मंकी पाक्स के लिए भारत को डर कम, मगर विदेशों से होने वाली ट्रेवलिंग पर रखनी होगी निगाह
भारत सरकार के पशु पालन विभाग के कमिश्नर और हिसार के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र में विज्ञानी डा. प्रवीन मलिक ने मंकी पाक्स को लेकर महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की। उन्होंने बताया कि मंकी पाक्स को लेकर भारत में अभी डर नहीं है
वैभव शर्मा, हिसार। लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) में माइक्रोबायोलाजिस्ट, इम्यूनोलाजिस्ट और संक्रामक रोगों के विशेषज्ञों की राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित हुई। जिसमें वेटरनरी क्षेत्र के विज्ञानियों ने अपने शोध और अनुभवों को साझा किया। इस कार्यशाला में भारत सरकार के पशु पालन विभाग के कमिश्नर और हिसार के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र में विज्ञानी डा. प्रवीन मलिक भी आए। उन्होंने मंकी पाक्स को लेकर महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की। उन्होंने बताया कि मंकी पाक्स को लेकर भारत में अभी डर नहीं है क्योंकि हम इस प्रकार की बीमारियां फैलाने वाले जानवरों के करीब नहीं रहते हैं। वहीं इसी रोग से मिलते जुलते रोग के टीके भी भारत में बच्चों को छोटी उम्र में ही दे दिए जाते हैं।
मगर हमें सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि यह बीमारी दूसरे देशों से आने वाले लोगों के जरिए फैल सकती है। जिस प्रकार से कोरोना फैला था। इसके लिए विदेशी ट्रेवलिंग पर कड़ी निगाह होनी चाहिए। हमें पता होना चाहिए कि अगर यह बीमारी हमारे यहां डायग्नोज हो जाती है तो किस प्रकार से हम कंटेन करेंगे, पालिसी क्या होगी। मेडिकल व फील्ड वेटेनेरियन को पता होना चाहिए कि कहां मरीज को भेजना है।
डा. मलिक बताते हैं कि मंकी पाक्स का वायरस हवा से नहीं फैलता है इसलिए अधिक चिंता की बात नहीं है। यह किसी संक्रमित के संपर्क में आने से ही फैलता है। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाई लेवल टास्क फोर्स गठित कर दी हैं। जिस प्रकार से चिकनपाक्स में हम कदम उठाते हैं ठीक उसी प्रकार मंकी पाक्स में भी उन्हीं बातों का ध्यान रखा जाता है। हमें ट्रांसमिशन से खबरदार रहना चाहिए। क्योंकि हम बीमारियों का ट्रांसमिशन हमें पशुओं से नहीं बल्कि इंसानों से ही लगने का खतरा है।
डा. मलिक बताते हैं कि अभी देश के पास पर्याप्त डायग्नास्टिक क्षमता है। मगर इसको शुरुआत में पहचानने में जितना देरी करेंगे उतना भी वायरस के फैलने की संभावना बढ़ जाती है। कई देश मंकी पाक्स की वैक्सीन को लेकर विचार कर रहे हैं मगर मेरी निजि राय यह है कि भारत में अभी वैक्सीन की जरूरत नहीं है।
डा. मलिक बताते हैं कि भारत को वायरस जनित बीमारियों के लिए अब हाटस्पाट कहा जा रहा है। क्योंकि हमारी जनसंख्या अधिक है, जनसंख्या का घनत्व अधिक है। हमारा जुड़ाव जानवरों व वन्य जीवन के साथ बहुत है। हमारे पास एक ही सकारात्मक बिंदू है कि जिस प्रकार के जानवरों से यह बीमारियां ट्रांसमिट हो रही हैं उस तरह के जानवरों से हमारा संपर्क न के बराबर है। इसीलिए हम बचे हुए हैं। मगर जिस प्रकार कोरोना इंसानों से होता हुआ भारत में आया तो दूसरी बीमारी भी अब इंसानों से होते हुए हम तक आसानी से पहुंच सकती हैं। इसलिए बाहर से होने वाली आवाजाही पर अधिक सख्ती से निगरानी की जरूरत है।