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तलाक के लिए अदालत पहुंचे पति-पत्नी, मर्ज का मर्म मिला तो बोले- साथ ही रहेंगे

परिवारों को जोडऩे में जुटा परिवार परामर्श केंद्र। तलाक होने वाले केसो में आर्थिक तंगी और वैचारिक मतभेद ही अहम कारण।

By Manoj KumarEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 02:47 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 03:09 PM (IST)
तलाक के लिए अदालत पहुंचे पति-पत्नी, मर्ज का मर्म मिला तो बोले- साथ ही रहेंगे
तलाक के लिए अदालत पहुंचे पति-पत्नी, मर्ज का मर्म मिला तो बोले- साथ ही रहेंगे

झज्जर [दीपक शर्मा] इंसान जब आर्थिक कमजाेरी को झेलता है तो वह खुद ही कमजोर नहीं होता, वरन रिश्‍ते और परिवार भी टूटने की कगार पर पहुंच जाते हैं। इसका बच्चों पर भी बुरा असर पड़ता है। यह झज्‍जर बाल कल्याण परिषद द्वारा चलाए जा रहे परिवार परामर्श केंद्र के आंकड़े बता रहे हैं। 1999 से शुरू परिवार परामर्श केंद्र में अब तक पारिवारिक विवादों के 900 मामले आ चुके हैं, जिनमें से 200 विवादों का कारण आर्थिक तंगी बनी।

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इन टूटते पारिवारिक रिश्तों को जोडऩे के लिए परिवार परामर्श केंद्र अहम रोल अदा कर रहा है। पिछले करीब 20 वर्षों की बात करें तो औसतन प्रत्येक आठ दिन में एक पारिवारिक विवाद आता हैं। वहीं काउंसिलिंग के माध्यम से प्रत्येक नौ दिन में एक विवाद को निपटा दिया जाता है। साथ ही परिवार परामर्श केंद्र में काउंसलिंग के माध्यम से टूटते परिवारों को जोडऩे के लिए लोगों को जानकारी देने के साथ-साथ जागरूक भी किया जा रहा है।

केस-1

झज्जर के एक गांव का दंपती आर्थिक तंगी के कारण तलाक के लिए अदालत तक जा पहुंचा। पति के पास कोई काम नहीं था और पत्नी उसकी बेरोजगारी से तंग थी। इसलिए तलाक के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया। इस बीच वे परिवार परामर्श केंद्र के संपर्क में आए। काउंसलर ओमपति ने दोनों की काउंसिङ्क्षलग की और घर पर जाकर भी स्थिति देखी। इसके बाद दोनों को समझाया कि तलाक इस समस्या का हल नहीं हैं, वे मिलकर काम करें तो बेहतर होगा। दंपती को काउंसिङ्क्षलग रास आ गई और तलाक लेने का फैसला बदल दिया। फिलहाल पत्नी स्कूल में टीचर है और पति प्राइवेट नौकरी करके घर खर्च चलाते हुए दो बच्चों को पाल रहे हैं।

केस-2

हिसार की लड़की की शादी झज्जर में हुई थी। पति मजदूरी करता था और मजदूरी कम मिलने के कारण घर खर्च भी नहीं चला पाता था। इस कारण पति-पत्नी में प्राय: झगड़ा होता रहता था। आर्थिक कमजोरी के कारण घर टूटने की कगार पर था। इसके बाद उनकी तीन-चार बार काउंसिङ्क्षलग की गई। वहीं घर पर जाकर देखा तो आर्थिक स्थिति कमजोर मिलीं। दोनों को काउंसिङ्क्षलग के माध्यम से समझाया कि इसका हल घर तोडऩा नहीं, यदि दोनों मिलकर काम करें तो घर को चला सकते हैं। काउंसिङ्क्षलग का दोनों पर सकारात्मक असर पड़ा। महिला घर से ही कुछ काम करने लगी और पति घर के बाहर। अब वे भी दो बच्चों के साथ अच्छा जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

केस-3

दिल्ली में रहने वाली लड़की की शादी झज्जर में होने के बाद मनमुटाव के कारण झगड़ा रहने लगा। जब उनकी काउंसिलिंग की तो पता चला कि लड़की अपने मायके वालों की अधिक मानती है, जिस कारण मतभेद पैदा हो जाते। नौबत परिवार टूटने की हो चुकी थी। इसके बाद दोनों को काउंसिलिंग के माध्यम से अपने विचारों को साझा करने का सुझाव दिया। काउंसिलिंग का दोनों पर अच्छा असर पड़ा और आज मिलकर रह रहे हैं। यह केवल एक परिवार की कहानी नहीं है। सामने आ रहा है कि आर्थिक तंगी सहित सामान्य विषय अनेक परिवारों में विवाद पैदा कर रहे हैं।

----आर्थिक तंगी के कारण काफी परिवारों में विवाद होते हैं। कई दफा तो पति-पत्नी तलाक लेने तक पहुंच जाते हैं, ऐसी स्थिति में उन्हें काउंसिलिंग के माध्यम से फिर से मिलाने का काम किया जाता है। औसतन 50 फीसद मामलों का कारण आर्थिक तंगी व विचारों के मतभेद होते हैं।

- ओमप्रकाश बिबयान, जिला बाल कल्याण अधिकारी।


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