लुवास कुलपति नियुक्ति विवाद : पांच मिनट में तय होता है लुवास के कुलपति का नाम, जानें पूरा मामला
लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति को लेकर बोर्ड मीटिंग का एक बड़ा सच सामने आया है। जिसको देखने पर पता चलता है कि लुवास में कुलपति पद की नियुक्ति के लिए कोई डेकोरम है ही नहीं।
वैभव शर्मा, हिसार। हिसार में स्थित लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति को लेकर बोर्ड मीटिंग का एक बड़ा सच सामने आया है। जिसको देखने पर पता चलता है कि लुवास में कुलपति पद की नियुक्ति के लिए कोई डेकोरम है ही नहीं। हैरानी की बात है कि कुलपति जैसे उच्च पद के लिए पांच मिनट में सभी निर्णय ले लिए गए। बोर्ड के सदस्यों को तो यह तक नहीं पता था कि 21 नामों में से कुलपति किसको नियुक्ति किया है। सिर्फ यह नहीं बल्कि उनसे तो यह कह दिया कि आप नाश्ता कीजिए।
अनजाने में उनसे कुलपति के नाम पर सहमति ले ली गई जिसे बोर्ड के सदस्य उपस्थिति समझते रहे। इस नियुक्ति को समझने के लिए सबसे पहले उस पांच मिनट की बैठक को पूरी तरह समझना होगा। इस मामले में रविवार को लुवास के पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर डा. जगबीर रावत ने बोर्ड के सभी सदस्यों, चीफ सेक्रेटरी, गवर्नर, सेक्रेटरी टू गवर्नर को ई मेल के जरिये सूचित किया है। इन सभी को पांच दिन का समय देकर कहा गया है कि इस नियुक्ति को रद किया जाए। अगर इस पर कोई फैसला नहीं लिया जाता तो वह हाई कोर्ट की शरण लेंगे।
चंडीगढ़ के हरियाणा निवास में 20 जनवरी दोपहर तीन बजे बोर्ड कीबैठक बुलाई जाती है। जिसमें अध्यक्षता चीफ सेक्रेटरी संजीव कौशन ने की। इसके साथ ही बैठक में रजिस्ट्रार डा. प्रवीन गोयल, आईसीएआर के डीडीजी डा. बीएन त्रिपाठी व सदस्य के रूप में राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र में प्रधान विज्ञानी डा. नवीन कुमार, डा. जयपाल तंवर, संदीप झिंझा, नीलम आर्य, डा. उमेश बत्रा उपस्थित रहे। चीफ सेक्रेटरी के आते ही लुवास के रजिस्ट्रार ने कहा कि बोर्ड की 28वीं बैठक कुलपति की नियुक्ति के लिए बुलाई गई है। चीफ सेक्रेटरी इस बैठक को चेयर करें। इसके बाद डीडीजी डा. त्रिपाठी को आनलाइन जोड़ा गया।
इसी दौरान चीफ सेक्रेटरी ने डीडीजी का आडियो म्यूट करने को टेक्निकल कर्मचारी कहा। डीडीजी का माइक म्यूट करने के बाद एक कर्मचारी एक दस्तावेज लेकर आया और सभी सदस्याें के हस्ताक्षर लेने लगा। सभी सदस्य पहली बार बोर्ड मीटिंग में शामिल हुए थे तो उन्हें लगा कि यह बैठक की प्रोसीडिंग है। इसके बाद चीफ सेक्रेटरी ने सभी का धन्यवाद दिया और डीडीजी को बैठक से डिस्कनेक्ट कर दिया। इसके बाद चीफ सेक्रेटरी ने कहा कि बैठक समाप्त हो चुकी है आप सभी चाय का आनंद लें। इसके बाद सदस्यों को लगा कि अब दोबारा बैठक में निर्णय लिया जाएगा।
इस नियुक्ति को लेकर लुवास कैंपस में चर्चाओं का बाजार काफी गर्म है। हर कोई इस मामले पर सही गलत का निर्णय कर रहा है। ताजा उदाहरण राष्ट्रवादी संगठन की पृष्ठभूमि से जुड़ा है। चर्चा है कि इस फैसले से संगठन के खेमे में खलबली मच गई है क्योंकि पदाधिकारियों ने कभी इस प्रकार के निर्णय की सोची ही नहीं थी। लिहाजा वह भी लामबंद दिख रहे हैं। इसके साथ ही चर्चा है कि प्रदेश के एक बड़े चेयरमैन साहब की दखल के बाद यह निर्णय लिया गया है। इन दावों में कितनी सच्चाई है यह तो समय आने पर ही पता चलेगा। मगर इस पूरे वाक्या से यह स्पष्ट होता दिख रहा है कि नियुक्ति को लेकर नियमों को दरकिनार किया है।