हवा में बढ़ी नमी, गेहूं की अगेती बिजाई से किसान ले सकते हैं अच्छा उत्पादन
गेहूं की अगेती बिजाई 20 नवंबर तक होगी। इसके बाद दिसंबर माह तक किसान पछेती बिजाई कर सकते हैं। पछेती बिजाई में 5 से 20 फीसद गेहूं की पैदावार कम होती है।
सिरसा/हिसार, जेएनएन। किसान गेहूं की अगेती बिजाई कर अधिक उत्पादन ले सकते हैं। गेहूं की अगेती बिजाई 20 नवंबर तक होगी। इसके बाद दिसंबर माह तक किसान पछेती बिजाई कर सकते हैं। पछेती बिजाई में 5 से 20 फीसद गेहूं की पैदावार कम होती है। कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को अगेती बिजाई करने के लिए जागरूक कर रहे हैं। जिससे कृषि विभाग द्वारा निर्धारित लक्ष्य भी समय तक पूरा किया जा सके। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार निर्धारित लक्ष्य 30 नवंबर तक पूरा होने की उम्मीद है।
हैप्पी सीडर व जीरो ड्रील से बिजाई से फायदा
किसान धान की पराली में हैप्पी सीडर व जीरो ड्रील से बिजाई कर सकते है। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। किसान को समय व खर्च की बचत के साथ साथ फसल की अच्छी पैदावार होती है। भूमि की पानी पीने की क्षमता में बढोतरी, फसल में खरपतवारों का कम जमाव,भूमि में कार्बन की मात्रा बरकरार, फसल में उर्वरकों की कम आवश्यकता, विपरीत मौसम में फसल नहीं गिरती। फसल पर बीमारियों व कीड़ों का प्रभाव कम व बिजाई के समय डाले गए उर्वरकों का पूरा फायदा मिलता है।
गुणवत्ता व पैदावार पर दें ध्यान
गेहूं की बिजाई की बिजाई पर किसान ध्यान रखे। इसके लिए किसान को फसल की गुणवत्ता व पैदावार से जुड़ी छोटी छोटी बातों पर ध्यान देना होगा। जिन किसानों ने धान की फसल समेटकर खेतों की ङ्क्षसचाई कर रखी है। उन्हें बिजाई से पूर्व खेतों की तैयारी अच्छी तरह से करनी होगी। बिजाई के समय खेत में नमी का पूरा ध्यान रखें। किसी भी फसल के बीज का जमाव खेत की नमी पर निर्भर करता है। बिजाई में किसान प्रमाणित बीज की ही बिजाई करें।
इससे पूर्व बीजोपचार करें, ताकि पैदावार प्रभावित करने वाले बीज जनित रोगों से बचाव किया जा सके। फसल की पैदावार बीज की गुणवत्ता, बिजाई के उचित समय व समुचित देखरेख पर अधिक निर्भर करती है। जिन किसानों के खेतों में अभी तक धान की फसल खड़ी है, उन खेतों में गेहूं की समय पर बिजाई के लिए फसल की ङ्क्षसचाई कर दें, ताकि धान कटने तक खेतों में नमी बरकार रहे।
::::किसान गेहूं की अगेती बिजाई कर अधिक पैदावार ले सकते हैं। किसान गेहूं की बिजाई बीज उपचार के बाद करें। इससे उत्पादन अच्छा होगा।
डा. बाबूलाल, कृषि उपनिदेशक