मनुष्य बाहरी दिखावों के कारण आंतरिक ज्ञान से दूर : गंगेनन्दन महाराज
गीता भवन में ब्रह्म ज्ञान सत्संग का पहला दिन
गीता भवन में ब्रह्म ज्ञान सत्संग का पहला दिन
फोटो- 11
हिसार (वि) : आध्यात्मिक गीता ज्ञान प्रचारिणी सभा, मोहल्ला रामपुरा के तत्वाधान में तथा समस्त हरि शरणम परिवार के सहयोग से गीता भवन के प्रांगण में आयोजित ब्रह्म ज्ञान सत्संग के पहले दिन श्रद्धालुओं को प्रवचन देते हुए हिमालय तपस्वी परमहंस गंगेनन्दन महाराज ने कहा कि गुरु अपने शिष्य के लिये सर्वस्व न्योछावर कर देता है। जैसा गुरु का समर्पण शिष्य के प्रति होता है, वैसा शिष्य का समर्पण गुरु के प्रति नहीं होता। वह मन की गति से चलता है और मुसीबतों में फंसता चला जाता है। गुरु का कार्य शिष्य के सम्पूर्ण दुखों को दूर करना है। हम अज्ञानतावश अनियंत्रित बोलकर, सुनकर रिश्तों में एक-दूसरे के ह्रदय को दुखाते रहते हैं। मनुष्य चारों ओर की जानकारी लेने के लिये हरदम जिज्ञासु रहता है। समाचार पत्रों में रोजाना आपराधिक घटनाएं पढ़ने को मिलती हैं कितु इन अपराधों के बढ़ने का कारण क्या है, मनुष्य जानने की कोशिश नहीं करता बल्कि बाहरी दिखावे के कारण आंतरिक ज्ञान नहीं ले पाता। धन का विकास किया, भवनों का विकास किया फिर भी मनुष्य इतना दुखी क्यों है। परमहंस गंगेनन्दन महाराज ने कहा कि इसका मुख्य कारण बाहरी है। अगर बाहर से विकास होता तो सभी सुखी होने चाहिये थे लेकिन दुख का बढ़ना आंतरिक कारण है। दुख मनुष्य के बिगड़े हुए स्वभाव का कारण है। दुखों को दूर करने के लिये तथा शांति पाने के लिये अंर्तमन से भगवान का सिमरण करना होगा। हिमालय तपस्वी परमहंस गंगेनन्दन महाराज के गीता भवन में पहुंचने पर मंदिर सभा की प्रधान ऊषा बक्शी व अन्य श्रद्धालुओं ने उनका स्वागत किया। सत्संग में प्रेमलता बक्शी, पवन गोयल, दयानंद बंसल, विनोद गोयल, धर्मचंद मेहता ने भाग लिया। कथा संयोजक सत्यनारायण शर्मा ने बताया कि 6 दिसंबर तक प्रवचन होंगे। सात दिसंबर को सत्संग का समापन होगा।