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रिकार्ड में गांव और फसल का डाटा गलत और प्रीमियम का सही सिस्टम न होना किसानों के लिए बीमा योजना में बना समस्या

जागरण संवाददाता हिसार भारत सरकार की सबसे महत्वपूर्ण प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़ी

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jan 2020 02:20 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jan 2020 06:14 AM (IST)
रिकार्ड में गांव और फसल का डाटा गलत और प्रीमियम का सही सिस्टम न होना किसानों के लिए बीमा योजना में बना समस्या
रिकार्ड में गांव और फसल का डाटा गलत और प्रीमियम का सही सिस्टम न होना किसानों के लिए बीमा योजना में बना समस्या

जागरण संवाददाता, हिसार: भारत सरकार की सबसे महत्वपूर्ण प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़ी समस्या लगभग हर सप्ताह कृषि विभाग को प्राप्त होती हैं। इन शिकायतों का आंकलन करने पर योजना के क्रियान्वयन में तीन बड़ी समस्याएं नजर आई हैं। किसानों द्वारा की गई शिकायत में खुलासा हुआ कि अगर किसी किसान का खेत दूसरे गांव में है और वह रिकार्ड में दर्ज नहीं है, तब किसानों को दिक्कत आ रही है। बैंक के सिस्टम में अपडेट न होने के कारण किसानों की लगभग हर जिले में दिक्कत आ रही है। इसी प्रकार ब्लॉक स्तर पर बीमा कंपनी का कोई प्रतिनिधि न होने कारण कारण भी किसानों को दिक्कत आ रही हैं, क्योंकि ग्राउंड लेवल पर किसान अगर कोई जानकारी लेना चाहें तो उन्हें कोई जानकारी नहीं मिल पाती है। इसी प्रकार तीसरी बड़ी समस्या है कि किसी प्राकृतिक आपदा की वजह से फसलों का नुकसान होता है तो एक साथ सैकड़ों हजारों मुआवजे के आवेदन आ जाते हैं, जिसका कई बार सर्वे समय पर नहीं हो पाता। अगर किसी किसान ने रिकार्ड में सरसों की फसल लिखाई है और बिजाई गेहूं की फसल कर रहा है, तब भी मुआवजा नहीं मिल पाता। वहीं बैंकों ने प्रीमियम तो काट लिया मगर पूरी सूची बीमा कंपनी के साथ साझा नहीं की, तब भी किसानों को मुआवजा लेने में दिक्कत आ रही है। यह मामले तब निकलकर आए जब कृषि विभाग में किसानों की आई समस्याओं का आंकलन किया गया।

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फसल बीमा योजना की शिकायत में यह तथ्य आए सामने

70 शिकायतों में गांवों के नाम गलत फीड

कृषि विभाग के अधिकारियों ने पाया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में समस्याओं को लेकर जो किसान शिकायत कर रहे हैं, उसमें 60 से 70 शिकायतें ऐसी हैं जिसमें बैंक में गांव के नाम ही गलत फीड किए हुए थे। ऐसे में किसानों को जब तक इसी गलती की जानकारी मिलती है, तब तक देर हो चुकी होती है और वह मुआवजा पाने के लिए लगातार कभी प्रशासन तो कभी बैंक के चक्कर काटते रहते हैं।

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बैंक ने प्रीमियम देने वालों की सूची नहीं की साझा

कई शिकायतों में कृषि विभाग को यह भी देखने को मिला कि कुछ समय पहले बैंकों ने किसानों से प्रीमियम तो काट लिए, मगर उस पूरी जानकारी को बीमा कंपनी के साथ साझा नहीं किया। ऐसे में जिन लोगों के नाम आए बीमा कंपनी ने उनको तो लाभ दे दिया, मगर जिनके नाम नहीं आए वह लोग प्रीमियम देने के बाद भी अपने आप को ठगा महसूस करने लगे। इस कारण इन शिकायतों की संख्या भी बढ़ गई।

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बीमा कंपनी का ब्लॉक स्तर पर नहीं कोई प्रतिनिधि

फसलों का बीमा करने के लिए जिस कंपनी को सरकार ने चिन्हित किया है, उनके जिला स्तर पर तो एजेंट हैं। मगर ब्लॉक स्तर पर बीमा कंपनी का कोई भी प्रतिनिधि नहीं होता। ऐसे में 40 शिकायतें को इसी संबंध में आती हैं कि बीमा कंपनी द्वारा कोई जानकारी नहीं दी जा रही। ऐसे में कृषि विभाग भी लगातार बैठकों में कहता रहा है कि बीमा कंपनी अपने प्रतिनिधि के तौर पर किसी कर्मचारी को प्रत्येक ब्लॉक में बैठाए। ताकि किसानों को प्रीमियम कितना देना है, क्या नियम होने चाहिए, मुआवजा कैसे मिलेगा जैसी जानकारियां उन्हें गांव के पास ही उपलब्ध हो जाए।


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