150 वर्षों से कटला रामलीला मैदान में किया जा रहा होलिका दहन
कटला रामलीलाल में करीबन 150 सालों से होलीका दहन कर पर्व के माध्यम से ईश्वर द्वारा अपने भक्तों की रक्षा का संदेश दिया जा रहा है। हिसार के इतिहास का गवाह कटला रामलीला मैदान रामलीला मंचन के साथ-साथ होलीका दहन के लिये भी जाना जाता है। जहां हिसार की अधिकांश आबादी एकजुट होकर एक साथ होली का पर्व मनाती थी इन मैदान की महत्व देशभक्त व स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय ने भी माना और अपने वितांत में साल 1
पवन सिरोवा, हिसार
कटला रामलीलाल में करीबन 150 सालों से भी अधिक समय से होलिका दहन किया जा रहा है। यहां हिसार की अधिकांश आबादी एकजुट होकर सालों से होली का पर्व मनाती आ रही है। इस मैदान का महत्व देशभक्त और स्वतंत्रता सेनानी लालालाजपत राय ने भी माना था और अपने वृतांत में साल 1888 में इसका जिक्र किया था। जो इतिहास की यादों को ताजा कर देता है।
तिलक बाजार स्थित शर्मा गली निवासी अर्जुन चौधरी का परिवार करीब 100 वर्षो से होलिका दहन मनाता आ रहा है। इसी परिवार के सदस्य होलिका दहन श्रद्धा और उमंग के साथ मनाते आ रहे हैं। अर्जुन चौधरी ने बताया कि अपने दादा गिरधारी लाल को मैंने कटला में होलिका दहन पर्व मनाते देखा है। मेरी याद में 100 साल से अधिक समय से मेरा परिवार यह आयोजन कर रहा है। उसका पूरा खर्च मेरा परिवार वहन करता है। अब परिवार के सदस्यों की यह परम्परा बन गई है। 72 वर्षीय अर्जुन चौधरी ने कहा कि मेरे परिवार की चौथी पीढ़ी यानि मेरा बेटा अमित इस बार होलिका दहन पर पूजा-अर्चना कर पर्व मनाएगा। उन्होंने कहा कि इस साल जीएलएफ से झाड़ियों और लकड़ी नहीं मिल पाई। दूसरे स्थानों से लकड़ी का प्रबंध करना पड़ा है।
शहर में अब विभिन्न स्थानों पर होने लगा है होलिका दहन
आजादी से पहले होलिका दहन हिसार में कटला रामलीला मैदान में ही होता आ रहा है। वक्त के साथ-साथ शहर की जनसंख्या बढ़ी और उसका दायरा भी। ऐसे में अब कटला रामलीला के अलावा शहर के कई अन्य क्षेत्रों में भी होलिका दहन होता है। बुजुर्ग राजेंद्र शर्मा ने बताया कि शहर में सेक्टर 14, पड़ाव, शांतिनगर, पटेल नगर और अर्बन एस्टेट में भी बड़े स्तर पर होलिका दहन होता है। महिलाएं व बच्चे यहां एकजुट होते हैं और होलिका पूजन कर मंगलकामना के साथ होली पर्व उमंग और श्रद्धा के साथ मनाती हैं।
कटला में होलिका दहन का ऐसे बदला स्वरुप
अर्जुन चौधरी के अनुसार पहले राजकीय पशुधन फार्म एरिये से झाड़ियां मिल जाती थीं जो यहां इक्कठा की जाती थी। कटला में मौजूद महिला सुमन, ज्योति, दीपिका ने बताया कि यहां पर शहर के अलावा दूर-दराज से भी कई महिलाएं अपने परिवार के साथ पूजा करने आती हैं। यह शहर का प्राचीन स्थान है जहां वर्षो से होली दहन किए जाने से लोगों की आस्था भी इस स्थान से जुड़ चुकी है। पहले यहां केवल पूजा अर्चना के साथ होलिका दहन होता था। अब यहां मेला लगने लगा है, जहां बच्चों के लिए झूले, होली का सामान, खिलौने की स्टाल तक लगने लगी है। जिस स्तर ग्रामीण क्षेत्रों में मेले लगते हैं उसी रूप में अब कटला रामलीला में होलिका दहन पर्व मनाया जाने लगा है।
कटला रामलीला मैदान का है स्वर्णिम इतिहास
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के तीन प्रमुख नायक लाल-बाल-पाल में से एक थे लाला लाजपत राय। प्रसिद्ध इतिहासकार व डीएन कालेज के प्रो. महेंद्र सिंह ने बताया कि स्वतंत्रता सेनानी व अच्छे नेता रहे लाला लाजपत राय ने साल 1888 में अपने लिखे वृतांत में अपने 10 वर्षों का जिक्र किया है। जिसमें उन्होंने कटला में मनाए जा रहे होलिका दहन पर्व के बारे में लिखा है कि इस पूजा को उन्होंने देखा और उससे वे प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा कटला रामलीला इतिहास में राजनीतिक रैलियों और जलसों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां आपातकाल के दौरान कई नामी नेता आते रहे। लाल कृष्ण आडवाणी, चौ. देवीलाल, प्रकाश सिंह बादल, राजनारायण, मनीराम बागड़ी सहित कई नेताओं ने कटला मैदान में जनसभाओं को संबोधित किया था।