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गोल्फ में हरियाणा की बेटी से देश को बड़ी उम्मीद, गोरखपुर में कर रही मेहनत

गोल्फर दीक्षा डागर को ओलंपिक पोडियम स्कीम (टाप्स) में शामिल किया गया है। 21 वर्षीय बाएं हाथ की दीक्षा डागर पिछले साल ओलंपिक खेलों में 50 वें स्थान पर रहीं। जबकि 2017 ग्रीष्मकालीन डेफ्लिम्पिक्स में रजत पदक विजेता भी रही हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 08:29 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 08:29 PM (IST)
गोल्फ में हरियाणा की बेटी से देश को बड़ी उम्मीद, गोरखपुर में कर रही मेहनत
हरियाणा की बेटी झज्जर निवासी गोल्फर दीक्षा डागर।

अमित पोपली, झज्जर। झज्जर के गांव छप्पार निवासी गोल्फर दीक्षा डागर इन दिनों गोरखपुर के गोल्फ कोर्स में अभ्यास करते हुए आने वाले दिनों में विदेशी धरा पर होने वाली प्रतियोगिताओं के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही हैं। अफ्रीका, आस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों में होने वाली स्पर्धाओं के लिए दीक्षा डागर का देश की ओर से हिस्सा लेना प्रस्तावित है। हालांकि, मौजूदा दौर में कोविड प्रोटोकाल के चलते किसी भी तरह के शेड्यूल में होने वाले फेर-बदल भी यह निर्भर करेगा। बता दें कि गोल्फर दीक्षा डागर को ओलंपिक पोडियम स्कीम (टाप्स) में शामिल किया गया है। 21 वर्षीय बाएं हाथ की दीक्षा डागर पिछले साल ओलंपिक खेलों में 50 वें स्थान पर रहीं। जबकि, 2017 ग्रीष्मकालीन डेफ्लिम्पिक्स में रजत पदक विजेता भी रही हैं। दरअसल, दीक्षा डागर के पिता कर्नल नरेंद्र डागर की पोस्टिंग इन दिनों गोरखपुर क्षेत्र में है। इसलिए, परिवार के साथ रहते हुए वह रेलवे के गोल्फ कोर्स में इन दिनों कड़ा अभ्यास कर रही है।

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माता-पिता ने हर कदम पर आगे बढ़कर दिया साथ

आज देश के लिए गोल्फ में बड़ी उम्मीद दिख रही दीक्षा डागर की प्रतिभा को निखारने का काम पूर्व स्क्रैच गोल्फर उनके पिता कर्नल नरेंद्र डागर ने उन्हें गोल्फिंग की शुरुआती बारीकियां सिखाईं। माता-पिता ने हमेशा सुनने की अक्षमता को गंभीरता से न लेने में उनकी मदद की। प्रारंभिक दौर से उन्होंने सोचा कि खेल उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करेगा। ऐसे में उनके परिवार ने बच्चों की पढ़ाई को लेकर ज्यादा चिंता नहीं की। क्योंकि, वह टेनिस, तैराकी और एथलेटिक्स में भी पारंगत हो गई थीं।

भविष्य के लिए दिख रही उम्मीद

2019 में दक्षिण अफ्रीकी ओपन में लेडीज यूरोपियन टूर जीतने वाली दीक्षा सबसे कम उम्र की महिला गोल्फर और अदिति अशोक के बाद दूसरी भारतीय महिला बनीं। उन्होंने 18 साल की उम्र में ये कारनामा किया। बाएं हाथ की इस गोल्फर ने डेफलिंपिक्स में भी रजत पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया था।

दीक्षा दो महान खिलाड़ी, नोवाक जोकोविच और टाइगर वुड्स से प्रेरणा लेती हैं।

12 साल की उम्र में खेला था यूनियन नेशनल सब जूनियर सर्किट

दीक्षा डागर ने अपनी शारीरिक चुनौती को कभी अपनी कमी नहीं बनने दिया। करियर का सबसे पहला मैच उन्होंने 12 साल की उम्र में इंडियन गोल्फ यूनियन नेशनल सब जूनियर सर्किट में खेला था। जिसके बाद उनके करियर की गाड़ी फुल स्पीड में दौड़ी। घरेलू टूर्नामेंट के अलावा दीक्षा डागर ने कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट भी खेलें हैं। देश के बाहर उनका पहला टूर्नामेंट सिंगापुर में हुआ था। दीक्षा टेनिस, बैडमिंटन और तैराकी जैसे खेल भी खेलती हैं। गोल्फ से उन्हें खास प्यार है।


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