड़प्पन लोगों का जीन है।

                        - वसंत शिंदे, पूर्व कुलपति डेक्कन यूनिवíसटी एवं महानिदेशक राष्ट्रीय समुद्री विरासत समूह।


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