यहां 200 साल में केवल एक बार किया होलिका दहन, लोगों के जेहन से नहीं निकल रही बात
होली के दिन महिलाएं अकसर होलिका का पूजन करती हैं। लेकिन खरावड़ गांव में ऐसा नहीं होता। होली के दिन महिलाएं गांव में ही बने माता मंदिर में गुड चने व फल आदि प्रसाद अर्पित करती है
रोहतक [रतन चंदेल] होली को लेकर इन दिनों चारों और मस्ती का रंग नजर आ रहा है। विभिन्न स्थानों पर हाेली पूजन को लेकर महिलाओं ने तैयारियां भी शुरू कर दी है। लेकिन हरियाणा के रोहतक में एक गांव ऐसा भी हैं जहां पिछले करीब 200 साल में केवल एक ही बार होलिका दहन किया गया है। वह भी करीब चार साल पहले। रोहतक जिला के इस गांव का नाम खरावड़ (कल्हावड़) है। दिल्ली रोड स्थित खरावड़ गांव निवासी 63 वर्षीय कैप्टन जगबीर सिंह मलिक, 75 वर्षीय बलजीत सिंह व 78 वर्षीय महानंद ने बताया कि उनके गांव में होलिका दहन नहीं किया जाता है।
उनके अनुसार कभी बुजुर्गाें से सुना था कि करीब 200 साल पहले गांव में होली के दिन जब शाम के समय होलिका दहन किया जा रहा था तभी गांव में दो गोवंश आपड़ में भिड़ते हुए होली में चले गए थे और होली में जलकर उनकी मौत हो गई थी। ग्रामीणों ने इस घटना को अशुभ माना था। तभी से गांव में होलिका दहन नहीं किया जा रहा है। हालांकि एक साधु ने ग्रामीणों को यह भी कहा था कि गांव में गाय जब बछड़े को जन्म दे और वह स्वस्थ रहे तभी होली जलाएं।
ग्रामीणों ने बताया कि साधु के कथन के बाद अब से करीब चार साले पहले गांव में भगवाना की गाय ने बछड़ा दिया था। उसी वर्ष गांव में होली जलाई गई थी। लेकिन होली के कुछ दिन बाद ही बछड़ा बीमार हो गया था। जिसके बाद गांव में फिर से होली नहीं जलाई गई है। होलिका दहन ही नहीं यहां बसंत पंचमी के दिन होली का डंडा भी नहीं रखा जाता है। इस गांव की यह परंपरा प्रदेश भर में अनूठी है।
महिलाएं माता के मंदिर में चढ़ाती हैं प्रसाद
होली के दिन महिलाएं अक्सर होलिका का पूजन करती हैं। लेकिन खरावड़ गांव में ऐसा नहीं होता। यहां होली के दिन महिलाएं गांव में ही बने माता मंदिर में गुड, चने व फल आदि प्रसाद अर्पित करती है।
जनश्रुति के अनुसार एक साधु ने बताया था कि होली के दिन गांव में गाय जब बछड़े को जन्म दे तो उस बछड़े का पालन पोषण ग्रामीण मिलकर करें। तभी गांव में होलिका दहन किया जाना चाहिए।
- बिजेंद्र मलिक, सरपंच, खरावड़।