सेक्टरों में गहराया जलसंकट, एक दिन छोड़कर पानी सप्लाई देने से दिक्कतें बढ़ी
नहरबंदी के कारण सेक्टरों में जल संकट गहराता जा रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी सेक्टर 16-17 के लोगों को रही है क्योंकि यहां एक दिन छोड़कर पानी की सप्लाई हो रही है। ऐसे में घरों में इतना पानी नहीं है कि एक दिन के लिए बचाकर रख सकें।
जागरण संवाददाता, हिसार : नहरबंदी के कारण सेक्टरों में जल संकट गहराता जा रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी सेक्टर 16-17 के लोगों को रही है, क्योंकि यहां एक दिन छोड़कर पानी की सप्लाई हो रही है। ऐसे में घरों में इतना पानी नहीं है कि एक दिन के लिए बचाकर रख सकें। शाम होते-होते टंकी खाली हो जाती है। अगले दिन पानी सप्लाई नहीं आने से दिक्कत बढ़ रही हैं। मंगलवार को सेक्टरों की महिलाएं आरडब्ल्यूए प्रधान जितेंद्र श्योराण के घर पहुंची और पानी संकट को दूर करने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा।
प्रधान श्योराण ने एचएसवीपी के एक्सईएन पवन वर्मा से बात की। एक्सईएन ने आश्वासन दिया है कि जहां-जहां पानी की दिक्कत है, वहां टैंकरों से पानी पहुंचाया जाएगा। ज्ञात हो कि नहर बंदी के कारण सेक्टरों के जलघरों में पर्याप्त मात्रा में स्टोरेज नहीं होने से सेक्टरवासी पानी को तरस रहे हैं। 28 अक्टूबर तक सेक्टरों में पानी की कटौती आधी कर दी गई है या एक दिन छोड़कर सप्लाई दी जा रही है। ऐसे में अब लोग जितना पानी बचाएंगे उतना ही बेहतर रहेगा।
अब ये रहेगा पानी का शेड्यूल
- सेक्टर 13 : सुबह 6 से 7:30 रोजाना
- 16-17 सुबह 4 बजे से 8 बजे। एक दिन छोड़कर
- 9-11 में सुबह 8 से 12
- अर्बन एस्टेट : सुबह 5:30 से 7:30 और 5 बजे से 6:30 ग्रीन बेल्ट और पार्को के नल बंद
एचएसवीपी की ओर से पानी बचाने के लिए ग्रीन बेल्ट और पार्को में खुले में चल रहे पानी को मंगलवार को बंद कर दिया गया। पानी बचाने के उद्देश्य से यह कार्रवाई की गई है। वहीं विभाग के एक्सईएन पवन वर्मा ने लोगों से ज्यादा से ज्यादा पानी बचाने की अपील की है।
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सेक्टरों में कोशिश की जा रही है कि जरूरत के अनुसार पानी दिया जाए। नहरबंदी के कारण उतना पानी नहीं दे पा रहे, जितना पहले दे रहे थे। जहां दिक्कत हो रही है, उसके लिए टैंकरों की व्यवस्था की जा रही है।
- पवन वर्मा, एक्सईएन, एचएसवीपी
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खन्नोरी हेड से एक-दो दिनों में पानी छोड़ा जाएगा। इसके अगले दो से तीन दिन में बालसमंद नहर में पानी आ जाएगा। हम कोशिश करेंगे कि सेक्टरों में पानी तुरंत दिया जाए।
- रमेश कुमार, एक्सईएन, नहरी विभाग