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हिसार में अजब-गजब कारनामा, चौथी कक्षा के विद्यार्थी की फैमिली आइडी में दिखाई पांच लाख रुपये की आय

हिसार के आदमपुर का एक परिवार पिछले छह माह से वह एडीसी कार्यालय में चक्कर काट रहे हैं। फैमिली आइडी में बच्चे की आय को पांच लाख रुपये दिखा दिया है। इससे पहले फैमिली आइडी में उनकी आय दिखाने में भी गड़बड़ी की गई थी।

By Naveen DalalEdited By: Published: Fri, 24 Jun 2022 09:17 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jun 2022 09:17 PM (IST)
हिसार में अजब-गजब कारनामा, चौथी कक्षा के विद्यार्थी की फैमिली आइडी में दिखाई पांच लाख रुपये की आय
हिसार में फैमिली आइडी में गड़बड़ी का मामला।

हिसार, जागरण संवददाता। हिसार के आदमपुर के मजदूर के चौथी कक्षा में पढ़ने वाले आठ वर्षीय बेटे आतिश की फैमिली आइडी से जुड़ा रोचक मामला सामने आया है। हिसार में फैमिली आइडी का डाटा तैयार करने वालों ने एक चौथी कक्षा के बच्चे की आय पांच लाख रुपये सालाना दिखा दी। अब परेशान अभिभावक आय को कम कराने के लिए कभी किसी अधिकारी के पास जा रहे हैं तो कभी सीएम विंडों पर शिकायत कर रहे हैं। मगर उनकी समस्या का समाधान नहीं निकल पा रहा है।

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ये था पूरा मामला

दरअसल शुक्रवार को आदमपुर के निवासी धर्मपाल ने बताया कि पिछले छह माह से वह एडीसी कार्यालय में चक्कर काट रहे हैं। फैमिली आइडी में बच्चे की आय को पांच लाख रुपये दिखा दिया है। इससे पहले फैमिली आइडी में उनकी आय दिखाने में भी गड़बड़ी की गई थी। अब लगातार शिकायतों के बावजूद समाधान नहीं मिल पा रहा है। धर्मपाल ने बताया कि उनकी आय एक लाख रुपये सालाना है। इसका सत्यापन भी वह करा चुके हैं।

मगर फैमिली आइडी जब बनकर आइ तो उसमें उनकी आय छह लाख रुपये दिखाई गई थी। इसके बाद फैमिली आइडी को सही कराने के लिए उन्होंने एडीसी कार्यालय में दरख्वास्त दी। उन्हें उम्मीद थी कि गलतियों को फैमिली आइडी से सही कर लिया जाएगा। मगर यहां भी उन्हें संतुष्टि नहीं मिली। क्योंकि अबकी बार विभाग ने उनकी आय छह लाख से बढ़ाकर आठ लाख रुपये कर दी।

इसके बाद उन्होंने कुछ दिन तक सरकारी कार्यालय के चक्कर लगाए। फिर जब समाधान नहीं मिला तो सीएम विंडो पर शिकायत कर दी। मगर यहां पर भी उन्हें समाधान नहीं मिला। अब बच्चे की आय पांच लाख रुपये दिखा दी गई है। धर्मपाल ने बताया कि दो लाख रुपये आय होने पर उन्हें सरकार की किसी भी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा। उनके बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। वह दिहाड़ी मजदूरी कर अपना व अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं।


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