प्रदूषण कम करने वाली जिग-जैग तकनीक न लगाने पर डाटा और गुराना के दो भट्ठा मालिकों के खिलाफ मामला दर्ज
प्रदूषण नियमों को ताक पर रखकर चल रहे डाटा व गुराना गांव के ईंट भट्ठा मालिक के खिलाफ पुलिस ने ग्रीन ट्रिब्यूनल कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करके प्रदूषण फैलाने पर मामला दर्ज किया है।
संवाद सहयोगी, हांसी : प्रदूषण नियमों को ताक पर रखकर चल रहे डाटा व गुराना गांव के ईंट भट्ठा मालिकों के खिलाफ पुलिस ने ग्रीन ट्रिब्यूनल कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर प्रदूषण फैलाने पर मामला दर्ज किया है। जिला खाद्य आपूर्ति विभाग की शिकायत पर ब्रिक्स कंट्रोल ऑर्डर एक्ट के तहत सदर थाना व नारनौंद में मामले दर्ज किए गए है। पुलिस में दी शिकायत में खाद्य निरीक्षक अनिल हुड्डा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने सभी ईंट भट्ठा मालिकों को जिग जैग तकनीक को भट्टों में लगाने के आदेश जारी किए थे। इसके लिए 31 जुलाई तक का समय सरकार द्वारा दिया गया था। मगर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा सरकार के आदेशों पर स्टे लगा दिया गया, जिसके बाद ईंट भट्टों के लिए तुरंत प्रभाव से जिग-जैग तकनीक लगाना जरुरी था। मगर श्री बजरंग बली भट्ठा उद्योग भट्टा मालिक द्वारा पुरानी तकनीक से ही ईंटों को बनाया जा रहा था। भट्टा मालिक को जिला खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा 31 जनवरी को नोटिस जारी किया गया था, लेकिन फर्म द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद विभाग ने कार्रवाई करते हुए ईंट भट्टा मालिक आदमपुर निवासी अमित गोयल के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए पुलिस को पत्र लिखा था। वहीं गुराना गांव में स्थित एक ईंट भट्ठा मालिक के खिलाफ भी जिग जैग तकनीक का इस्तेमाल न करने पर नारनौंद थाने में मामला दर्ज किया गया है। जिग जैग तकनीक के फायदे
शर्मा ने बताया कि अगर एक लाख ईंट पकाने के लिए 30 टन कोयला लगता था तो नई जिग -जैग तकनीक से 20 टन कोयले की ही खपत होगी। वहीं इस तकनीक का इस्तेमाल करने के बाद भट्ठे से निकलने वाला धुआं भी पर्यावरण के लिए खतरनाक नहीं होगा। क्योंकि नई तकनीक धुएं में जहरीले कणों को कम कर देगी। लोगों के स्वास्थ्य पर भट्ठों से निकलने वाला धुआं बुरा प्रभाव डालता है। पर्यावरण में धुआं कम होने से लोगों के स्वास्थ्य पर धुएं का प्रभाव कम पड़ने के अलावा स्वास्थ्य हानि से बचाव होगा।
बाक्स:
क्या है जिग जैग तकनीक
भट्ठे में पहले ईंट पकाने के दौरान छल्लियों में सीधी हवा दी जाती थी। मगर जिग जैग सिस्टम में टेढ़ी-मेढ़ी लाइन बनाकर हवा दी जाएगी। सिस्टम के तहत चिमनी में खास किस्म का पंखा लगाया जाएगा। ये पंखा चिमनी में आने वाले जहरीले धुएं को छानकर बाहर निकालेगा।