रोहतक में नहीं दिखा सख्ती का असर, दीवाली पर धड़ल्ले से फोड़े गए बम और पटाखे
दीपावली के पूजन के साथ ही रात दो बजे बजे तक पटाखों का संचालन होता रहा। वहीं प्रशासन तंत्र तैयार किया था वह भी पूरी तरह से फेल दिखा। कुछ स्थानों पर प्रशासन की टीमें और पुलिस पहुंची। टीम के पहुंचने से पहले ही सामान अंदर समेट लेते।
रोहतक, जेएनएन। प्रशासन और पुलिस की सख्ती के बावजूद धड़ल्ले पटाखों की बिक्री हुई। सख्ती का असर बेअसर रहा। कालोनियों से लेकर मुख्य बाजारों और प्रमुख मार्गों के रास्तों में पटाखे बेचे गए। हालात यह रहे कि कहीं चोरी-छिपे तो कहीं धड़ल्ले से पटाखे बेचे गए।
शनिवार की शाम करीब चार बजे से तय हो गया था कि पटाखों की बिक्री खूब हुई है। क्योंकि सुबह से ही बच्चों ने पटाखे चलाना शुरू कर दिया था। शाम तक बच्चों ने पटाखे चलाए। शाम होते ही कालोनियों में पटाखे बड़े पैमाने पर लोगों ने चलाना शुरू किया। दीपावली के पूजन के साथ ही रात दो बजे बजे तक पटाखों का संचालन होता रहा। वहीं, प्रशासन ने निगरानी के लिए जो भी तंत्र तैयार किया था वह भी पूरी तरह से फेल दिखा। कुछ स्थानों पर प्रशासन की टीमें और पुलिस पहुंची। टीम के पहुंचने से पहले ही सामान अंदर समेट लेते। सीधे तौर से कहें तो प्रतिबंध के बावजूद खूब पटाखे चलाए गए।
इस तरह बेचे गए पटाखे, होम डिलीवरी की भी बातें आईं सामने
सेक्टर-2 निवासी रमेश सोनीपत से रोहतक वापस लौट रहे थे। उसी दौरान रास्ते में फलों की रेहड़ी पर पटाखे बेचे जा रहे थे। पटाखे फलों के अंदर रखे गए थे। फल वाले ने गाड़ी रूकवाते हुए फल खरीदने का अनुरोध किया। बाद में चुपके से पटाखे भी अपने पास होने की बात कही। साथ ही कहा कि पटाखे खरीद लें। वहीं, कालोनियों में कुछ स्थानों पर बेरोक-टोक पटाखे बेचे गए। कुछ स्थानों पर होम डिलीवरी की भी शिकायत हैं। एडवांस में बुकिंग लेकर यह होम डिलीवरी की गईं।
एक सप्ताह से बनी हुई थी असमंजस की स्थिति
पिछले एक सप्ताह से पटाखों के संचालन और बिक्री को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। सबसे पहले प्रशासन ने ग्रीन पटाखों की बिक्री और संचालन की अनुमति दी थी। हालांकि प्रशासन ने पटाखों के संचालन के लिए शाम छह बजे से रात आठ बजे तक का समय तय किया गया था। पिछले दो साल से पटाखों के संचालन को लेकर लगाए जा रहे प्रतिबंध को लेकर इस बार फैक्टरी संचालकों से 50 फीसद कम आर्डर लिए थे। रोहतक में बनने वाले 15-20 श्रेणियों के पटाखे कम बनाए थे। तमिलनाडू के शिवाकाशी से भी इस बार तैयार होने वाले पटाखे 50 फीसद कम मंगाए गए थे। बाद में पूरी तरह से पटाखों के संचालन पर रोक लगा दी थी। लेकिन व्यापारियों के विरोध के बाद दो घंटे पटाखे चलाने की अनुमति मिल गई। वहीं, इसी दौरान नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पटाखों के संचालन-बिक्री पर रोक लगा थी।