पांच सालों से शहर में नहीं हुआ हाउस टैक्स बिलों का वितरण, लोगों को लग रही आर्थिक चपत
नगर परिषद द्वारा बीते 5 वर्षो से शहर में हाउस टैक्स बिलों का वितरि
संवाद सहयोगी, हांसी : नगर परिषद द्वारा बीते 5 वर्षो से शहर में हाउस टैक्स बिलों का वितरित न किए जाने से शहरवासियों को प्रति वर्ष आर्थिक चपत लग रही है। मकान मालिकों के पास बिल नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिसके चलते प्रति वर्ष ब्याज की राशि उनके टैक्स खाते में जुड़ जाती है। वहीं, नगर परिषद का करोड़ों रुपये हाउस टैक्स का बकाया है जिसके चलते उसके पास शहर के विकास कार्यो को करवाने के लिए भी पैसों के लाले पड़े हुए हैं। हाउस टैक्स बिल न बांटे जाने से नगर परिषद की लापरवाही का खामियाजा आम जनता को अपनी जेब ढीली करके भुगतना पड़ रहा है।
वहीं, यूएलबी द्वारा प्रदेश भर में हाउस टैक्स सर्वे करवाया जा रहा है व उसके बाद नगर परिषद द्वारा बिलों को बांटने की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही जा रही है। 2014-15 से शहर में हाउस टैक्स बिल नहीं बांटे गए हैं। नगर परिषद की लापरवाही का खामियाजा आम जनता भारी ब्याज के रूप में भुगत रहें है।
नगर परिषद की शहर में 37745 हाउस टैक्स यूनिट हैं व औसतन प्रति वर्ष करीब दो करोड़ रुपये टैक्स की अनुमानित राशि बनती है। जबकि नगर परिषद की लापरवाही का आलम ये है कि बीते वर्ष हाउस टैक्स के केवल 67 लाख रुपये ही वसूल कर पाया है। इससे बीते वर्ष तो टैक्स वसूली के मामले में नगर परिषद के हालात और खराब थे। पांच सालों में करीब दस करोड़ रुपये हाउस टैक्स के लोगों पर बकाया हैं। शहर में हाउस टैक्स यूनिटों की संख्या
रेजिडेंट - 26173
कमर्शियल - 738
इंडस्ट्रियल - 65
शिक्षण संस्थान - 08
धार्मिक संस्थान - 88
खाली प्लाट - 10157
परिषद बिल्डिग - 246 सर्वे चल रहा है, बिलों को बांटे जाने की प्रक्रिया जल्द होगी शुरू
यूएलबी द्वारा प्रदेश में सभी शहरों का सर्वे करवाया जा रहा है। इसमें नए हाउस टैक्स यूनिटों को जोड़ा जाएगा। नई संशोधित लिस्ट तैयार होने के बाद हाउस टैक्स बिलों को बांटे जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। सर्वे की प्रक्रिया जल्द पूरी हो जाएगी और इसके तुरंत बाद बिलों को बांटकर वसूली शुरू की जाएगी।
- अभय कुमार यादव, ईओ, नगर परिषद नगर परिषद की गलती का खामियाजा भुगत रहे लोग
लोगों के घरों में बिल नहीं पहुंचने से उन्हें हाउस टैक्स का पता नहीं लग पा रहा है। हाउस टैक्स के बिल की अदायगी न होने से बिल पर प्रति वर्ष ब्याज जुड़ जाता है। नगर परिषद के पूर्व सचिव सतीश चुचरा का कहना है कि हाउस टैक्स के डाटा में आधारभूत सुधार की जरूरत है जिससे हाउस टैक्स की व्यवस्था पटरी पर आ सके व लोगों को राहत मिल सके। न काम करवाने के लिए पैसे, न वेतन देने के लिए
हाउस टैक्स नगर परिषद की आय का सबसे बड़ा स्त्रोत है। नगर परिषद के चेयरपर्सन व अधिकारियों द्वारा इस मामले में कोई ध्यान नहीं दिए जाने से करोड़ों रुपये की वसूली करने में परिषद फेल साबित हो रहा है। जिससे परिषद का खजाना खाली हो गया है व कर्मचारियों को समय पर वेतन देने व शहर में अपने स्तर पर विकास कार्यों को करवाने के लिए भी परिषद को पैसों के लाले पड़े हुए हैं।